शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में नवयुवकों में नशे की लत के साथ साथ पान मसाले, गुटखा एवं जर्दे इत्यादि के सेवन की प्रवृति दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है, जिसे देखकर युवा पीढ़ी के अभिभावकों ने गहरी चिंता प्रकट करके स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न चिन्ह उठाया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण उन्हें पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है।
यह बात उल्लेखनीय है कि पहले युवा पीढ़ी शराब,पान मसाला और सिगरेट का प्रयोग करती थी,आजकल बाजार में पान मसालों और गुटकों के हजारों ब्रांड उत्पाद आने के कारण नौजवान इसके जाल में फंसते जाते हैं।
स्कूलों के बच्चे इनका ज्यादा शिकार हो रहे हैं,स्कूली बच्चों को मीठा गुटका चबाते देखा जा सकता है। कुछ दिनों से गुटके और जर्दे की पुडिय़ां स्कूल के बाहर छोटी-बड़ी दुकानों के बाहर आम लटकती देखी जा सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा रेगुलर चैकिंग नहीं की जाती बल्कि खानापूर्ति की जाती है।
शहर के सभी पानवाडिय़ों के अतिरिक्त चाय के खोखों, किराने की दुकानों,वैरायटी स्टोरों पर भी पान मसाले और जर्दे की पुडिय़ों या पाउच लटके हुए देखने को मिल जाएंगे,
फिरोजपुर शहर की सरकुलर रोड पर पानवाडिय़ों की दुकानों के मालिकों का कहना है कि पान की बिक्री कम हो रही है, जबकि पान मसाले और जर्दे के पाउचों की बिक्री लगातार बढ़ रही है,उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से ऊपर की नौजवान पीढ़ी ही अधिकतर जर्दे और पान मसालों की खरीदती है,प्रवासी मजदूरों की रूचि जरूरत से कुछ ज्यादा ही है। पान मसाले का सेवन स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा बच्चों के लिए हानिकारक होता है।
वरिष्ठ डाक्टर रोशन लाल तनेजा का कहना है कि आरंभिक स्तर पर यह मुंह में अच्छी सुगंध देता है,बच्चे जो छिपकर सिगरेट एवं शराब पीते हैं वह इसका प्रयोग करते हैं बाद में इसका सेवन करने वाला इसका आदी हो जाता है। डाक्टर का कहना है कि इसका लगातार सेवन करने से पहले मुंह में छाले आना शुरू हो जाता है, पान मसाले और जर्दे का लगातार सेवन दिमाग और शरीर पर कुप्रभाव डालता है,बाद में कई बार मुंह का कैंसर भी पनप सकता है।
समाजसेवी दीवाना चंद सुखीजा का कहना है कि जर्दे की लत को रोकने के लिए स्कूलों में बड़े स्तर पर सैमीनार करवाने चाहिए,ताकि स्कूलों में बच्चों को इससे होने वाले नुकसान से भलिभांति परिचित करवाया जा सके। टैलीविजन पर पान मसालों का अधिकतर प्रचार होता है, बच्चों तो इस नशे की तरफ आकर्षित करता है। इसका सेवन किसी भी तरह शराब व अन्य नशीले पदार्थों से कम नही है।
समाजसेवीं श्री अशोक हांडा का कहना है कि थोड़ी राशि लगा अधिक आय अर्जित करने वालों का यह धंधा बन चुका है, दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है,कभी कभार जब गहरी नींद से जागते हैं तो चालान का अभियान शुरू किया जाता है,स्वास्थ्य विभाग के बड़े बड़े अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर पान मसाला की गुणवत्ता कैसी होती है,चैकिंग करने का प्रयास ही नही करते, यद्यपि पान मसालों के ऊपर स्पष्ट लिखा होता है कि यह चबाना स्वास्थ के लिए हानिकारक है,लेकिन युवा पीढ़ी को इस चेतावनी का कोई प्रभाव नही पड़ता।
कैंसर रोग के माहिर डाक्टरों का कहना है कि पान मसाला गुटका, खैनी खाने का शौक शुरू से ही युवकों में घातक साबित लगता है,मुंह में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती है,यह बीमारियां मुंह में पनपने लगती हैं,पहले दांत फिर मसूड़े बाद में श्वासनली में कई प्रकार की बीमारियां फैल जाती हैं,मुंह से बदबू आने लगती है। हाजमा बिगड़ जाता है,तंबाकू और चूने के लगातार सेवन से मुंह की खाल जलने लगती है,त्वचा पर सफेद दाग भी प्रगट होने लगते हैं,यदि ध्यान नही दिया जाए तो वहां जानलेवा बीमारिया पनपे लगती हैं।
भारत में नीम के दातुन करने की परम्परागत आदतें अब समाप्त हो चुकी हैं,दातुन करने से मुंह की बीमारियां स्वयं समाप्त हो जाती हैं।
डा. गौरव आनंद का मानना है कि आजकल पान मसाला, गुटका,खाने का व्यसन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है जो जवानी में उन्हें कैंसर की आग में झौंक दे रहा है,जो लोग रात्रि यह वस्तुएं मुंह में लेकर सो जाते हैं वह जैसे आत्महत्या पर उतारू हो, उनमें कैंसर की संभावनाएं कई सौ गुणा बढ़ जाती हैं, डाक्टरों का मानना है कि पंजाब में गले की कैंसर की बीमारी बड़ी तीव्रता से फैल रही है। गले के कैंसर का अनुपात पंजाब में जो 1 फीसद था वह अब वह 3 फीसद तक पहुंच चुका है।
जीभ का कैंसर की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के द्वारा इरीडियम प्रत्यारोपण से जीभ काटे बिना ही चिकित्सा हो सकती है। अत: डॉ. गौरव आनंद का कहना है कि बच्चों को पान मसाला,गुटका,खैनी इत्यादि पर न खाने के लिए जागरूक करना चाहिए।
पत्रकार जोगिंदर कुमार ने कहा कि सैंकड़ों नामों से बिक रहे पान मसाले और गुटकों पर पूर्ण पाबंदी लगाई जानी चाहिए, मुंह का कैंसर ही एक महामारी का रूप धर रहा है। इसका शिकार होने वालों की संख्या नवयुवकों की है। उन्होंने कहा कि गुटका,पान मसाला, जर्दा, खैनी अब स्कूलों के बाहर दुकानों पर धड़ल्ले से बिक रहा है। जिला प्रशासन को इस पान मसाले की बिक्री को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
फिरोजपुर की द डिस्ट्रिक प्रैस क्लब के चेयरमैन प्रेमनाथ शर्मा का मानना है कि स्कलों में बच्चों को हिन्दू संस्कारों से परिचित कराया जाना चाहिए, बच्चों को बुरी संगत से दूर रहने का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए,वहीं गीता प्रचार समिति की पदाधिकारी श्रीमती रमा शर्मा का कहना है कि लोगों को इस बात के लिए आगे आना चाहिए और घर-घर संदेश देना चाहिए कि बच्चों को नशे से दूर रहना चाहिए, गीता प्रचार समिति ने बताया कि शीघ्र ही फिरोजपुर में युवकों में जर्दे की लत,पान मसाला,खैनी के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जाएगा।