तनाव से मिलता है सेहत लाभ

तनाव आज के जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है। सभी शोधों में तनाव की अधिकता को सेहत के लिए खतरनाक बताया गया है किंतु हालिया एक शोध में जो ब्रिटिश लांगिविटी सोसायटी में किया गया है इसके मुताबिक तनाव जवान रखता है एवं सेहतमंद बनाता है।
एक के बाद एक तनावपूर्ण कार्य करने से व्यक्ति अपने को ऊर्जावान एवं जवां महसूस करता है। शोधकर्ता हल्के फुल्के तनाव एवं कुछ हड़बड़ी से भरे काम करने की सलाह देते हैं। ये अल्प तनाव एवं हड़बड़ी व्यक्ति के प्राकृतिक सुरक्षातंत्रा को मजबूत बनाते हैं। उसे अल्जाइमर्स, आर्थराइटिस एवं हार्ट डिजीज से बचाता हैं। शोध में हल्के फुल्के तनाव को हर दृष्टि से फायदेमंद बताया गया है।


एयर फ्रेशनर के खतरे भी बंद कमरे में रहने वालों एवं ऐसे माहौल में अधिक देर तक काम करने वालों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे स्थानों पर एवं अन्य अवसर व स्थानों पर एयर फ्रेशनर का उपयोग बढ़ गया है। यह वातावरण को तेजी के साथ सुगंध से भर देता है।


एयर फ्रेशनर एवं एयरोसाल का सर्वत्रा उपयोग बढ़ गया है। यह बच्चों में डायरिया एवं कान दर्द का कारण बन रहा है। यह महिलाओं को अवसादग्रस्त कर रहा है। एयर फ्रेशनर एवं एयरोसाल में मौजूद उड़नशील पदार्थ नुकसानदेह सिद्ध हो रहे हैं। लंदन की ब्रूनले यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन का यही निष्कर्ष है कि एयर फ्रेशनर का प्रयोग कभी कभार करना कम खतरनाक है इसीलिए इसका रोजाना उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है।


अल्जाइमर्स से बचाती काफी

चाय के बाद काफी दूसरा लोकप्रिय पेय पदार्थ है। चाय की भांति यह भी सर्वत्रा मिल जाती है। इसके बनाने व पीने की भी अनेक विधियां हैं। काफी में चाय की तुलना में दुगुना नशा व ऊर्जा है। चाय व काफी दोनों के अपने-अपने नफा और नुकसान हैं। सेवनकर्ता व शोधकर्ता सबका अपना-अपना पृथक नजरिया है।


काफी पर फिनलैंड में हाल ही एक शोध हुआ है जिसमें इसे स्मृति हृस एवं अल्जाइमर्स की बीमारी में दवा की भांति सहायक बताया गया है। काफी अल्जाइमर्स एवं याददाश्त में कमी की दूसरी समस्याओं से बचाती है। नियमित काफी पीने वालों को इन दो बीमारियों का खतरा अत्यंत कम हो जाता है। इनकी याददाश्त बढ़ जाती है।


ठंड में डायबिटीज बच्चों को परेशान करती है

ठंड के मौसम में दिन छोटे होते हैं और रातें बड़ी होती हैं। बच्चे मौसम के अनुकूल खाते अधिक हैं किंतु दिन के छोटे होने के कारण बच्चों की खेल गतिविधियां सीमित रहती हैं जिससे इनके शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है जबकि बच्चे यही सब अन्य मौसम में दिन के बड़े होने के कारण खेलकूद के माध्यम से खर्च कर डालते हैं इसलिए बच्चों की शुगर ठंड के मौसम में बढ़ जाती है जिससे इन्हें इससे जुड़ी अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। अतएव ठंड के मौसम में डायबिटीज पीड़ित बच्चों को खेलकूद में व्यस्त रहने दें। उन्हें तनाव मुक्त रखें।


प्रवासी भारतीयों को हृदय रोग का खतरा ज्यादा
भारत में रहने वालों के अलावा प्रवासी भारतीयों में भी हृदय रोगों का खतरा अधिक पाया गया है। स्थिति परिस्थिति एवं खान पान को बदलने के बाद भी प्रवासी भारतीयों के वंशानुगत गुण दोष उन्हें हृदय रोग के खतरों की ओर ले जाते हैं। इनमें हृदय धमनी रोग का खतरा और ज्यादा पाया गया है।


एम्स एवं ब्रिटेन में किए गए शोध का परिणाम यही कहता है कि भारत की तुलना में प्रवासी भारतीयों में हृदय रोग का खतरा ज्यादा बढ़ भी जाता है। ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की मृत्यु दर भारत की तुलना में चालीस प्रतिशत ज्यादा पायी गयी है। वहां वे चिकनाईदार भोजन एवं आराम तलब जीवन के कारण मोटे व हार्ट डिजीज के शिकार हो रहे हैं।


टी.वी., कंप्यूटर से हो रहे हैं बच्चे बीमार

बच्चे मनोरंजन के आधुनिक साधनों टी.वी. और कंप्यूटर के जाल में बुरी तरह फंस चुके हैं। इनमें अत्यधिक रूचि के कारण बच्चे कई कई घंटे एक जगह बैठे रहते हैं जिससे उनकी बाहरी खेल गतिविधियों में कमी आ गई है। इसके अतिरिक्त टी.वी. देखते समय या कंप्यूटर पर गेम खेलते समय खाया भी अधिक जाता है और एनर्जी भी खर्च नहीं होती है जिससे पाचन संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं और विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे मोटापा, शुगर, बी.पी., हायपरटेंशन शरीर के अंदर प्रवेश कर जाती हैं और छोटी उम्र में ही आप रोगी बन जाते हैं। अतः इनसे बचने के लिए टी.वी. देखने व कंप्यूटर पर काम करने का समय निश्चित कर लें।