लोकतंत्र का महापर्व है – चुनाव

आज भारतवर्ष विश्व की उभरती हुई सबसे बड़ी महाशक्ति है। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से आज हम पांचवें स्थान पर हैं। सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद भी आज हमारी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एकता बनी हुई है। अपने देश, अपनी मातृभूमि के प्रति लोगों में प्रेम, भक्ति देखते ही बनती है। आज हम विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देश भी बन चुके हैं। विश्व में सबसे अधिक युवाओं की संख्या भारत में ही है। आज पूरा विश्व भारत से राजनीतिक, आर्थिक आदि कितने ही समझौते करने को तैयार हैं। भारतवर्ष युगों-युगों से विश्वशांति का अग्रदूत रहा है। हमने विश्व मानवता का संदेश भी दिया है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

भारतवर्ष में विविधता के कितने ही रंग भरे हुए हैं। भारतवर्ष के विविध रहन-सहन, खान-पान आदि सभी हमारे देश की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। विश्व के लगभग सभी धर्म, जातियों, संप्रदायों के लोग भारतवर्ष की भूमि पर मिल जाएंगे। यहाँ सभी प्रेम से रहते हैं और एक दूसरे से सुंदर व्यवहार करते हैं। भारत में इतनी विविधता और विश्व की सबसे ज्यादा आबादी होने पर भी लोकतंत्र हम सबके हृदय में बसता है। लोकतंत्र हम सभी का संबल है अर्थात हमारी शक्ति है। हमें अपने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गर्व है।

लोकतंत्र में चुनाव ही सबसे बड़ी शक्ति है। भारत के अलग-अलग राज्यों में चुनाव समय-समय पर निगम, विधानसभा आदि के होते रहते हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी शक्ति और वादों का पिटारा लेकर चुनाव में जनता के बीच पहुंच भी जाते हैं। लोगों से वोट मांगते हैं। लोकसभा चुनाव में बड़े-छोटे सभी दलों के नेता कभी समझौता करते, कभी एक दल से दूसरे दल में जाते, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते, हमें दिखाई-सुनाई दे जाते हैं। चुनाव के दौर में चारों ओर चुनाव की ही बातें सुनाई देती हैं, चुनाव का ही शोर मचा रहता है। सभी दल जनता को अपने लोक लुभावना वादे और कामों की चर्चा, अपनी सभाओं-रैलियों में करते दिखाई-सुनाई पड़ जाते हैं।

सभी राजनीतिक दल चुनाव में जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। अपने-अपने घोषणा पत्र जारी करते हैं। जनता के बीच पिछली सरकारों के कामों और अपने कामों को बताते-समझते नजर आते हैं। चुनाव में जनता, सरकार और नेताओं की भाग्य विधाता बनाकर, उनको पाँच वर्ष तक चुनने का कार्य करती है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है, उसकी वोट की कीमत देश की राजनीति और राजनेता दोनों ही जानते हैं। साथ ही वोटर भी अपनी शक्ति और मत का सही से प्रयोग करते हैं।

भारतीय लोकतंत्र में चुनाव महापर्व है। इसमें हर एक वयस्क को जो 18 वर्ष के हो गये हैं, उनको वोट देने का अधिकार है। चुनाव आयोग और उससे जुड़ी संस्थाएं, देश के युवाओं के लिए वोटर कार्ड और वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए हमेशा कार्य करती रहती हैं। कोई भी युवा अपने मत के अधिकार से ना छूट जाए, इसके लिए जागरूकता अभियान तथा जगह-जगह कैंप लगाकर लोगों को सजक रूप से जोड़ना जारी रहता है। लोग अपने मत का सही से प्रयोग कर सकें, वोटिंग के दिन वोट करने जरूर जाएं आदि कितने ही जागरूकता अभियान भी चलाये जाते हैं। चुनाव आयोग लोकतंत्र में एक-एक वोट की कीमत को जानते हैं। इसलिए पहाड़ी, वन्य क्षेत्र, दुर्गम क्षेत्र आदि जहां कहीं भी भारतवर्ष की भूमि पर लोग रह रहे हैं, उनके लिए मतदान केंद्र बनाए जाते हैं। लोगों से वोट डालने का आवाहन किया जाता है। स्वस्थ, सुरक्षित वोटिंग के लिए भरसक प्रयास किये जाते हैं।

हम सभी देशवासियों को लोकतंत्र के महापर्व अर्थात चुनाव में वोटिंग के दिन को छुट्टी का दिन ना मानकर, वोटिंग का दिन मनाना चाहिए। अपने वोट का प्रयोग करना चाहिए। वोट डालने जरूर जाना चाहिए। अपने आसपास लोगों को भी जागरूक करके लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करना चाहिए। अपने लोकतंत्र को सुंदर, ताकतवर बनाने के लिए हमें वोट जरुर डालना चाहिए।

 
डॉ. नीरज भारद्वाज