हम पृथ्वी के संसाधनों के ‘ओनर नहीं बल्कि ट्रस्टी’ हैं : राष्ट्रपति मुर्मू

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देहरादून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि हम पृथ्वी के संसाधनों के ‘ओनर नहीं बल्कि ट्रस्टी’ है और इसलिए हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति क्रेंद्रित भी होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में भारतीय वन सेवा के व्यवसायिक प्रशिक्षण पाठयक्रम के दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि आज हम ‘एंथ्रोपोजेनिक एज’ की बात करते हैं जो मानव केंद्रित विकास का कालखंड है।

उन्होंने कहा कि इस कालखंड में विकास का विनाशकारी परिणाम भी सामने आया है और संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने मानवता को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां विकास के मानकों को पुनर्मूल्यांकन करना पड़ेगा।

मुर्मू ने कहा, ”आज यह समझना जरूरी है कि हम पृथ्वी के संसाधनों के ओनर नहीं है बल्कि ट्रस्टी हैं । हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ ही प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए । वस्तुत: प्रकृति-केंद्रित होकर ही हम सही अर्थों में मानव केंद्रित हो सकेंगे।”

उन्होंने विश्व समुदाय के सामने खड़ी जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती का भी जिक्र किया और कार्यक्रम में मौजूद वन अकादमी के विशेषज्ञों से प्रशिक्षण कार्यक्रम में इस बारे में जरूरी बदलाव करने को कहा।

राष्ट्रपति ने कहा, ”मैं उनसे (अकादमी के विशेषज्ञों) अनुरोध करूंगी कि जलवायु की इस आपातकालीन स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण के पाठयक्रम में यथोचित संशोधन करने पर विचार करें।”

मुर्मू ने विश्व के कई क्षेत्रों में वन संसाधनों में बहुत तेजी से क्षति होने पर चिंता जताई और कहा कि वनों का विनाश एक तरह से मानवता का विनाश करना है। उन्होंने इसकी तेजी से क्षतिपूर्ति के लिए विज्ञान और तकनीक की मदद लेने को कहा।

उन्होंने कहा कि जनाजातियों द्वारा सदियों से सहेजे गए पारंपरिक ज्ञान को रूढ़िवादी नहीं माना जाए और उसका उपयोग पर्यावरण को बेहतर बनाने में किया जाए।

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