गोशाला: धरती पर सबसे बड़ा देवालय, तीर्थालय और औषधालय

गोमाता के माहात्मय पर आदिकाल से अनेकानेक पुराणों और संत ऋषियों ने जितना प्रकाश डाला है वह आसमां में व्याप्त सूर्य के प्रकाश से कदापि कम नहीं। मानव की सूखी हड्डियों में अपने दूध की अमृतमयी शरीखी सरिता बहा रक्त का संचार कर जीवन प्राण को सदा सुदृढ़ करके बचाएं रखने वाली एकमात्रा धरती पर गोमाता है।


गोमाता के रोम रोम को अपना गृह स्थान बना रखा है सभी 33 करोड़ देवी देवताओं ने। इसलिए गोशाला को देवालय माना जाता हैं जहां देवी देवताओं का वास स्थान है। वही तीर्थ स्थान भी कहलाता है। सर्वदेवमयी सर्वतीर्थमयी की संज्ञा से इसी कारण गोमाता को अलंकृत किया गया है।


– यदि किसी ने शास्त्रों में वर्णित चारों परम धामों की यात्रा न की हो तो केवल एक बार सिर्फ गोशाला की परिक्रमा करने से ही चारों धामों से मिलती पुण्यराशि का फल प्राप्त हो जाएगा।


– किसी भी प्रकार के सभी त्वचा रोगों का नाश भी गोबर भस्म की मालिश लगातार करने से सदा के लिए दूर हो जाएगा।


– घी को तलवों और मस्तक पर लगाने से भारी से भारी बुखार तक मिट जाएगा।


– शरीर के अंदर छुपे भीतरी रोगों के कीटाणुओं का नाश, गोमाता के श्वासों का स्पर्श लेने पर स्वयं दूर हो जाएगा।


– मंद बुद्धि को कुशाग्र बनाने हेतु माथे पर नित्य गोरोचन लगाएं व चंद दिनों में ही माता सरस्वती की प्राप्ति मिल जाएगी।


– संतान, बल- वायु और जगतपिता पर बह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण से मिलन को एकमात्रा उपाय है कि नित्य गोशाला में जाकर गोमाता की सेवा करें। बीमार दिखाई पड़ने पर पूछकर चिकित्सक से दवा खिलाएं।


– अचानक आने वाले संकटों और लंबित पड़े कोर्ट कचहरी के मामलों का निवारण करने हेतु किसी कसाई के हाथों कटने के लिए ले जाती हुई गोमाता को उससे खरीद कर पालनहार बन जाइए- चुटकियों में आपकी समस्या का पूर्णः निवारण संभव हो जाएगा।