देश में अब तक 22 एम्स खोले गए, सभी में आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास है : मंडाविया

नयी दिल्ली, सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक 22 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले जा चुके हैं और इनमें सभी आवश्यक सुविधाएं देने तथा जरूरतों को पूरा करने के प्रयास जारी हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा को प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न एम्स में अवसंरचना के अभाव के बारे में पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया ‘‘यह सही है कि कई एम्स में स्टाफ की कमी है। लेकिन वर्तमान समय में स्वास्थ्य के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और जो कमियां हैं, उन्हें समय के साथ दूर कर लिया जाएगा।’’

उन्होंने कहा ‘‘मेडिकल कॉलेजों की संख्या तथा एमबीबीएस में सीटों की संख्या बढ़ाई गई है और धीरे धीरे डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ेगी।’’

मंडाविया ने कहा कि सरकार सभी एम्स में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है और ये सभी संस्थान परिचालनरत हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रौद्योगिकी की मदद से मरीजों के लिए व्यवस्था को आसान बनाया जा रहा है ताकि दिल्ली स्थित एम्स पर अधिक दबाव न हो।

मंडाविया ने कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार वादा खिलाफी नहीं करती। उन्होंने बताया कि वह हाल ही में कोरबा गए थे जहां 1971 में उर्वरक संयंत्र का शिलान्यास हुआ था लेकिन 2023 तक उसका लोकार्पण ही नहीं हुआ था।

उन्होंने कहा कि अब तक देश में 22 एम्स का निर्माण किया जा चुका है तथा आने वाले समय में आकलन के आधार पर यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में एम्स नहीं हैं, उनकी इस संस्थान की मांग पर प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जा रहा है।

मंडाविया ने कहा कि केरल सरकार के असहयोगात्मक रवैये के बावजूद वहां चार मेडिकल कॉलेजों के लिए मंजूरी दी गई है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि 2019 में दिल्ली के एम्स में ओपीडी में आने वालों की संख्या 66 लाख थी। उन्होंने बताया कि रिषिकेश में एम्स शुरू होने के बाद वहां ओपीडी में आने वालों की संख्या 26 लाख पाई गई और पटना के ओपीडी में मरीजों की यह संख्या 29 लाख पाई गई। ‘‘इस तरह दिल्ली के एम्स पर मरीजों का दबाव कम हुआ।’’

उन्होंने पूर्वोत्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में पूछे गए पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि पूर्वोत्तर के लिए पहली बार एक अलग विभाग बनाया गया और उसके लिए अलग बजट भी रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का विकास प्राथमिकता है जिसके तहत त्रिपुरा के मेडिकल कालेज का 150 करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन किया जाएगा।

इसके तहत असम के गुवाहाटी को पूर्वोत्तर का पहला एम्स मिला, नगालैंड और मिजोरम को उनके पहले मेडिकल कॉलेज मिले हैं और अब सिक्किम को भी उसका पहला मेडिकल कॉलेज मिलने जा रहा है।