मालदीव के सत्तारूढ़ गठबंधन ने चुनावों के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को उभारा: यूरोपीय संघ की रिपोर्ट

लंदन,  प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2023 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को उभारा और इस विषय पर दुष्प्रचार का प्रयास किया। यूरोपीय संघ (ईयू) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

मालदीव के लिए यूरोपियन इलेक्शन ऑब्जरवेशन मिशन (ईयू ईओएम) ने पिछले साल नौ और 30 सितंबर को हुए दो दौर के चुनाव पर मंगलवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की।

राष्ट्रीय अधिकारियों के निमंत्रण पर हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र में 11 सप्ताह के लंबे अवलोकन के बाद ईयू ईओएम ने कहा कि पीपीएम-पीएनसी गठबंधन द्वारा चलाया गया अभियान राष्ट्र पर भारत के प्रभाव की आशंकाओं पर आधारित था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ईयू ईओएम पर्यवेक्षकों ने पीपीएम-पीएनसी की ओर से राष्ट्रपति के प्रति अपमानजनक भाषा के उदाहरण देखे हैं।’’

इसमें कहा गया, ‘‘पार्टियों के अभियान में भारत विरोधी भावनाएं शामिल थीं। देश के अंदर भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति के बारे में भी चिंता प्रकट की गई थी। इसके साथ ही ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान चलाए गए।’’

ईयू मिशन ने उल्लेख किया कि राजनीतिक और प्रचार अभियान के तहत धन उगाहने और वित्तीय व्यय में पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी का अभाव देखा गया। ईयू ईओएम ने सरकारी मीडिया सहित मीडिया के राजनीतिक पक्षपात को भी दर्ज किया, जबकि सोशल मीडिया में सूचना में हेरफेर के भी कुछ संकेत मिले।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दोनों खेमे नकारात्मक प्रचार में भी लगे हुए थे। एक खेमा भारतीय सेना की उपस्थिति की अनुमति देने का आरोप भी लगा रहे थे।’’

उस समय के मौजूदा राष्ट्रपति, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, पिछले साल फिर से चुनाव में उतरे थे। विपक्षी पीपीएम-पीएनसी गठबंधन द्वारा समर्थित पीएनसी के मोहम्मद मुइज्जू ने उन्हें हराकर 54 प्रतिशत वोटों के साथ चुनाव जीता।

ईयू ईओएम रिपोर्ट मालदीव में भविष्य के चुनावों में सुधार के लिए 20 सिफारिशें की गई हैं, जिसमें गलत सूचना से निपटने के लिए तथ्य-जांच की पहल और सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में महिलाओं को अधिक नेतृत्व पदों पर बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं।

यह रिपोर्ट उस विवाद के बीच आई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव के तीन उपमंत्रियों द्वारा किए गए अपमानजनक पोस्ट पर विवाद पैदा होने के बाद भारत ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया था। मालदीव के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं और सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।