बाल कथा – लालची साहूकार

सेठ करोड़ीमल बड़ा लालची था। आभूषण गिरवी रखकर ब्याज पर उधार देता था। अक्सर आभूषणों की बेईमानी कर लेता था। एक बार नंदलाल आभूषण देकर कुछ रुपये उधार ले गया। कुछ दिनों बाद उसने ब्याज सहित मूलधन वापस देते हुए अपने गहने वापस मांगे। आभूषणों की कीमत रुपयों से कई गुणा अधिक थी। करोड़ीमल ने कोई भी आभूषण गिरवी रखे होने से साफ इनकार कर दिया।


नंदलाल ने याद दिलाने की बड़ी कोशिश की, गिड़गिड़ाया पर सेठ टस से मस न हुआ। फिर दुखी होकर होकर वापस चला गया। उसने सरकार के दीवान से शिकायत की। दीवान ने कहा, ’तुम्हें तुम्हारे गहने वापस मिल जाएंगे। बस, तुम कल दस बजे उसके पास पहुंचकर अपने गहने फिर मांगना। मैं ऊपर से आऊंगा। तुम मुझसे ऐसे बातें करना जैसे हमारी पुरानी जान-पहचान है और हम बहुत दिनों बाद मिले हैं।


अगले दिन नंद लाल सेठ के पास पहुंचकर अपने गहने वापस मांगने लगा, तभी दीवान भी पहुंच गया। दीवान ने जैसे ही सेठ को नमस्कार कहा, वैसे ही मुड़कर नंदलाल ने दीवान से कहा, ’अरे, दीवान जी आप, नमस्कार। बड़े दिनों बाद नजर आए, भाई कहां थे?
दीवान बोले, ’अरे नंदू तुम! मैं तो नौकरी में बड़ा व्यस्त रहा यार। और सुनाओ, घर-परिवार में सब कुशल तो हैं न?


यूं ही बातें करते रहे वे कुछ देर। फिर दीवान ने पलटकर सेठ से कहा, ’अरे हां, सेठ जी, मैं आपको जो सूचना देने आया था, वह तो मैं नंदू से मिलकर भूल ही जा रहा था। यह मेरे बचपन का दोस्त है न। खैर, राजा साहब ने सूचना दी कि वे आपको अपना दरबारी मंत्रा मनोनीत करना चाहते हैं। अगर सहमत हों तो कल दरबार में हाजिर हों। मैं चलता हूं। आओ, नंदू चलें।


दीवान नंदू को साथ लेकर चला गया। सेठ ने सोचा अगर नंद लाल ने दीवान से शिकायत कर दी और दीवान ने राजा को बता दिया तो राजा  मुझे मंत्रा नहीं बनाएगा। वह दौड़ा और नंदू को आवाज देकर रोका, ’अरे तुम कहां चले, रुको। मुझे तुमसे कुछ काम है।


वह नंदू को वापस अपनी बैठक में ले गया। पूछा, ’तूने दीवान को कुछ बताया तो नहीं?‘ नंदू बोला,’अभी तो नहीं, अब बताऊंगा।‘ सेठ ने कहा, ’अपने गहने यह ले और उधार के पैसे भी अपने पास रख। उसे कुछ न बताना।‘ नंद लाल ने कहा, ’उन सब लोगों के पैसे-गहने लौटाओ पहले जिनसे बेईमानी की है।‘ सेठ ने कहा, ’लौटा दूंगा, तू वादा कर किसी को कुछ नहीं बताएगा। नंदलाल ने कहा, ’नहीं बताऊंगा।


सेठ ने सबके गहने, पैसे लौटा दिए। अगले दिन वह दरबार में गया। वहां दीवान ने पहले ही सूचना दे दी थी। सेठ को वहां शर्मिंदा होना पड़ा। वहां उसने भविष्य में बेईमानी न करने की कसम खायी।