मालिश से मिलती है चुस्ती-फुर्ती

मालिश अर्थात् मसाज भारतीय जन-जीवन में प्रचलित स्वास्थ्य लाभ की एक स्वाभाविक क्रिया है। इसकी आवश्यकता बाल्यकाल से लेकर वृद्धावस्था तक बनी रहती है। मानव जीवन के हर पड़ाव में एवं रोगों की किसी भी अवस्था में उपयुक्त मालिश से लाभ पाया जा सकता है।


यह सर्वाधिक प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा में स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से वर्णित है। आयुर्वेद चिकित्सक इसे अपनाने की सलाह देते हैं जबकि आधुनिक चिकित्सा जगत इस पर बंटा हुआ है।


आम जन इसे रोगों के उपचार करने का सबसे बेहतरीन एवं सरल माध्यम मानता है। यह हजारों साल से पीढ़ी दर पीढ़ी अपने देश के हर घर में चली आ रही एक सामान्य परंपरा है।
इससे शरीर की भीतरी व बाहरी सफाई भी होती है। टाक्सिन अर्थात् विषाक्त तत्व प्रदूषण आदि के कारण शरीर में जमा हो जाते हैं जो आगे अन्यान्य रोगों का कारण बन जाते हैं। मालिश इन्हीं विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालती है। यह शरीर को वसा रहित एवं मोटापा कम कर सुडौल बनाती है। यह रक्त प्रवाह सुधारती है। यह किसी दर्द की स्थिति में उसे दूर करती है। यह तनाव से राहत दिलाती है। चिंतामुक्त एवं प्रसन्न रखती है।


मालिश से शरीर की प्रणालियां सुधरती हैं। अच्छी नींद आती है। यह शरीर को सुस्ती-फुर्ती से भर देती है। मांस-पेशियों को मजबूत बनाती है। मालिश के अनेक प्रकार व विधियां हैं। यहां प्रातः उठकर शरीर की सफाई के बाद मालिश कर स्नान करने एवं रात्रि में सोने से पूर्व मालिश करने की प्रचीन परंपरा है। शैशवावस्था एवं बाल्यावस्था में शिशु एवं बालक को तेल लगाकर मालिश करने की परंपरा है। रूग्णावस्था में भी रोगी की मालिश की जाती है।
मालिश, कब, कैसे


प्रातः शौच से निवृत्ति के बाद और स्नान से पूर्व मालिश करना उत्तम होता है।
मालिश स्वयं करें या दूसरे से कराएं।
मालिश सदैव खाली पेट की जाती है।
मालिश सदैव हल्के-हल्के दबाव के साथ करें।
सबसे अंत में सिर की मालिश की जाती है।
मालिश के तत्काल बाद ठंडे स्थान या खुले में न जाएं।
मालिश के बाद गुनगुने पानी से स्नान करें।
बुखार, कब्ज, उपवास, उल्टी, दस्त गर्भावस्था, हड्डी टूटने, सूजे स्थान की मालिश न करें। हृदय रोग की स्थिति में हृदय से बाहर की ओर मालिश करें।


मालिश से लाभ

इससे चुस्ती-फुर्ती मिलती है। शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न रहता है। यह समस्त रोगों से बचाती है।
मालिश से थकावट दूर होती है। त्वचा कांतिवान व मुलायम हो जाती है। झुर्रियां जल्दी नहीं पड़ती।
इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।
इससे जकड़न व थकावट दूर होती है। मन शांत होता है तथा गहरी नींद आती है।
इससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
मालिश से शरीर की टूटफूट की मरम्मत होती है।
इससे रक्त प्रवाह सुधरता है।
इससे शरीर के समस्त अंग क्रियाशील होते हैं।
मालिश शारीरिक दर्द दूर करती है।
मालिश तनावमुक्त कर मानसिक राहत दिलाती है।
तेल मालिश के लिए सरसों का तेल, जैतून का तेल, तिल का तेल, बादाम का तेल, मूंगफली का तेल, राई का तेल आदि उपयोग किया जाता है।
सभी तेलों में लाभ देने वाले अलग-अलग गुण होते हैं। केरल में की जाने वाली आयुर्वेदिक मालिश, अभ्यंग मसाज स्वास्थ्य लाभ के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इसमें तेलों के साथ आयुर्वेद की जड़ी बूटियों का भी उपयोग किया जाता है।