मूड के गुलाम न बनें

व्यक्ति की आदत होती है कि हर बात का कारण ढूंढता है। कारण बताकर हर अच्छे-बुरे कार्य को न्यायोचित ठहराना उसे खूब आता है। कामचोरी हो या खराब टैंपर, मूड की बात कहकर वह बरी हो जाता है। आज फलां काम करने का मूड नहीं, जब मूड होगा करेंगे। बच्चे की जरा सी जिद पर उसे पापा दो-चार झापड़ रसीद कर देते हैं। माता के एतराज पर झट सफाई दे डालते हैं। ‘यार, साला मूड-वूड देखता नहीं और अपनी टें-टें शुरू कर देता है।‘ मूड न हुआ, ऐब ढंकने वाला ढक्कन हो गया। आसपास जहां भी आप नजर डालेंगे, आपको हर तबके के ऐसे न जाने कितने लोग मिल जाएंगे, जो मूड रूपी बीमारी से पीडि़त हैं, चाहे उद्योगपति हो, अफसर, विद्यार्थी हो या दुकानदार या कोई बच्चा ही क्यों न हो। दरअसल, रुटीन हर व्यक्ति को ऊबा देता है। हर व्यक्ति, हर समय ऊर्जा से भरा हुआ पूर्ण रूप से उत्साहित नहीं रह सकता। कभी एट द टॉप ऑफ द वल्र्ड तो कभी एट लोअस्ट बॉटम, हाई और लो, वह महसूस करता ही है। रोजमर्रा के जीवन में कभी-कभी ऐसी न जाने कितनी छोटी-मोटी घटनाएं होती हैं, जिनसे किसी का भी मूड उखड़ सकता है। उदासी घेर लेती है और बेचैनी ‘चैन इक पल नहीं’ के सुर अलापने लगती है। मूड अपने आप ठीक नहीं होता। उसके लिए उपाय करने पड़ते हैं। कुछ कारगर उपाय व्यक्ति अपनी रुचि और क्षमतानुसार काम में ला सकता है जैसे संगीत प्रेमी संगीत से दिल बहला सकते हैं। नृत्य प्रेमी मनपसंद म्यूजिक या बीट्स पर थिरक सकते हैं। पेड़-पौधों की सोहबत का लाभ उठाते हुए बागवानी की जा सकती है। पुस्तक प्रेमी पत्र-पत्रिका, उपन्यास आदि, जिसमें भी उन्हें दिलचस्पी हो, उसका आनंद उठा सकते हैं। लिखने वाले लिखकर क्रिएटिव आर्ट का परमानंद उठा सकते हैं और बच्चों की भोली मीठी बातें तो सदाबहार हैं ही। रूखे से रूखे और डल व्यक्ति को भी वे रस से सराबोर कर देती हैं। ये सभी शौक अच्छा मूड बनाए रखने में सहायक होते हैं। मूड की अधीनता आपको बदनामी, रुसवाई, डांट-फटकार, प्रताडऩा जैसी नकारात्मक बातों का सामना करने पर बाध्य करती है। विद्यार्थी के सिर पर परीक्षा है? लेकिन पढऩे का मूड नहीं बन रहा हो तो परिणाम क्या होगा, असफलता ही हाथ आएगी। गृहिणी गृहकार्यों से मुंह मोड़ेगी तो घर में खुशहाली नहीं रहेगी। ऑफिस में कार्यरत लोग कोई फाइल मूड न होने पर नहीं निपटाते हैं तो उन्हें बॉस की डांट-फटकार सुननी पड़ सकती है। फैक्टरी वर्कर मूड न होने पर काम नहीं करेंगे तो उत्पादन सफर करेगा। फैक्टरी  घाटे में जाने पर उनकी नौकरी तक खतरे में पड़ सकती है। जीवन में कई बार सुनहरे अवसर मूड के कारण हाथ से निकल जाते हैं और तब व्यक्ति के पास सिवाय पश्चाताप के कुछ नहीं बचता। हान और बड़े-बड़े लोग ऊंचाइयों तक सिर्फ इसलिए पहुंच सके, क्योंकि वे दृढ़निश्चयी थे। अथाह मेहनत, लगन, उत्साह और स्वयं की योग्यता में विश्वास जैसे गुण उनमें थे। मूड की अधीनता उन्होंने नहीं स्वीकारी। जो लोग मूड की प्रतीक्षा में अमूल्य समय नहीं गंवाते, वे जिंदगी की दौड़ में आगे निकल जाते हैं। आपको भले ही यूं लगे कि कोई जरूरी अहम कार्य के लिए आपका मूड नहीं है। आप उसमें जुटकर तो देखिए। भागता हुआ मूड स्वत: पकड़ में आ जाएगा। जरूरत है स्वयं पर विश्वास करने की। फिर आपको लगेगा- ओ मूड क्या होता है, मूड तो बनाने से बनता है। मूड में रहने से एक बड़ा फायदा होगा कि आप देखेंगे आपसे अब मित्र, संबंधी, परिवारजन नाराज कम रहने लगे हैं। चूंकि अब आप ज्यादा को-ऑपरेटिव हो गए हैं। वे लोग आपसे खुश रहने लगे हैं। भला ऐसा कौन नहीं चाहेगा कि लोग उससे खुश रहें, उसकी तारीफ करें? तो अब आप यह कहना छोड़ दें… मूड तो बस मूड है…. क्योंकि इसके अंजाम से आप अच्छी तरह अवगत हो चुके हैं।