छोटे बच्चों को खतरों से कैसे बचाएं

तीन महीने पश्चात् छोटे बच्चे करवट लेने की कोशिश करने लगते हैं। उन्हें एक वर्ष के होने से पहले तक पलंग, मेज, कुर्सी, मशीन आदि पर न बिठाएं। वे गिर सकते हैं।


घर की खिड़की के पास कुर्सी-स्टूल आदि न रखें। बच्चे खेल-खेल में इन पर चढ़ कर अपना संतुलन खो कर गिर सकते हैं।


पानी भरी बाल्टी, टब, टंकी, वहां जहां पर्याप्त पानी हो, ऐसी जगह भी बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।


बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवाई न दें। खुशबुदार साबुन, तेल, सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल से बच्चों को बचाएं।


बच्चों को नोकदार धातु के खिलौने न दें, न ही मिट्टी व रंग छोड़ने वाले खिलौने दें। इससे हानि पहुंचती है। खिलौने मुलायम व रबड़ के ही हों।


बच्चों को दवाई-गोली, चाकू व कैंची से दूर ही रखें। इनसे वे खतरे में पड़ सकते हैं।
बच्चों को बोतल से दूध पिलाएं तो बोतल, निप्पल को दूध पीने से पहले व बाद में गर्म पानी में 20 मिनट तक उबालें।


चार महीने पश्चात् ही ठोस आहार दें। दांत निकलने पर दस्तों में जीवन रक्षक घोल अवश्य दें।


किचन में काम करते हुए बच्चे को अपने पास न बिठाएं, न ही उसके सामने गरम चीज रखें।
प्रेस से दूर रखें व गैस बहुत ऊपर ही रखनी चाहिए जहां बच्चे का हाथ न पहुंच सकें। गैस का रेगुलेटर कार्य समाप्त होने पर बंद ही रखें।


बिजली के स्विच, मेन स्विच व नंगे तारों से भी बच्चों को बचाएं। अगर बच्चे गोल छेद में उंगली डालते हैं तो उन पर टेप चिपका कर रखें।


अगर हम इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो बच्चों के प्रत्येक खतरे को टाला जा सकता है। साथ ही हम भी मानसिक परेशानी से बचे रहेंगे।