जयपुर, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा कि संकाय विकास के अंतर्गत शिक्षण की बोझिलता को दूर करने के लिए काम किए जाने की जरूरत है।
मिश्र महात्मा गांधी चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ‘संकाय विकास कार्यक्रम’ को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को पढ़ाना नहीं, उन्हें समय-संदर्भों से जोड़ते हुए शिक्षण को रुचिकर बनाना होना चाहिए।
मिश्र ने कहा कि सीखना और सीखाना सतत प्रक्रिया है और ऐसे कार्यक्रमों के जरिए यह प्रयास किया जाए कि शिक्षण विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर सके।
उन्होंने कहा कि सक्षम और प्रभावी शिक्षक ही विद्यार्थियों को भविष्य की नयी दिशा प्रदान कर सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में कृत्रिम मेधा और अन्य तकनीक का समावेश करते हुए चिकित्सा प्रशासन, शोधकर्ता की भूमिका आदि से जुड़े कौशल विकसित करने की ओर भी ध्यान दिया जाए।
उन्होंने देश की नयी शिक्षा नीति के आलोक में भी ‘संकाय विकास कार्यक्रम’ को अद्यतन किए जाने पर जोर दिया।
मिश्र ने कहा, ‘‘ शिक्षा वही सार्थक है जिसमें नये पन पर जोर हो। शैक्षिक नवाचारों को जितना अधिक हम अपनाएंगे उतना ही हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के रास्ते खुलते चले जाएंगे।’’
उन्होंने कहा कि ज्ञानार्जन के साथ-साथ शिक्षा जनोपयोगी तभी बनेगी, जब युगीन संदर्भों का समावेश करते हुए उसमें नवाचारों को अपनाया जाए।
इससे पहले राज्यपाल ने संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए। इससे पहले ‘नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस’ के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत सेठ ने इस कार्यक्रम की उपादेयता के बारे में बताया।