इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों के लिए मानसिकता, तकनीकी बदलाव जरूरी

हैदराबाद,  इंग्लैंड के यहां पहले टेस्ट में 28 रन की ऐतिहासिक जीत के बाद भारत अब विशाखापत्तनम में चार दिन बाद शुरू होने वाले दूसरे मैच से पहले खुद को मानसिक और तकनीकी रूप से मुश्किल स्थिति में देख रहा है।

आशावादी लोग अब मौजूदा दौरे की समानता तीन साल पहले इंग्लैंड के भारत दौरे से करने का प्रयास करेंगे।

जो रूट की अगुआई वाली इंग्लैंड की टीम ने भारत को चेन्नई में पहले टेस्ट में 227 रन से हराया था लेकिन इसके चार दिन बाद विराट कोहली की टीम चेपक के उसी स्टेडियम में दोबारा उतरी और जीत दर्ज करके श्रृंखला बराबर की।

तुलना यहीं खत्म नहीं होती। चिदंबरम स्टेडियम की पिच काफी तेजी से खराब हुई। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 329 रन बनाए और जीत दर्ज की।

उस समय भारत के पास मध्यक्रम में कोहली, अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत थे जो स्पिन से प्रभावी ढंग से निपट सकते थे।

इन तीनों में से कोई भी अलग-अलग कारणों से विशाखापत्तनम में नहीं खेलेगा जबकि शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर स्पिनरों के खिलाफ परेशानी का सामना कर रहे हैं । इसमें भी गिल पिछले कुछ समय से प्रभावी प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं।

विशाखापत्तनम में दूसरे टेस्ट के लिए पिच की प्रकृति यहां आरजीआई स्टेडियम में इस्तेमाल की गई पिच से पूरी तरह से अलग नहीं हो सकती है और इसने टीम को वापसी दिलाने की जिम्मेदारी भारतीय बल्लेबाजों के कंधों पर डाल दी है।

शीर्ष अधिकारी ऐसी पिच नहीं बनवाना चाहेंगे जो पूरी तरह से तैयार नहीं हो। पिछली दौरे के दौरान अहमदाबाद में ऐसी पिच दिखी थी जब अक्षर पटेल ने 11 विकेट लेकर मेहमान टीम को ध्वस्त कर दिया था। इस तरह की पिचों पर हालांकि भारतीय बल्लेबाज भी मुश्किल में फंस सकते हैं।

भारतीय बल्लेबाजों के लिए इंग्लैंड के स्पिनरों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करना होगा। ऑफ स्पिनर शोएब बशीर भी वीजा समस्या हल होने के बाद अब टीम से जुड़ गए हैं।

एक पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘‘मुझे नहीं पता कि वहां (दूसरे टेस्ट के लिए) किस तरह की पिच होगी। जो भी हो उन्हें जल्दी से फिर से संगठित होने की जरूरत है क्योंकि इंग्लैंड के मुंह में खून लग गया है। इंग्लैंड की यह टीम पिछली बार हमने जो देखी थी उससे अलग है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बेन स्टोक्स और ब्रेंडन मैकुलम के नेतृत्व में इंग्लैंड ने टेस्ट क्रिकेट के प्रति दृष्टिकोण को फिर से परिभाषित किया है और वे मानसिक रूप से भी एक साहसी टीम हैं जो जोखिम लेने से नहीं डरते हैं। इससे कुछ बुरे परिणाम आ सकते हैं लेकिन इससे उनके जीतने की अधिक संभावना बनती है।’’

“भारत विशाखापत्तनम में एक कदम पीछे हटकर उन्हें 2-0 की बढ़त बनाने नहीं दे सकता क्योंकि इसके बाद वापसी बहुत मुश्किल होगी।”

हैदराबाद में अक्षर पटेल के साथ अनुभवी रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की तिकड़ी धीमी टर्निंग पिच पर इंग्लैंड को परेशान करने में नाकाम रही जिससे ओली पोप की 196 रन की पारी की बदौलत इंग्लैंड ने दूसरी पारी में 420 रन बना डाले।

भारत ने इसके बाद 231 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए बाएं हाथ के स्पिनर टॉम हार्टले के सामने घुटने टेक दिए जिन्होंने पदार्पण करते हुए सात विकेट चटकाए।

पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘इनमें से कई युवा बल्लेबाजों के साथ समस्या यह है कि वे बड़े शॉट खेलकर स्पिनरों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि एक या दो रन के लिए गेंद को इधर-उधर घुमाना भी स्पिनरों पर प्रभावी होने का एक तरीका है जो अधिक जोखिम मुक्त तरीका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘द्रविड़ खुद इसमें माहिर थे और लक्ष्मण भी इसमें माहिर थे। इस टीम में मैं केवल कोहली को बाएं हाथ की स्पिन के खिलाफ परेशानी के बावजूद ऐसा करते हुए देख सकता हूं। आपको स्पिनरों की अनुकूल पिचों पर उनके खिलाफ अपनी कलाइयों और पैरों का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है। आप बस आराम से बैठकर सख्त हाथों से खेलने की कोशिश नहीं कर सकते।’’

शायद वह गिल के संदर्भ में ही बोल रहे थे। पहली पारी में 66 गेंद में 23 रन की पारी के दौरान दाएं हाथ के बल्लेबाज का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने हार्टले की गेंद पर स्पिन के खिलाफ खेलते हुए मिडविकेट पर बेन डकेट को कैच थमाया।

दूसरी पारी में गिल केवल दो गेंद खेल सके और उन्होंने हार्टले की गेंद पर सिली प्वाइंट पर पोप को आसान कैच थमा दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘बल्लेबाजी के प्रति पूरी मानसिकता बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं है लेकिन उम्मीद है कि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा होगा।’’