बेहतर बिक्री, ग्रामीण मांग बढ़ने से एफएमसीजी क्षेत्र के लिए अच्छा रहेगा नया साल

नयी दिल्ली, ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी, बिक्री में वृद्धि और अनुकूल जिंस कीमतों की वजह से देश का एफएमसीजी उद्योग नए साल में दहाई अंक में वृद्धि के लिए तैयार है। एफएमसीजी क्षेत्र में रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुएं शामिल हैं।

इस उद्योग को 2023 में चुनौतीपूर्ण साल का सामना करना पड़ा। इस दौरान त्योहारी मांग उम्मीद से कम रही। बारिश की कमी से ग्रामीण बाजार प्रभावित हुआ और बेमौसम बारिश ने पेय पदार्थों की बिक्री पर असर डाला। इसके अलावा ऊंची जिंस कीमतों ने भी बाजार को प्रभावित किया।

हालांकि उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि अब पुनरुद्धार के संकेत दिखने लगे हैं। भारत जैसे उभरते बाजार में इस क्षेत्र में उच्च वृद्धि की क्षमता है और 2024 के बेहतर साल साबित होने की उम्मीद है। इस दौरान कच्चे माल की कीमतें कम होने से घरेलू उपभोग और निजी उपभोग की वस्तुओं के साथ खाद्य व्यवसाय को भी लाभ होगा।

मैरिको के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सौगत गुप्ता ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में प्रवेश करने के साथ मांग में सुधार होगा। एफएमसीजी कंपनियां नवाचार और प्रीमियम उत्पादों को आगे बढ़ाएंगी और ग्रामीण वितरण की गुणवत्ता बढ़ाने पर उल्लेखनीय निवेश किया जाएगा।’

विश्लेषकों के अनुसार एफएमसीजी कंपनियां जिंस मुद्रास्फीति में नरमी के साथ लाभ मार्जिन में वृद्धि की उम्मीद कर रही हैं। ऐसे में ब्रांडिंग पर खर्च बढ़ेगा और प्रचार योजनाओं की वापसी होगी।

डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी के साथ 2023 में उपभोक्ता भावनाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘पुनरुद्धार के संकेत दिखाई दे रहे हैं, हालांकि ग्रामीण मांग अभी भी शहरी बाजारों से पीछे है। हमें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार नए साल में मजबूत पुनरुद्धार दर्ज करेंगे। हम पहले ही ग्रामीण और शहरी वृद्धि के बीच का फासला कम होते हुए देख रहे हैं। डाबर वृद्धि को गति देने के लिए शहरी और ग्रामीण, दोनों बाजारों पर ध्यान दे रही है।’

अग्रणी सलाहकार फर्म ईवाई इंडिया के राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता (उपभोक्ता उत्पाद और खुदरा कारोबार) अंग्शुमन भट्टाचार्य ने कहा कि शहरी इलाकों में एफएमसीजी क्षेत्र की वृद्धि जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि एफएमसीजी उद्योग में 10 प्रतिशत से अधिक और शहरी क्षेत्रों में इसके 12 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है।