बाइक का दीवानापन, बीमार करे तन

बाइक आज सबका पसंदीदा वाहन है। बच्चे-बड़े स्त्रा-पुरूष सभी इसे पसंद करते हैं। यह देश दुनिया, गांव शहर सर्वत्रा सबका चहेता है, इसीलिए इसकी संख्या सर्वत्रा सर्वाधिक है। यह गाड़ी सस्ती महंगी, हल्की भारी हर रूप में मिल जाती है। चलाने में सुविधाजनक एवं हर जगह उपयोग हो जाने के कारण यह वाहन अधिकाधिक उपयोग किया जाता है।
न भारत की सड़कें अच्छी हैं और न यहां की सड़क यातायात व्यवस्था सही है फिर भी अवसर देख उबड़-खाबड़ या व्यस्त सड़कों पर ही इसका सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इसके इसी दीवानेपन के कारण सबको इससे दुर्घटना एवं जान-माल की हानि का भय सताता रहता है।


सीखने के दौरान नौसिखिएपन में या अनुभवी होने के बाद भी हर बाइक चालक एक न एक दिन गिरता जरूर है भले ही उसे इस दौरान चोट न लगे। जब इसकी संख्या सर्वाधिक है तो स्वाभाविक है कि इससे दुर्घटनाएं भी सबसे अधिक होती होंगी।


जी हां, इससे अपने यहां सर्वाधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं। इनमें से 75 प्रतिशत लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाने के कारण होती हैं जबकि मात्रा 25 प्रतिशत दुर्घटनाएं खराब मौसम, सड़क तथा पैदल चल रहे लोगों के कारण होती हैं किंतु बाइक का फैशन सबकी सेहत को टेंशन दे रहा है। इसके दीवानेपन के कारण दुर्घटनाओं से अधिक बीमारियों का खतरा है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध के अनुसार तेज गति व छोटी उम्र से ही वाहन चलाने के कारण इसके चालक को आगे तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से इसके दीवाने चालक को लंबे समय तक या दैनिक चलाने के कारण हड्डियों से संबंधित बीमारियों हो रही हैं एवं श्वांस व आंखों को नुक्सान पहुंच रहा है।


बैक पैन व आर्थराइटिस

वर्तमान समय में कम उम्र से ही बच्चे गाड़ी चलाने लगे हैं जिससे उनमें आगे चलकर हड्डी से संबंधित कई प्रकार के रोगों की संभावना बढ़ने लगी है। लगातार कई किलोमीटर तक गाड़ी चलाने या दिन भर में न्यूनतम 15 से 20 किमी तक गाड़ी चलाने वालों को जबर्दस्त बैक पैन, पृष्ठ भाग में दर्द व आर्थराइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।


आंखों को नुक्सान

साधारणतया पैदल चलने पर व्यक्ति पर सामने से आती हवा का प्रभाव कम होता है जबकि गाड़ी चलाते समय वाहन की गति के साथ इसका प्रवाह बढ़ जाता है। इससे आंखों में सीधे धूल के कण, कीड़े मच्छर आदि चले जाते हैं जो आंखों को नुक्सान पहुंचाते हैं। इससे आंखों का लाल हो जाना, आंखों में जलन होना, आंखों से अधिक पानी व कीचड़ निकलना जैसी समस्या होने लगती हैं।


बाइकर्स चाहे किशोरवय के हों या, बड़े हों, साधारणतया गाड़ी चलाने वाले सभी को यह परेशानी होती है अतएव बचाव के लिए कवर्ड सनग्लासेस का उपयोग गाड़ी चलाते समय करना चाहिए जिससे आंखों में सीधे धूल के कण, हवा के कण जैसी चीजें न जा सकें और आंखें प्रभाव से बच जाएं।


एलर्जिक समस्या

गाड़ी चलाने से लगातार धूल व धुएं के संपर्क में रहने के कारण श्वांस संबंधित बीमारियां भी हो सकती हैं। धूल के महीन कण एवं वाहनों के चलने से उसके धुएं के साथ निकलने वाले महीन कण जो हमें नहीं दिखते, वे श्वास लेने में रूकावट तो नहीं डालते किंतु नाक से भीतर प्रवेश कर जाते हैं और आगे श्वांस नली में जमा होकर वायु के आवागमन में रूकावट पैदा करते हैं जिससे कई तरह की एलर्जिक समस्याएं होने लगती हैं।


दीवाने बाइकर्स पर पड़ने वाला प्रभाव

लम्बी दूरी या लंबे समय तक बाइक चलाने वाले को अनेक तरह की परेशानियां धीरे-धीरे होने लगती है। कुछ शारीरिक व मानसिक होती हैं। हाथों, अंगुलियों, पैरों, टखनों, घुटनों, गर्दन, आंखें, कलाइयों में दर्द रहने की शिकायतें सामने आने लगी हैं।


बाइक चलाते लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रहने के कारण पीठ दर्द, एवं अंगुलियां सुन्न होने लगती हैं या फिर अचानक हाथ पांव की नसें अकड़ने लगती हैं और उनमें खिंचाव आने लगता है। बाइक चलाते समय बार-बार क्रेम्प का आना खतरे को गंभीर चेतावनी है। पीठ से उठा दर्द जब गर्दन से होते कंधे तक पहुंचता है तो वाहन चलाने से कोफ्त होने लगती है किंतु तब तक वाहन जरूरत से ज्यादा मजबूरी बन चुकी होती है। घंटों क्लच और ब्रेक दबा-दबाकर यहां वहां आजीविका के काम, ड्यूटी के कारण भागना पड़ता है जिससे लगातार ड्राइविंग के चलते शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द व परेशानियां गंभीर बीमारी के अलावा दुर्घटना का भी कारण बनती हैं।


शरीर की थकान दिमाग पर हावी होकर मानसिक स्थिति भी गड़बड़ा देती है। ऐसे बाइकर्स पीड़ित होकर अब चिकित्सकों के पास पहुंचने लगे हैं। दवा, व्यायाम एवं विश्राम मिलकर पीड़ित को कुछ राहत दिला सकते हैं किंतु आगे भी बाइक की सवारी फिर पूर्ववत जारी रखने से परेशानी बढ़ सकती है या स्थाई हो सकती है।


बाइकरों का ब्यौरा

बाइकर्स चलाते समय अपनी पोजीशन एक जैसी स्थिति में रखने के कारण गर्दन व पीठ दर्द से सर्वाधिक पीड़ित हैं। इनमें 45 प्रतिशत पुरूष एवं 55 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये इलाज भी कराने लगे हैं। इनमें से 30 प्रतिशत को पेट दर्द की शिकायत भी है जबकि 67 प्रतिशत बाइकर्स गर्दन के साथ कंधों में दर्द से परेशान हैं। इनमें वे हैं जो आठ दिनों के दौरान लगभग 500 कि. मी. तक कुल गाड़ी चला लेते हैं।


16 से 24 वर्ष के युवाओं में से ही तीन में से एक पीठ दर्द से परेशान है।
यहां का हर दूसरा बाइकर गर्दन दर्द और जकड़न की समस्या से ग्रस्त है।
महानगरों का हर दूसरा बाइकर युवा आंखों की परेशानियों से जूझ रहा है।