भयमुक्त रहने में जीवन का आनंद है

ईसा और गांधी का दर्शन कि कोई एक थप्पड़ मारे तो उसके आगे दूसरा गाल कर दो, आज के संदर्भ में बेमानी सा लगता है। आज का सच है कि मारने वाले का हाथ उठने से पहले ही रोक दिया जाए।


अपनी क्षमता को विकसित करना हर एक का अधिकार है। महिलाओं को कैरियर में कामयाबी के लिए बोल्ड तो होना पड़ेगा। आत्मविश्वास की कमी उन्हें चिंताओं के घेरे में कैद कर देती है। चाहे वह कोई काम उन्हें कितना ही अच्छा क्यों न आता हो लेकिन असफलता का भय उन्हें आगे बढ़ने से रोक देता है।


असफलता का भय ही कई बार महिलाओं को बहस में अपना पक्ष प्रबल होने पर भी चुप रह जाने पर मजबूर कर देता है। अपने बारे में कुछ कहना हमेशा बड़बोलापन नहीं होता।
शेक्सपीयर ने एक जगह लिखा है कि कायर बार-बार मरता है। भयभीत होकर जीने से बढ़कर और क्या दुर्भाग्य होगा। मानसिक रूप से यह एक अत्यंत तकलीफदेह स्थिति होती है।


इसका असर शरीर पर पड़ता है। बीमारियां जैसे सिरदर्द, अल्सर, अपच, पीठ में तकलीफ आदि पीछे लग जाती हैं। मनोवैज्ञानिकों का यह मानना है कि भय से भागने के बजाय उसका सामना करें क्योंकि भय हमारी डायनेमिक पावर को क्षतिग्रस्त करता है। उन चीजों को प्राप्त करने से वंचित रखता है जिससे हम अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं। हमें तब एक बंधे बंधाये रूटीन को अपनाकर चलना ही उचित लगता है।


कहावत है ‘नो एडवेंचर, नो गेन‘ कुछ पाने के लिये प्रयत्न तो करना ही होगा। प्यार और पैसा, ये दो चीजें सभी को अजीज होती हैं। इन्हें गंवाने का भय अक्सर महिलाओं में असुरक्षा की भावना पैदा करता है।


जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए हर प्रकार से भयमुक्त रहना जरूरी है। भयमुक्त रहने के लिये निम्न उपाय आजमाए जा सकते हैं।


जब भी भय लगने लगे तो आप स्वयं अपने को हिम्मत बंधाएं, एक सच्चे हमदर्द की तरह। अपने आप को यकीन दिलाएं कि आप इससे अच्छी तरह निपटने की पूर्ण क्षमता रखती हैं।
किसी अपने को हमराज बनाएं। उससे मदद लें। यह आपकी सुरक्षा की भावना प्रबल करेगा। आपको लगेगा कि आप अकेली नहीं हैं।


डायवर्जन यानी ध्यान बंटाना, यह भय दूर करने का एक अच्छा सरल उपाय है। मंत्रा जाप, संगीत, व्यायाम, पुस्तकें, ये तो हुए इनडोर डायवर्जन। बाहर के लिए हैं कोई अच्छी फिल्म, सांस्कृतिक प्रोग्राम, क्लब, घूमना फिरना आदि ।


जीवन में सकारात्मक सोच रखकर जीने से बढ़कर कुछ नहीं। बड़ी से बड़ी चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना ठंडे दिमाग से किया जाए तो समस्याओं को सुलझते देर नहीं लगती। आत्मविश्वास जब डगमगाने लगे और भय के पंजे पैर पसारें, ऐसे में आप अपने द्वारा किये गए चुनौतीपूर्ण कार्यों को याद करें। भय सिमट कर दूर हो जाऐगा।


भय को कभी अपने पर हावी न होने दें। जैसे सुख-दुख आती जाती छांव है, भय भी ज्यादा देर नहीं रहता, यह मानकर चलें।