कार्यस्थल में थोड़ा विनोद भी

कार्यस्थल की एकरस नीरसता कितनी टेंशन क्रिएट कर देती है ये वहां के सभी कार्यकर्ता अच्छी तरह जानते हैं। कॉर्पोरेट जगत की लंबी-लंबी ऊबाऊ मीटिंग्स, अच्छा खासा सरदर्द देने लगती हैं। लंबे समय तक इनसे जूझने वाले लागों को उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।


इन सब बातों को लेकर कार्यकर्ताओं में काफी अवेयरनेस आ गई है। नतीजा है इनसे जूझने के विभिन्न तरीकों को अपनाया जाना।


आज नौकरी के चुनाव के समय अन्य स्किल्स के साथ एच.क्यू (हयूमर कोशियंट) का भी ध्यान रखा जाने लगा है। एक चिड़चिड़े व्यक्ति की तुलना में एक खुशमिजाज व्यक्ति से डील करना सबके लिए आसान होता है।


अब कॉल सेंटर्स की ही बात लें। यहां के बिजनेस में एक कर्मचारी के लिए खुशमिजाज रहना बहुत मायने रखता है क्योंकि यहां की टेलीफोनिक बातों में आवाज का जादू चलता है। जिंदादिली से की गई बात कस्टमर को जो सिर्फ आवाज ही सुन पाता है, प्रभावित करती है। साथ ही इस तरह का टेंपरामेंट रखने वाले कर्मचारी अपनी टीम को अपनी जिंदादिली से मोटिवेटेड रखते हैं।


आज परफेक्शन, कांपीटिशन को लेकर जिस तरह की मारामारी रहती है उससे लोग बहुत ज्यादा मानसिक दबाव में रहते हैं जिसके चलते वे अपना शत प्रतिशत नहीं दे पाते। ऐसे में एक मजाकिया साथी अपने हल्के फुल्के अंदाज से तनाव छितरा देता है और लोग एट इज होकर काम करते हैं।


विनोदप्रिय होने का यह मतलब भी नहीं है कि किसी पर व्यक्तिगत रूप से छींटाकाशी की जाए। ऐसा विनोद जो वातावरण बेमजा कर दे, आपसे आपके प्रशंसक छीन लेगा।


एक ग्लोबल ऑनलाइन टै्रवल कंपनी की प्रोग्राम मैनेजर राधिका बजाज कहती हैं कि हयूमर अगर फूहड़ता से प्रेक्टिस में लाया जाए तो ये कार्य में बाधक साबित होगा, वहीं अगर इसे सूक्ष्मता और बुद्धिमानी से प्रयोग किया जाए तो यह मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में कमाल दिखा सकता है।


नेहा शर्मा एक मल्टीनेशनल कंपनी की सी ई ओ के अनुसार आपको कॉमेडियन बनने से बचना है। एक मीटिंग के तनावपूर्ण वातावरण को किसी विटी रिमार्क से हल्का करना अच्छा है लेकिन एक के बाद एक थर्ड क्लास जोक्स मारते जाना आपकी डिगनिटी कम कर देगा।
एक प्रश्न उठता है कि क्या टॉप पर पहुंचे हुए हायर अप्स और लीडर्स के लिए मजाकिया होना क्या नीचे वालों के लिए उनसे लिफ्ट लेना आसान नहीं बना देता? आफ्टर ऑल उनसे उम्मीद की जाती है कि वे उनसे कुछ दूरी बनाए रखें।


बात में दम है लेकिन यह आपके व्यक्तित्व व बॉडी लैंग्वेज पर भी निर्भर करता है कि आप कब, कहां, कैसे कितना मजाक करते हैं।


हर समय मजाक के मूड में रहना व्यक्ति को लापरवाह दर्शाता है।
सरोज खान नामी कोरियोग्राफर थे। उन्हें हर तरह के स्टूडेंट से डील करना पड़ता था। स्टूडेंट्स में उन्हें लेकर खौफ भी कम नहीं रहता लेकिन उनका मजाक करते हुए वातावरण को हल्का फुल्का रखना, स्टूडेंट का आत्मविश्वास बढ़ा देता था। वे आसानी से उनसे कनेक्ट हो जाते। डांस करते हुए मुस्कुराना जरूरी होता है। डांस टीचर के कड़क और नीरस होने पर स्टूडेंट्स के लिए मुस्कुराना मुमकिन नहीं।


जीवन को खुशहाल बनाने का ह्यूमर एक डिसेंट तरीका है लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि भूलकर भी ह्यूमर किसी की भावनाओं, उनके धार्मिक विश्वासों, उनकी मान्यताओं, वैल्युसिस्टम को चोट पहुंचाने वाला न हो, खासकर कार्यस्थलों में जहां आप लगातार जांचे परखे जाते हैं।


रिश्ता चाहे बॉस सबॉर्डिनेट का हो या कलीग्स का, मजाक की अहमियत नजरअंदाज नहीं की जा सकती। यह सामयिक तनाव दूर करने का अचूक नुस्खा है। कैसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति क्यूं न हो, सैंस ऑफ ह्यूमन तनाव दूर कर नये सिरे और पूरी शिद्दत से उससे निपटने की ऊर्जा दे सकता है।


दूसरे को हंसाने की कला अगर आती है तो उसे प्रैक्टिस में लाते रहें। अगर नहीं आती है तो जरूर सीखने की कोशिश करते रहें। तनाव से बचने का यह एक बढ़िया नुस्खा है।