भोजन करने के बाद

दोपहर के भोजन के साथ ही या तुरंत बाद मट्ठा में सेंधा नमक तथा जीरा डाल कर पीने की आदत बना लें। यह भोजन को शीघ्र पचाने में मदद तो करेगा ही, साथ ही शरीर को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करेगा।


रात्रि के भोजन के साथ या बाद में गर्म दूध लेना आरंभ करें तो यह भी पाचन क्रिया को तीव्र कर बल प्रदान करेगा।


भोजन के बाद दुर्गन्धपूर्ण वातावरण में न जाएं, न ही किसी  दुर्गन्धित पदार्थ को सूंघें। भोजन के बाद जोर-जोर से हंसना भी मना है। ऐसा होने पर वमन होने का भय रहता है।


दिन के भोजन के बाद छोटी सी 15-20 मिनट की नींद लें सकें तो अच्छा है।  रात्रि के भोजन के बाद सौ कदम-चलने की वकालत की है सुश्रुत संहिता में। फिर बायीं करवट सो जाएं।


भाव प्रकाश के निर्देश में थोड़ी भिन्नता है। भोजन के बाद थोड़ा टहलना है। फिर सीधा लेटें। दस-ग्यारह गहरी सांसें लें। फिर दायीं करवट लेटें। 7-8 सांसें लें। तब बाईं करवट आ जाएं। अब भी 10-11 लंबी, गहरी सासें लें। तब सोने का प्रयत्न करें। ईश्वर का ध्यान लगातार बना रहे।

बताया जाता है कि हमारी नाभि से ऊपर, बाईं ओर अग्नि का स्थान है। इसीलिए बाईंं करवट लेटने की सलाह दी जाती है ताकि भोजन शीघ्र पच सके।


रात्रि का भोजन कर, बिना टहले, बैठे रहने से शरीर में मोटापा आ जाता है, अतः टहलने और लेटने के ढंग अपनाएं।


जब हम सीधा सोते हैं तो शरीर को बल मिलता है। बायीं करवट लेटने से आयु में वृद्धि होती है। आदमी दीर्घायु हो सकता है।


ऋषि हारीत के दर्शन के मुताबिक, जो भोजन करने के बाद, किसी भी कारण से भागता है, वह मृत्यु को करीब बुलाने का काम करता है। भोजन के बाद धैर्य से चलें।


भोजन के बाद चीनी और सौंफ या मीठा हल्का पान खाने से भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है तथा यह जल्दी पच जाता है।


भोजन के साथ या तुरन्त बाद दूध पीना हितकर है, पान खाना भी मगर दूध पी लेने के बाद पान न खाएं। दोनों चीजें साथ-साथ न लें।


भोजन करने के तुरंत बाद भारी शारीरिक काम या व्यायाम नहीं करें।


यदि आप थके हुए हैं, पसीना आ रहा है तो तुरन्त भोजन न करें। थोड़ा विश्राम करने के बाद ही भोजन करें। इत्मीनान के साथ जब तक भोजन पच न जाए, दूसरा भोजन सेवन न करें।   पहला भोजन पचने दें।