टाइगर स्टेट में चीतों के कुनबे को लगे पंख, मध्यप्रदेश के कूनो में बढ़ रहा है कुनबा

देश के जंगलों में बाघ-बघेरों का कुनबा बढऩे के साथ ही अब इसी (बिल्ली प्रजाति) संवर्ग के दूसरे जीव चीते को भी देश के जंगल रास आ रहे हैं , खासकर टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में।  इसे देखकर लगता है कि आने वाले वर्षों में वन्यजीवों में बाघ-बघेरों की आबादी के बाद दूसरा नंबर चीतों का ही रहने वाला है।  वह दिन दूर नहीं जब देश के कुछ खास वन्यजीव अभयारण्यों में बाघ-बाधिन की तरह चीतों की साइटिंग भी चर्चा में होगी। चीता शावक अठखेलियां करते नजर आएंगे। ऐसे में वन्य पर्यटन का भी तेजी से बढऩा तय है। ऐसे में चीतों का बढ़ता कुनबा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कूनो पार्क चीतों के आवास के लिए पूरी तरह अनुकूल साबित होता जा रहा है। कूनो के बाद अब मध्यप्रदेश के गांधी सागर नेशनल पार्क में भी चीतों के विस्थापन का कार्य शुरू होने जा रहा है।

 

*चुनौतीपूर्ण है चीतों का विस्थापन*

  वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि चीतों का विस्थापन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।  मानवीय दखल या इंसानों की नजदीकी तथा पिंजरों की वजह से यह वन्य जीव जल्द ही तनाव में आ जाता है। देश के जंगलों में बढ़ती तेंदुओं की संख्या भी इस जीव के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद कूनों में चीतों का कुनबा बढऩा भारतीय वनों में इसके लिए नई आशा का संचार करता दिख रहा है। टाइगर स्टेट में अब चीतों की उपस्थिति वन्यजीव प्रेमियों के लिए भी सुखद है। साथ ही पर्यटन क्षेत्र के लिए भी बड़ी संभावना है।  

 

*आशंकाएं निराधार, नए शावक ले रहे जन्म*

 खास बात यह है कि चीतों के बढ़ते कुनबे ने मध्यप्रदेश खासकर कूना वन्यजीव अभयारण्य की जलवायु संबंधी आशंकाओं का भी निराधार साबित कर दिया है। चीतों की मौत पर उठ रहे सवाल अब नव शावकों की किलकारियों में दबकर रह गए हैं। अब टाइगर स्टेट कहे जाने वाल मध्यप्रदेश में चीतों का कुनबा दो दर्जन पर कर 27 पर जा पहुंचा है। इस उपलब्धि से अब गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की शिफ्टिंग की राह भी आसान होती जा रही है। गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने इसी साल मार्च के दूसरे सप्ताह में कूनों में एक और चीता शावक की पुष्टि की थी। इसे मादा चीता गामिनी ने एक सप्ताह पहले ही जन्म दिया है।  अब तक 20 चीते कूनो में छोड़े  यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा गया था। इसके बाद दूसरे चरण में गत वर्ष 18 फरवरी 2023 को 12 चीते छोड़े गए थे जो दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। इस प्रकार कुल मिलाकर कूनो में 20 चीतों को छोड़ा गया था।  नौ हजार हैक्टेयर में बाडा़  कूनो नेशनल पार्क में चीतों के आवास के लिए करीब नौ हजार हैक्टेयर क्षेत्र में बाड़ा तैयार किया गया है। चीतों की निगरानी के लिए वन विभाग ने यहां काफी मेहनत की है और कई जगह कच्चा ट्रेक भी तैयार किया है ताकि चीतों को वहां छोड़े जाने पर उनकी निगरानी में सुविधा रहे। इसके अलावा यहां सीसीटीवी लगाने के लिए प्वाइंट भी तय किए गए हैं। पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 17 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई है।  

 

*गांधी सागर में सोलर इलैक्ट्रिक फैंसिंग*

कूनो के बाद अब प्रदेश के दूसरे अभयारण्य गांधी सागर में चीतों की शिफ्ििटंग को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। यहां भी आने वाले दिनों में चीता शावक अठखेलियां करते नजर आएंगे।  गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की सुरक्षा को लेकर करीब 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सोलर इलैक्ट्रिक फैंसिंग का कार्य प्रगति पर है। यहां चीतों को क्वारंटाइन रखने के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही निगरानी के लिए भी उपकरण लगाए जाने हैं।

 

*चीतल-हिरणों की बढ़ेगी संख्या*

चीतों के आवास के बाद उनके आहार की व्यवस्था भी विभाग करने में जुटा है। गौरतलब है कि चीतों का प्रमुख आहार हिरण-चीतल हैंञ गांधी सागर अभयारण्य में फिलहाल करीब 300 हिरण-चीतल आदि बताए जाते हैं जिनकी संख्या आने वाले समय में करीब 1500 तक किए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार कान्हा नेशनल पार्क, नरसिंहगढ़ और भोपाल से हिरण व चीतलों को लाने की स्वीकृति मिल चुकी है और इन्हें जल्द ही गांधी सागर अभयारण्य में शिफ्ट कर दिया जाएगा। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में बसाए जाने को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। लेकिन पूरी प्रक्रिया राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से ही तय होनी है। चीतों के लिए बाड़ा, क्वारंटाइन, फैंसिंग और शाकाहारी वन्यजीवों की शिफ्टिंग सहित अन्य कार्य लगभग पूरा किया जा चुका है लेकिन दो साल पहले हुई शुरुआत के बाद आए उतार-चढ़ाव के बावजूद मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क अब चीतों को रास आ रहा है। वन और पर्यावरण सहित वन्यजीवों की दृष्टि से पूरे देश के लिए यह सुखद अनुभव भी है।

हरिओम शर्मा