योग द्वारा मधुमेह का उपचार

वर्तमान समय में मधुमेह अर्थात् डायबिटीज का प्रकोप ‘सुरसा‘ की तरह मुंह फैलाये अधिकांश आबादी को अपनी गिरफ्त में बांधता जा रहा है। यह एक ऐसी समस्या बन गयी है जिसका आंशिक समाधान करना भी संभव नहीं हो पा रहा है। नियमित रूप से औषधियों का सेवन करते रहना एवं रक्त शर्करा की जांच कराते रहना मधुमेह रोग से ग्रसित रोगियों की नियति सी बन चुकी है।


मधुमेह रोग से रोगमुक्ति का विकल्प अभी तक ढूंढ़ा जाना संभव नहीं हो सका है। विश्व स्तर पर अनेक अनुसंधान चल रहे हैं परंतु अभी तक कोई ऐसा सकारात्मक उपचार नहीं ढूंढा जा सकता है जिससे मधुमेह की त्रासदी से त्राण पाया जा सके।


प्राचीन एवं आधुनिक वैज्ञानिक युग के चिकित्सा शास्त्रियों ने मधुमेह रोग के संबंध में यही निष्कर्ष निकाला है कि शरीर की रस क्रिया प्रणाली में विकार उत्पन्न होने से मधुमेह की संप्राप्ति होती है। पैंक्रियाज के सेलों की क्षति हो जाने पर शरीर में इंसुलिन के समान जीवनी शक्ति वाले हार्मोंस की कमी हो जाती है। फलस्वरूप चयापचय की क्रिया भंग हो जाती है और डायबिटीज रोग का प्रकोप हो जाता है।


मधुमेह का प्रकोप एकाएक न होकर धीरे-धीरे होता है। इसके दो प्रकार होते हैं जिसे-मधुमेह व मूत्रामेह के नाम से जाना जाता है। मूत्रा के साथ शक्कर निकलने की स्थिति में यह मधुमेह कहलाता है और अत्यधिक मूत्रा होने की दशा में इसे मूत्रामेह कहा जाता है।


यह रोग उत्पन्न होने पर कब्जियत, सिरदर्द, भूख-प्यास की अधिकता, पेशाब का बार-बार आना, त्वचा का खुश्क एवं खुरदरा होना, घाव का देर से भरना, हाथ-पैरों का सुन्न हो जाना, घबराहट, मूर्च्छा, अनिद्रा, मानसिक असंतुलन आदि की स्थितियां प्रकट होने लगती हैं। रोग के अधिक बढ़ जाने पर शारीरिक शक्ति में कमी, जोड़ों में दर्द, दृष्टि में कमी, पीठ में फोड़े आदि का होना परिलक्षित होता है।


इस रोग में इंसुलिन के अभाव में हारमोनों की कमी और पाचक रस के अभाव में चयापचय भंग हो जाता है। मानसिक तनाव के कारण अग्न्याशय अर्थात् पैंक्रियाज कार्य करना बंद कर देती है। फलतः बीटा सेल इंसुलिन पैदा करता है और बीटा सेल की मात्रा कम होती चली जाती है। इस कारण रक्त में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है और यही वृद्धि मधुमेह रोग बनकर शरीर को हर प्रकार से दुर्बल बना सकती है।


असंतुलित एवं आरामदायक जीवन चर्या, मोटापा, मानसिक तनाव, शारीरिक श्रम की कमी, अधिक मानसिक परिश्रम आदि के कारणों से मधुमेह की बीमारी ग्रसित कर लेती है।
योगदर्शन एकमात्रा ऐसा विकल्प है जो शरीर एवं मन दोनों को ही हर प्रकार से मल रहित करके रोग मुक्ति का लाभ प्रदान करता है। योग प्राकृतिक जीवनचर्या पर आधारित होता है जो आत्मज्ञान से आरोग्यप्रद दीर्घ जीवन जीने का मार्गदर्शन करता है। इस क्रिया से रोगी के सभी शारीरिक अवयव शुद्ध हो जाते हैं और मधुमेह से त्राण पाने की संभावना अधिक बन जाती है।


सिद्धासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, हलासन, चक्रासन और मयूरासनों का अभ्यास मधुप्रमेह के रोगियों के लिए लाभदायक माना जाता है। इसके साथ ही कुछ यौगिक क्रियायें भी मधुमेह से राहत दिलाती हैं जैसे-वमन धोती, अन्तःस्रावी गं्रथियों एवं नाड़ी संस्थान को संतुलित रखने के लिए नेतिक्रिया का अभ्यास, सर्वांग शरीर की मालिश, भावनात्मक एवं मानसिक चंचलता को दूर करने के लिए ध्यान, भजन, गायन एवं लघु शंख प्रक्षालन आदि की क्रियाएं पाचन तंत्रा को शक्ति प्रदान करती हैं और मधुमेह पर नियंत्राण करती हैं।


निष्ठापूर्वक ब्रह्मचर्य का पालन, जल चिकित्सा, सूर्य नमस्कार एवं सूर्याराधना, स्वच्छ वायु का सेवन, प्रातः काल टहलना, सदाचार का पालन, दिनचर्या एवं खान-पान पर नियंत्राण कर किया गया योग का अभ्यास तुरंत फलदायी होता है।


योगाभ्यास के साथ-साथ उपवास भी मधुमेह से रोगमुक्त कराने में सहायक होता है। उपवास के समय खट्टे फलों का रस, लस्सी व नारियल का पानी लेते रहना चाहिए। आहार सिद्धांत के अनुसार रोगी को कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को घटाकर प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
अत्यधिक मोटापा और मधुमेह का घनिष्ठ संबंध होता है। मोटापे पर नियंत्राण पाने के लिए आवश्यक उपायों को करते रहना चाहिए। इसके लिए मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन, मयूरासन, सुप्त वज्रासन, धनुरासन और अर्द्धमत्स्येन्द्रासन का अभ्यास उपयोगी सिद्ध होता है।


सुबह खाली पेट आंवले का पानी या रस आधा गिलास पीना, दिन में चार बार नींबू पानी पीना, सुबह, दोपहर एवं शाम में 250 ग्राम करेले के रस में 500 ग्राम पानी मिलाकर खूब औटा लें। जब पानी 50 ग्राम बच जाये तो उसे पीना चाहिए। दही व मेथी का सेवन लाभदायक होता है। घी, खटाई, मिर्च आदि के साथ ही अधिक मीठे पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए।
मधुमेह के साथ ही अगर उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) की शिकायत भी हो तो रोगी को वज्रासन, सिद्धासन, पद्मासन, मत्स्यासन तथा शवासन का भी अभ्यास करते रहना चाहिए ताकि मोटापे पर अतिशीघ्र नियंत्राण पाया जा सके।


 अमरीका के कर्मिल विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन के अनुसार अगर ऐसे व्यायाम किये जाएं जिनमें हाथ और पैर दोनों का एक साथ उपयोग हो तो मोटापा जल्दी घटता है।