भारत बचतकर्ताओं के बजाय निवेशकों के देश के रूप में बदलाः उदय कोटक

नयी दिल्ली, दिग्गज बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) उदय कोटक ने शुक्रवार को कहा कि भारत अब बचतकर्ताओं के बजाय निवेशकों का देश बन गया है और अधिक लोग अपना अधिशेष धन म्यूचुअल फंड एवं शेयर बाजार में लगाने लगे हैं।

कोटक ने सोशल नेटवर्किंग मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारतीय बचतकर्ताओं को 1980 के दशक की शुरुआत में सोने और जमीन की तुलना में वित्तीय परिसंपत्तियों पर कम भरोसा होता था। धीरे-धीरे बचतकर्ताओं ने कुछ हिस्सा बैंक जमा, यूटीआई और एलआईसी में स्थानांतरित करना शुरू किया।”

उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में भी शेयर बाजार में निवेश को एक तरह का सट्टा ही माना जाता था।

कोटक ने कहा, “ऐसी स्थिति में कंपनियां पूंजी निवेश के लिए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पास गईं। एफआईआई ने यहां पर संभावनाएं देखीं और कंपनियों में खरीदारी की लेकिन भारतीय बचतकर्ता इनसे दूर ही रहे।”

उन्होंने कहा कि कंपनियों ने कम-चर्चित लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज के जरिये पूंजी जुटाई थी। इस तरह भारत का पूंजी बाजार निर्यात किया जा रहा था।

वरिष्ठ बैंकर ने कहा, “हममें से कुछ लोगों ने बाजार नियामक सेबी के समक्ष इस घटना पर प्रकाश डाला। इससे 2000 के दशक की शुरुआत में निजी आवंटन बाज़ार (क्यूआईपी) की शुरुआत हुई। इसलिए एफआईआई भारतीय बाजारों में भी खरीदारी कर सकते हैं। वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बाज़ारों में भारतीय बचतकर्ताओं की रुचि बढ़ी।”

उन्होंने कहा कि वह बचतकर्ता अब निवेश का आनंद ले रहा है। इसकी वजह यह है कि म्यूचुअल फंड मंच, नकद इक्विटी और डेरिवेटिव बाजार, बीमा कोष, भारत में वैश्विक निजी इक्विटी, एआईएफ जैसे अन्य मंच और इक्विटी के लिए कम कर व्यवस्था, सभी ने एक बचतकर्ता को निवेशक के रूप में बदल दिया है।

कोटक ने कहा कि इस बदलाव से भारत बचतकर्ताओं के देश से निवेशकों के देश में तब्दील हो गया है। इस समय बचतकर्ता/ उधारकर्ता और जारीकर्ता/ निवेशक मॉडल के बीच खींचतान चल रही है।