कष्टदायक छोटे रोगों के आसान इलाज

कोई भी रोग आरम्भ में छोटा होता है, मगर हमारी लापरवाही के कारण यह बिगड़कर अधिक कष्टदायक भी बन जाता हैं। यदि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें तो जल्दी छूट सकते हैं। आईए कुछ रोगों के निदान जान कर तन्दुरूस्त रहें:- पित्त के कारण होने वाली उल्टी को रोकने के लिए चन्दन को उबालें। उसमें शहद डालें। शहद न हो तो मिश्री ही सही। इसको पीने से उल्टियां आनी बन्द हो जाएगी।

– मुंह में छाले हों, या फिर गर्मी के कारण प्यास बुझ ही न रही हो तो आधा चम्मच शहद मुंह में डालें। इसे कुछ देर रखें। मुंह में घुमाएं। फिर कुल्ला कर दें। इससे छाले नहीं रहेंगे। प्यास भी नहीं।


– यदि खांसी रहती हो। सांस फूलता हो। खाने में मन न लगता हो। कफ बना रहता हो। जुकाम परेशान करता हो। इतने सारे कष्टों से बचने के लिए अदरक का ताजा रस निकालकर शहद में मिलायें व चाटें।


– भोजन में रूचि पैदा करने के लिए, अरूचि रोग से छुटकारा पाने के लिए आंवला तथा मुनक्के पीसकर मुंह में रखें।


– यदि पित्त बढ़ गया हो, प्यास बुझने का नाम नहीं ले रही तो चावल धो लें। इन्हें पानी में भिगो दें। कोई डेढ़ घन्टे बाद छान लें। अब इस पानी में शहद मिलाएं व धीरे-धीरे, कुछ अन्तराल के बाद रोगी पीता रहे। आराम मिलेगा।


– खाने की अरूचि दूर करना जरूरी है। नहीं तो मन न खाने में लगेगा और न ही किसी काम में। आधा कप पके अनार का रस, इस में चुटकी भर काला नमक, एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी को पिला दें। काफी आराम मिलेगा।


– उल्टी की प्रवृत्ति खत्म करने के लिए गिलोच के क्वाथ को ठंडा करें। अब इसमें रूचि के अनुसार शहद मिला दें। इसे रोगी को पिलाएं। वह उल्टियां करना बन्द कर देगा।


– किसी भी प्रकार की उल्टियां  हों। छोटी हरड़ लें। कूटें, पीसें, छानें। इस चूर्ण की चौथाई चम्मच, एक चम्मच शहद में मिला कर चाटने से तुरन्त लाभ होगा।


-तृष्णा बनी रहती हो। पानी पीने से प्यास न बुझती हो, ऐसे में मीठा दही लें। इसमें एक चुटकी भुनी सोंठ डालें। सेंधा नमक रूचि के अनुसार। दो चुटकी भुना जीरा भी। इसमें पानी डालकर, मिलाकर छाछ तैयार करें। इसका सेवन करें तथा तृष्णा को दूर भगाएं।