गर दांत हो जाएं बदरंग

दांतों के बदरंग होने का अर्थ है दांतों की प्राकृतिक सफेदी पर दाग धब्बों का पड़ जाना। ये दाग धब्बे दांतों पर कैसे पड़ते हैं। दो तरह के दाग धब्बे होते हैं अंदरूनी और बाहरी। बाहरी दाग धब्बे आपके चेहरे पर ग्रहण का काम करते हैं जब भी आप मुस्कुराती या हंसती हैं। अंदरूनी दाग धब्बे दिखाई तो ज्यादा नहीं देते पर आपके खाद्य पदार्थ उनके साथ बार-बार संपर्क में आते हैं तो स्वयं को इरीटेशन महसूस होती है।


बाहरी दाग धब्बे तो अक्सर हमारे खान पान की गलत आदतों का फल होता है जैसे अधिक चाय-काफी का सेवन करने वालों को, पान-तंबाकू खाने वालों को, अधिक मसाले और अधिक हल्दी वाले भोज्य पदार्थों को लेने से। दांतों में हल्का पीलापन आ जाता है जिससे सामने वाले को लगता है शायद आप दांत अच्छी तरह से साफ नहीं करते। दिन में दो बार अच्छी तरह से ब्रश कर दांत साफ करने से इस समस्या से दूरी बनाई रखी जा सकती है।
अंदरूनी दाग धब्बे बाहर से देखने में इतने खराब नहीं दिखते। ये दाग धब्बे जन्म से भी हो सकते हैं या फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा के सेवन से भी। इन्हें ब्रश से सफाई करने पर खास लाभ नहीं होता।


वैसे दांतों को ब्रश और फ्लास की सहायता से साफ किया जाता है पर दाग धब्बों को दूर करने के लिए कुछ अन्य तरीके भी हैं।


क्लीनिकल ब्लीचिंग

किसी भी डेंटल क्लिनिक में जाकर डेंटिस्ट की मदद से ब्लीचिंग करवा सकते हैं। इसका लाभ तुरंत आप महसूस कर सकते हैं। अधिकतर डेंटिस्ट पहले ऊपर वाले दांतां को ब्लीच करते हैं ताकि नीचे वालों दातों से तुलना हो सके। पूरा प्रभाव 5-6 दिन में दिखता है।


होम ब्लीचिंग

होम ब्लीचिंग किट डेंटिस्ट या ओरल स्पेशलाइज्ड केमिस्ट के पास मिल जाती है जिसकी मदद से आप घर पर दांतों को ब्लीच कर सकते हैं। इसका प्रभाव काफी कम दिन तक रहता है। इस किट में ब्लीचिंग ट्रे और जैल होता है। अच्छी कंपनी का किट ही खरीदना चाहिए। उस पर पढ़े निर्देशों अनुसार घर पर आप ब्लीच कर सकते है। ध्यान देना होता है कि एक्स्ट्रा जैल मुंह के अंदर न जाए। अगर जैल अंदर चला जाए तो वो टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकता है। जब तक किट में सामग्री है, उसका नियमित इस्तेमाल करें। प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें।


अन्य तरीके

वाइटनिंग स्ट्रिप्स और वाइटनिंग पेस्ट ब्रश की मदद से आप दांतों को ब्लीच कर सकते हैं। इसका परिणाम अच्छा नहीं है। जब तक आप इस पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं तब तक दांत साफ रहते हैं। अगर आपने क्लीनिकल ब्लीचिंग करवाई है तो उसे मेंटेन रखने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।


ध्यान दें

हर दांत का अपना रंग होता है ब्लीचिंग करवाने के एक साल तक तो उसका प्रभाव रहता है, फिर से नेचुरल कलर आ जाता है। अधिक चाय-कॉफी, पान-तंबाकू, हल्दी का सेवन न करें।
साल में एक बार से अधिक ब्लीचिंग न करवाएं। इससे दांतों की ऊपरी परत प्रभावित होती है।


क्राउन वाले दांत और फिलिंग वाले दांतों पर इनका प्रभाव नहीं पड़ता। अगर आप ब्लीचिंग करवा रहे हैं और किसी दांत पर क्राउन है या तो उसे बदल लें नहीं तो उसका रंग अन्य दांतों से अलग लगेगा।


कई बार ब्लीचिंग कराने से दांतों में सेंसेशन महसूस होती है जो अपने आप 2-3 दिन में दूर हो जाती है।