आत्मनिर्भर नारी

आज के दौर में नारी का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना आवश्यक ही नहीं बल्कि स्वयं नारी के आत्मसम्मान और पुरुष दासता से मुक्ति पाने के लिए भी एक सशक्त माध्यम है एक शिक्षित और आत्मनिर्भर नारी अशिक्षित और अनपढ़ नारी की तुलना मे समाज में सम्मान जनक स्थिति को ही प्राप्त नहीं करती बल्कि अपने अस्तित्व को मनवाती भी है और इसमे कोई दो राय नहीं कि शिक्षित और कमाऊ नारी को हमारे समाज मे बहुत आदर और सम्मान भी दिया जाता है,वो ज़माने गये जब नारी के कामकाजी होने को उसके घर से बाहर निकल के काम करने को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता था। अच्छी बात ये हुई कि आज समय के साथ लोगों की सोच और मानसिकता में भी परिवर्तन आया है जिसका सकारात्मक पहलू हमें नारी प्रगति के लगातार बढ़ते  ग्राफ को देखने से मिलता है वर्तमान परिवेश में जहां नारी ने सफलता के नवीन कीर्तिमान स्थापित किये हैं।


वहीं अपनी योग्यता और प्रतिभा के दम पर अपने अस्तित्व को मनवाया भी है,यह सब नारी के सदियों के त्याग, समर्पण और परिश्रम का ही  परिणाम है कि जो वो आज पुरूष से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है आज की आत्म निर्भर नारी अपने निर्णय लेने में पूर्णता सक्षम है आज की आधुनिक ,शिक्षित नारी पुरूष से किसी भी दृष्टि में कमतर नहीं है और न दया की पात्र अबला, असहाय, बेचारी आज नारी सपने ही नहीं देख रही है बल्कि उन्हें पूरा भी कर रही है यह अलग बात है कि नारी को यहां तक का सफऱ तय करने में सदियां लग गई हैं लेकिन न अंत भला तो सब भला और वैसे भी समाज की बेडिय़ां तोडऩा इतना आसान भी तो नहीं, वास्तव में एक शिक्षित आत्मनिर्भर सशक्त नारी परिवार, समाज, राष्ट्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बहरहाल नारी को ज़रूरत है स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बनाने की, अपनी क्षमताओं को पहचानने की और गलत बात का विरोध करने की है और इसके साथ ही सबसे अहम बात अपनी मर्यादाओं में रहने की भी है तभी वास्तव में उसकी स्वतंत्रता के सही मायने होंगे, नारी शिक्षित हो आत्मनिर्भर हो और संस्कारी हो तो वो सम्पूर्ण नारी समाज की सम्मानीय छवि को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।