महाकाल का कोप या साजिश

भारतीय बाजारों में खाद्य पदार्थों में मिलावट कर भारतीयों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिस पर शासन- प्रशासन की दृष्टि होते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं होती! जिससे निर्दोष नागरिकों को लाइलाज बीमारी की तकलीफों को झेलने के साथ अपनी जीवन भर की कमाई अस्पतालों को भेंट में देना पड़ती है।सोया तेल सूर्यमुखी, राइस तेल,मक्का का तेल जिसे हृदय के लिए सेहत मंद कह कर बेचा जा रहा है ! वह भी बड़ी- बड़ी ब्रांडेड कंपनियों के द्वारा! मगर अराजकता! के चलते तेल , नमक, हल्दी, मिर्ची, काली मिर्ची और भी कई खाद्य पदार्थों में मिलावट कर विषैली बनाई जा रही हैं।और खुले आम धड़ल्ले से मॉल में , बिग बाजारों में बेची जा रही है!


ऐसी ही मिलावट की एक जानलेवा घटना का मैं इस लेख में  उल्लेख करना चाहता हूं ,अभी कुछ ही दिनों पहले की बात है , उज्जैन के महाकाल मंदिर में सुबह की भस्मारती में आगजनी की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी, जिसमें कई निर्दोष पुजारी और अन्य भक्त गंभीर रूप से झुलस गए थे।


कहते हैं कि इस दिन मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री जी के परिजन भी सम्मिलित थे जो बाल- बाल बच गए! सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि क्या इस घटना की बारीकी से जांच होगी? इस घटना में मुख्य तथ्य यह है कि गर्भ गृह में होली के लिए गुलाल या रंग का प्रयोग किया गया था वह भी रसायन मिला हुआ था और उसी रसायन के कारण यह अग्नि कांड हुआ। महाकाल के कोप करने की भ्रांतियां भी फैलाई जा रही हैं।मगर वास्तविकता यही है! हो सकता है कि किन्ही विधर्मियों द्वारा इस विख्यात हिंदू धर्म स्थान को जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, को बदनाम करने के लिए रंगों, गुलाल में बारूद जिसे पटाखों में उपयोग किया जाता है मिलाया गया हो!


इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि महाकाल मंदिर के आसपास कई दुकानों, स्टालों, ठेलों, गुमटियों पर खुले आम मिलावटी कंकू गुलाल, सिंदूर बेचा जाता है जिसमें केमिकल मिला होता है। आप भी यह तो जानते ही होंगे कि गुलाल और कंकू जो शुद्ध होता है, कभी त्वचा पर चिपकता नहीं है मगर यहां बेचा जा रहा यह रंग, गुलाल रसायन मिला होता है, जो साबुन से धोने पर भी नहीं छूटता। ऐसा नहीं कि यह गोरख धंधा केवल उज्जैन में ही चल रहा है बल्कि यह पूरे भारतवर्ष के धर्म स्थानों में चल रहा है। आवश्यकता है तो इस मिलावटी गोरख धंधे में लगे उन लालची मिलावट खोरों पर सख्त कार्रवाई करने की।ताकि देश के निर्दोष नागरिकों को लुटने और असमय काल के गाल में समाने से बचाने की।
जिम्मेदार अधिकारी और सरकार के कानों तक यदि यह बात पहुंचेगी और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी तो निश्चित ही मेरा यह लेख लिखना सार्थक होगा,तथा भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो पाएगी।