एकाकी जीवन का आनंद

शिक्षा की व्यवस्था एवं उपलब्धता ने वर्तमान समय में नारी के जीवन को नव-आयाम दे दिया है। उसके सामने अब पढ़ने-लिखने के बाद रोजगार के अनेक अवसर और माध्यम मौजूद हैं। ऐसी स्थिति में वह पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े होने और जीवन को मनोनुकूल संवारने एवं एकाकी जीवन जीने के लिए समर्थ हैं।


ऐसी हजारों नारियां आज एकाकी और कामयाब जीवन बिता रही हैं। ऐसी अविवाहित एकाकी नारी को अपने अकेले होने का कोई दुख और संताप नहीं होता। वह तो खुले आसमान में आजाद पक्षी बनकर उड़ान भर रही है। वर्तमान समय में छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक में ऐसी नारियां मिलती हैं जो अकेली और अविवाहित हैं।
विवाह की रस्म बाध्यता नहीं


ज्यादातर अविवाहित महिलाएं अकेले ही खुश हैं। कहा जाता है  कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और ऊपर वाले ने हर किसी के लिए एक जीवन साथी अवश्य बनाया है। इस धारणा एवं मान्यता को नकारते हुए आज हजारों नारियां एकाकी जीवन बिता रही हैं। इनके लिए न तो विवाह प्राथमिकता है और न ही अकेलापन कोई समस्या है। इनके लिए तो किसी भी दृष्टि से विवाह करना जीवन की आवश्यकता नहीं है। ये एकाकी जिंदगी बिताने को अपना अधिकार मानती हैं और विवाह को बाध्यता नहीं मानती।


अकेले हैं तो क्या गम है

अपने देश में अविवाहित, तलाकशुदा, परित्यक्ता और विधवा महिलाओं की संख्या लाखों में हैं। ये सभी खतरों, उतार-चढ़ाव, शारीरिक मानसिक प्रताड़नाओं के पश्चात भी अकेले रहकर, साहस जुटाकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर रही हैं। मात्रा महानगरों में ही नहीं, गांवों से निकली महिलाएं भी इस एकाकीपन को अपनी सफलता की सीढ़ी बना रही है।
एकाकी रहने वाली 93 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि उनका अकेलापन गृहस्थ महिलाओं की अपेक्षा जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल रहने में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है। इससे उन्हें स्वतंत्राता के साथ जीने का अवसर मिला है।


सर्वेक्षण का परिणाम

अविवाहित, तलाकशुदा, परित्यक्ता और विधवा महिलाओं को लेकर किए गए सर्वेक्षण और चर्चा से अनेक निर्णायक, महत्त्वपूर्ण एवं काम की बातें सामने आयी।
93 प्रतिशत ऐसी महिलाओं का मानना है कि उनका एकाकीपन कार्य एवं व्यवसाय क्षेत्रा में सफल होने में उनके लिए सहायक सिद्ध हुआ है। इस माध्यम से उन्हें सभी कार्य के लिए पूर्ण स्वतंत्राता मिली।


87 प्रतिशत ऐसी महिलाएं मानती हैं कि उन्हें एकाकी जीवन से पूर्ण संतुष्टि मिली है। फिर भी इनको यौन शोषण का खतरा रहता है।


54 प्रतिशत ऐसी महिलाएं अपने को पुरूषों के प्रति आकर्षण से मुक्त नहीं मानती।
65 प्रतिशत ऐसी महिलाएं जीवन में पति की आवश्यकता को व्यर्थ मानती हैं। ये विवाह के लिए रंच मात्रा भी इच्छुक नहीं हैं।


53 प्रतिशत ऐसी महिलाएं मानती हैं कि समाज में विवाह एवं पति को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दिया जाता है।


ऐसी सभी महिलाएं अपने एकाकी जीवन के निर्णय एवं अवसर से संतुष्ट दिखी। इनको विवाहित जीवन एवं पति की छांव से दूर सुरक्षित जीवन रास आ रहा है।


ये जरूरत पड़ने पर किसी छोटे बच्चे को गोद लेने एवं पालने को महत्त्व देंगी।


इन्हें खालीपन नहीं अखरता है। ये रूचि के अनुसार कार्यक्रमों में भाग लेती हैं या मनोरंजन के आधुनिक साधनों का आनंद उठाती हैं। चिंतामुक्त  जी भर कर सोती है।
एकाकी जीवन जीने वाले पुरूषों की संख्या स्त्रियों की तुलना में अत्यंत कम है।