चेन्नई रिफाइनरी के विस्तार की लागत 3,600 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ी

नयी दिल्ली,  सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चेन्नई में 90 लाख टन क्षमता की रिफाइनरी बनाने वाले संयुक्त उद्यम में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 75 प्रतिशत करेगी। परियोजना की लागत 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ने के बाद कंपनी ने यह बात कही है।

मूल रूप से, आईओसी और उसकी अनुषंगी कंपनी चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (सीपीसीएल) को संयुक्त उद्यम में 25-25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखनी थी। संयुक्त उद्यम को सीपीसीएल की मौजूदा रिफाइनरी के निकट एक नई इकाई का निर्माण करना था। शेष 50 प्रतिशत इक्विटी वित्तीय निवेशकों से आनी थी।

आईओसी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसके निदेशक मंडल ने बृहस्पतिवार को बैठक में परियोजना की लागत को 29,361 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 33,023 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दे दी।

लागत 3,662 करोड़ रुपये यानी 12.5 प्रतिशत बढ़ गयी है।

सूचना में कहा गया है, ‘‘निदेशक मंडल ने संयुक्त उद्यम की पूंजी संरचना में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत इंडियन ऑयल की 75 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी और सीपीसीएल की 25 प्रतिशत इक्विटी होगी।’’

हालांकि, कंपनी ने लागत बढ़ने का कारण नहीं बताया।

आईओसी ने कहा कि निदेशक मंडल ने 29 जनवरी, 2021 को दक्षिण भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए 29,361 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर तमिलनाडु के नागापत्तनम के कावेरी बेसिन में 90 लाख टन सालाना क्षमता की रिफाइनरी के क्रियान्वयन को मंजूरी दी थी। इसका विकास सीपीसीएल को करना था।

इसके साथ ही, आईओसी और सीपीसीएल के बीच एक संयुक्त उद्यम के गठन को भी मंजूरी दी गई, जिसमें 50 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी होगी और शेष 50 प्रतिशत वित्तीय/रणनीतिक/सार्वजनिक निवेशकों के पास होगी। इसके बाद ‘कावेरी बेसिन रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड’ (सीबीआरपीएल) नाम की संयुक्त उद्यम कंपनी छह जनवरी, 2023 को स्थापित की गई।

रिफाइनरी को 48 महीने में बनना था।

आईओसी ने अपनी अनुषंगी कंपनी सीपीसीएल की 10 लाख टन सालाना क्षमता वाली नागापत्तनम रिफाइनरी को बंद करने और बिल्कुल नई 90 लाख टन क्षमता वाली इकाई बनाने की योजना बनाई थी।

नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (एनआईओसी) इस परियोजना में भागीदार नहीं है।

एनआईओसी की सीपीसीएल में 15.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह पहले विस्तार परियोजना में भाग लेने का इच्छुक थी। हालांकि, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण वह इसमें शामिल नहीं हो पायी।

इंडियन ऑयल की सीपीसीएल में 51.89 प्रतिशत हिस्सेदारी है।