बाल कहानी – विज्ञान दिवस

विकास विद्यालय में बहुत चहल-पहल है। विद्यालय के मैदान में बड़ी-बड़ी मेजें लगी हैं। एक ओर मंच बना है। मंच पर बहुत बड़ा बैनर लगा है। इस पर लिखा है- विकास विद्यालय हार्दिक स्वागत ‘विज्ञान प्रदशर्नी’। विद्यालय के छात्र आते जा रहे हैं और अपने बनाये मॉडल और चित्र गौरव को दे रहे हैं। वह और उसके दोस्त छात्रों द्वारा लाए गए मॉडल और चित्र मेज पर सजाते जा रहे हैं।


गौरव दसवीं का छात्र है। वह पढऩे में बहुत तेज है, साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भी वह पीछे नहीं है। हर माह विद्यालय में कुछ न कुछ कार्यक्रम करवाता रहता है। प्राचार्य और शिक्षक उसकी तारीफ करते नहीं थकते। यह जो विज्ञान प्रदर्शनी लगाई जा रही है, वह गौरव की ही पहल है।


एक दिन विद्यालय छूटने के पश्चात् गौरव और उसके दोस्त मैदान में खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। बातों में बात निकली। वैभव बोला- यारों! हम हर महीने कुछ न कुछ कार्यक्रम करते हैं, बहुत से कार्यक्रम हमने किए पर आज तक हमने विज्ञान से संबंधित कोई कार्यक्रम नहीं किया। हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत अविष्कार किए हैं।


 इन अविष्कारों को हमने या तो किताबों में पढ़ा है, रेडियो पर सुना है या टी.वी. पर देखा है। बीच में ही गौरव बोला- तेरी बातों का मतलब मैं समझ गया हूं। अब देखना मेरा कमाल…। सभी आश्चर्य से बोले- कमाल… जरा हमें भी बतला दे। हंसते हुए गौरव बोला- राज को राज रहने दो और सभी घर लौट गए।


तीन-चार दिन पश्चात् फिर सभी मैदान में इकट्ठे हुए तो गौरव बोला- मेरे दोस्तों! हमारा अगला कार्यक्रम विज्ञान प्रदर्शनी होगा। इसके लिए मैंने प्राचार्यजी और शिक्षकों से बात कर ली है। आज पन्द्रह तारीख है। हम प्रदर्शनी महीने के आखिरी दिन विद्यालय के मैदान में लगाएंगे और इसके लिए तुम्हें हमारे वैज्ञानिकों द्वारा अविष्कारित वस्तुओं के मॉडल और चित्र बनाने हैं और जिस वस्तु का मॉडल या चित्र बनाया जाए उसका विस्तार से वर्णन हो। कहो कैसा रहेगा? सभी बोले- अच्छा रहेगा।


पर खर्च… गौरव बोला- मेरे दोस्तों! फिकर नहीं करो। प्राचार्यजी से मैंने बात कर ली है। अब तो तुम अपने-अपने अविष्कार करने में लग जाओ। उसकी बात सुन सभी हंस दिए। अब तो रोज विद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी को लेकर बातें होती। एक-दूसरे से राज जानना चाहते मगर कोई भी अपने द्वारा बनाए जा रहे मॉडल या चित्र के बारे में नहीं बतलाता। सभी कहते- हम तो गौरव की बात पर अमल कर रहे हैं कि राज को राज रहने दो। यह सुन गौरव हंस देता।
आज भी गौरव के दोस्त उसे छेड़ रहे हैं। वैभव मजाकिया अंदाज में बोला- गौरव! तुझे जो तारीफ मिल रही है, उसका आधा हकदार तो मैं हूं। अगर मैं उस दिन विज्ञान संबंधी कार्यक्रम की बात नहीं करता तो आज यह नजारा नहीं होता। गौरव बोला-आधा क्या… पूरा हकदार तू ही है। इतने में प्राचार्य और शिक्षक को आते देख गौरव और उसके दोस्तों ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया।


प्राचार्य बोले- बहुत खूब… बहुत खूब…। गौरव बोला- बड़े सर! प्लीज मंच पर बैठिये। वे ना-नुकुर करने लगे तो वैभव बोला- सर! अगर आप मंच पर नहीं बैठेंगे तो हम यहां से चले जाएंगे। वे मंच पर पहुंचे और कुर्सी पर बैठे। उनके साथ शिक्षकों को भी बैठाकर सभी का स्वागत विद्यार्थियों द्वारा करवाया गया। फिर गौरव ने प्राचार्य से कुछ बोलने को कहा। वे खड़े होकर बोलने लगे- मुझे आज बहुत खुशी हो रही है कि इस विद्यालय में पढऩे वाले छात्र गौरव के साहस और आत्मविश्वास के कारण आज यह विज्ञान के मॉडल और चित्रों की प्रदर्शनी लगी है। सभी विद्यार्थियों ने बहुत अच्छे मॉडल और चित्र बनाए हैं।


मैं गौरव के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए एक निवेदन और करना चाहूंगा कि यह प्रदर्शनी हमारे विद्यालय तक ही सीमित न रहे। इन मॉडलों और चित्रों को हमारे शहर के हर स्कूल में लगाया जाए। इससे पढऩे वाले विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति जागरुकता पैदा होगी और वे इसके प्रति गंभीर होंगे। उनकी बात पर सभी ने ताली बजाई।


गौरव मंच पर पहुंचकर बोला- मंच पर विराजित पूज्यनीय शिक्षकगण और प्राचार्यजी! आपने जो बात कही है, हम सभी विद्यार्थी उस पर अमल करेंगे। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हमारा यह अभियान अपने ही शहर तक नहीं, बल्कि अन्य शहरों में भी अपना रंग जमाएगा। एक बात और ध्यान दिलाना चाहता हूं। आज जो विज्ञान प्रदर्शनी का नजारा है, उसका असली हकदार तो वैभव है। वैभव ने ही एक दिन विज्ञानरूपी कार्यक्रम करवाने की बात कही थी। मैं विद्यालय की ओर से उसको धन्यवाद देता हूं। सभी ने ताली बजाई।


वैभव मंच पर आकर बोला- माना कि मैंने विज्ञानरूपी कार्यक्रम करने की बात कही थी। पर कार्यक्रम को मूर्तरूप तो गौरव ने ही दिया और आज हम इसी के प्रयास से उन महान् वैज्ञानिकों के योगदान को याद कर रहे है। प्राचार्यजी, शिक्षकगण और मेरे साथी विद्यार्थियों से यही निवेदन है कि इस दिन को हम ‘विज्ञान दिवसÓ नाम दें और हर वर्ष इसी दिन विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम करें और यह कार्यक्रम हम अकेले नहीं, बल्कि हमारे साथ दूसरे विद्यालय वाले भी सम्मिलित होकर करें। गौरव और सभी को धन्यवाद देते हुए यही चाहूंगा कि मेरी बातों पर गौर हो।


गौरव मजाकिया अंदाज में बोला-  तुम्हारी बातों पर गौर करने की कोशिश की जाएगी। यह सुन सभी ने ताली बजाई।


प्राचार्य बोले- हमारे भावी वैज्ञानिकों की बात पर गौर कर लिया गया है। अबसे हर बरस यह दिन ‘विज्ञान दिवसÓ के रूप में मनाया जाएगा। उनकी बात सुन सभी बोले- विज्ञान दिवस जिन्दाबाद…। फिर गौरव के कहने पर सभी प्रदर्शनी देखने लगे।