‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है,’ यह चेतावनी सिगरेट की डिब्बी पर भी छपी होती है। इसके बावजूद धूम्रपान करने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। धूम्रपान आज न केवल पुरूषों द्वारा किया जा रहा है बल्कि बड़ी संख्या में स्त्रियां भी सिगरेट, बीड़ी व सिगार आदि पीने लगी हैं। यह प्रवृत्ति शिक्षित व कामकाजी स्त्रियों में बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।
आज भारत में लगभग 26 प्रतिशत स्त्रियां धूम्रपान करती हैं। इनमें से 50 प्रतिशत छात्रावासों की कामकाजी औरतें व लड़कियां हैं। कामकाजी महिलाओं के धूम्रपान करने के पीछे कारण हैं थकावट दूर करना व तनाव कम करना।
उच्चवर्गीय परिवारों की स्त्रियां धूम्रपान को ‘स्टेटस सिंबल‘ समझती हैं। सिगरेट पीना फैशन समझती हैं। कुछ औरतें यह सिद्ध करना चाहती हैं कि वे पुरूषों से किसी बात में भी कम नहीं हैं।
प्रेम में धोखा खाने के बाद युवा महिलाएं धूम्रपान की ओर आकर्षित होती हैं तो कुछ युवा लड़कियां किसी आधुनिक युवती की तरह प्रदर्शन करना जरूरी समझती हैं और सिगरेट पीना आधुनिकता की परिभाषा मान बैठती हैं। कुछ अपने ब्वॉय फ्रेंड की जिद पर ‘मजा लेने‘ के लिए सिगरेट पीना शुरू करती हैं।
ऐसा नहीं है कि धूम्रपान करने वाली स्त्रियां धूम्रपान के नुकसानों से अवगत नहीं हैं। यहां हानियों को बताने का एक मात्रा उद्देश्य शिक्षित महिलाओं का ध्यान धूम्रपान से होने वाली हानियों की ओर आकर्षित करना है।
सिगरेट में लगभग 4 हजार रसायन होते हैं जिसमें से करीब 40 रसायन कैंसर की बीमारी का कारण बनते हैं। इनमें बेंजोपाइरिन कैंसर की जड़ है। निकोटिन रसायन मस्तिष्क, फेफड़ों, जिगर, पाचन अंगों और यौन ग्रंथियों की कार्य प्रणाली में बाधा पहुंचाता है। इसका असर इतना तेज होता है कि फेफड़ों से दिमाग तक पहुंचाने में केवल 8 सेकेंड का समय लगता है। इससे रक्तचाप भी प्रभावित होता है।
सर्वेक्षणों से ज्ञात हुआ है कि धूम्रपान करने वाली औरतें, धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में 3 से 4 गुना ज्यादा बीमार होती हैं। इन औरतों को पेट में फोड़ा, स्टेनोकार्डिया आदि रोग हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए धूम्रपान अत्यंत घातक है। ऐसी महिला के एक भी सिगरेट पी लेने से धुआं प्लेसेंटा को पार कर गर्भस्थ शिशु की रक्तधारा में घुल जाता है। परिणामस्वरूप बच्चा जन्म लेने के बाद प्रायः ब्रोंकाइटिस, ऐंठन, मिरगी आदि रोगों का शिकार हो जाता है।
धूम्रपान करने वाली स्त्रियों का बाह्य तथा आंतरिक सौंदर्य प्रभावित होता है। धूम्रपान सौंदर्य का शत्रा है। इससे त्वचा झुर्रीदार, पीली व शुष्क हो जाती है। होंठों की रंगत बदल जाती है। दांत काले हो जाते हैं। सांसों से दुर्गंध आती है व स्वाद ग्रंथियां प्रभावित होती हैं।
कम उम्र में धूम्रपान की अभ्यस्त किसी स्त्रा के शारीरिक अंगों का विकास भी अवरूद्ध हो जाता है। ऐसी महिला की यौनग्रंथियों की कार्य-प्रणाली व पाचन अंगों के कार्यों में रूकावट आती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी प्रजनन-क्षमता कम हो जाती है।
आम धारणा है कि धूम्रपान की लत छूट नहीं पाती। यह सच नहीं है। वास्तव में जहां चाह है, वहीं राह है। लत एक दिन में नहीं पड़ती, अतः एक दिन में छूट भी नहीं सकती। हां, लत छोड़ने में कुछ समय अवश्य लगता है। इसलिए निम्न तरीकों को अपनाकर छोड़ने का प्रयत्न करें।
सर्वप्रथम आप दृढ़ संकल्प लें कि आप इस बुरी आदत को त्याग कर ही दम लेंगी।
स्त्रियों को चाहिए कि वे धूम्रपान में धीरे-धीरे कटौती करें। वे सिगरेट को पूरी पीने के बजाय आधी पी कर ही बुझा कर फेंक दें। ऐसा करने पर आदत में कुछ अंशों तक कटौती होगी जो आगे चलकर कामयाबी में सहायक होगी।
थकावट होने पर सिगरेट न थामें। हल्का संगीत सुनें या हास्य व्यंग्य की कोई किताब पढ़ें।
एकाकीपन में अपना मनपसंद कार्य करें, पत्रा-पत्रिकाएं पढ़ें, बागवानी करें या पसंदीदा संगीत सुनें अर्थात् स्वयं को व्यस्त रखें।
जरा सोचिए, दुनियां के समझदार लोग स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए पैसा खर्च करते हैं। फिर आप ही सेहत का नाश करने के लिए पैसा क्यों फूंक रही हैं? क्या स्वास्थ्य खराब करने और पैसा फूंकने को समझदारी माना जाएगा? आइए, आज, इसी क्षण धूम्रपान त्यागने का संकल्प लें।