मप्र उच्च न्यायालय ने खारिज की इंदौर में कांग्रेस के ‘‘डमी’’ उम्मीदवार की अपील

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इंदौर, कांग्रेस को इंदौर लोकसभा क्षेत्र में एक बार फिर झटका लगा है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने कांग्रेस के “डमी” (वैकल्पिक) उम्मीदवार मोती सिंह की अपील खारिज कर दी है।

अपील के जरिये सिंह ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के 30 अप्रैल के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ के पंजे के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति की गुहार वाली उनकी याचिका नामंजूर कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.ए. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने एकल पीठ के फैसले को सही ठहराया और कांग्रेस के “डमी” उम्मीदवार की दायर अपील को ‘‘योग्यता और तथ्यों से रहित’’ बताते हुए खारिज कर दिया।

युगल पीठ ने सिंह की अपील पर शुक्रवार को सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे शनिवार को जाहिर किया गया।

सिंह का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा आठ दिन पहले खारिज किया जा चुका है, लेकिन उन्होंने इंदौर के कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के पर्चा वापस लेने का हवाला देते हुए अदालत से गुहार की थी कि उन्हें पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।

सिंह की ओर से दायर अपील में कहा गया था कि निर्वाचन अधिकारी ने उनका पर्चा दस्तावेजों की छानबीन के दौरान 26 अप्रैल को कथित रूप से त्रुटिपूर्ण तरीके से केवल इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह महज वैकल्पिक उम्मीदवार हैं, जबकि बम पार्टी के स्वीकृत प्रत्याशी हैं।

अपील में कहा गया है कि चूंकि बम ने पर्चा वापस ले लिया है, इसलिए चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन आदेश) 1968 के तहत सिंह को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजे के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उधर, निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि चूंकि सिंह का पर्चा पहले ही खारिज किया जा चुका है, इसलिए उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

सिंह के वकील जयेश गुरनानी ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के बारे में कानून के जानकारों से सलाह-मशविरा किया जा रहा है।

बम ने इंदौर में कांग्रेस को जोरदार झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को पर्चा वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। इसके साथ ही इस सीट पर अब कांग्रेस की चुनावी चुनौती समाप्त हो गई जहां वह पिछले 35 साल से जीत की बाट जोह रही है।

 

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