सेबी को एफएंडओ कारोबर के चर्चा पत्र पर 6,000 हितधारकों से मिले सुझाव

मुंबई, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक को वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) कारोबार पर जारी परामर्श पत्र पर करीब 6,000 हितधारकों से सुझाव मिले हैं।

सेबी ने जुलाई में जारी अपने परामर्श पत्र में सात उपायों का प्रस्ताव दिया था। इनमें न्यूनतम अनुबंध आकार में वृद्धि व विकल्प प्रीमियम का अग्रिम संग्रह, स्थिति सीमाओं की ‘इंट्रा-डे’ निगरानी, ‘​​स्ट्राइक’ कीमतों का युक्तिकरण, अंतिम दिन (एक्सपायरी डे) पर ‘कैलेंडर स्प्रेड’ लाभ को हटाना और निकट अनुबंध समाप्ति मुनाफे में वृद्धि शामिल है।

इन उपायों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाना तथा ‘डेरिवेटिव’ बाजारों में बाजार स्थिरता को बढ़ावा देना है।

‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024’ में बुच ने कहा कि नियामक को एफएंडओ खंड पर परामर्श पत्र पर करीब 6,000 हितधारकों से सुझाव मिले हैं। साथ ही प्रौद्योगिकी ने इतनी बड़ी संख्या में सुझावों पर गौर करना आसान बना दिया है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सेबी कई दर्जन कृत्रिम मेधा (एआई) संचालित प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहा है, जिनका मकसद एआई का इस्तेमाल कर निगरानी और प्रसंस्करण में सुधार करना है।

इस महीने की शुरुआत में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी. ने कहा था कि ‘डेरिवेटिव’ कारोबार पर पाबंदियां लगाने के पीछे पूंजी बाजार नियामक का ‘‘ प्रथम उद्देश्य ’’ विकल्प कारोबार में ‘‘ अंतिम दिन होने वाली गहमागहमी को नियंत्रित करना है।’’

उन्होंने स्पष्ट किया कि सेबी का ‘डेरिवेटिव’ को प्रतिबंधित करने का कोई इरादा नहीं है।

इससे पहले, सेबी प्रमुख ने बताया था कि समस्याग्रस्त वायदा एवं विकल्प खंड में परिवारों को प्रति वर्ष 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो रहा है। वहीं सेबी के शोध में पता चला था कि खुदरा व्यापारी एफएंडओ खंड में 10 में से नौ कारोबार में नुकसान उठाते हैं।

सरकार ने जुलाई में केंद्रीय बजट में ‘डेरिवेटिव’ खंड में अत्यधिक सक्रिय रुचि के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए एक अक्टूबर से वायदा व विकल्प व्यापार दोनों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) बढ़ा दिया था।