चेन्नई मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी अस्पतालों को दुर्घटनाओं में मृतकों/घायलों के रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करने को कहे, ताकि ऐसे मामलों में दावेदार के खिलाफ लापरवाही का निर्धारण किया जा सके।
न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने हाल ही में एक दावेदार को 1.53 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश को बदलते हुए मुआवजा राशि बढ़ाकर 3.53 लाख रुपये देने का निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि उसके हिसाब से शराब पीना कोई अपराध नहीं है। इसने कहा, ‘‘वास्तव में, राज्य खुद से संचालित आईएमएफएल की दुकानों के माध्यम से नागरिकों को शराब का एकमात्र प्रदाता है। इसके मद्देनजर यह एकमात्र राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शराब की खपत से होने वाले परिणामों का भी ध्यान रखे।’’
अदालत ने तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव को रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करने के संबंध में सभी अस्पतालों को एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस प्रक्रिया को अनिवार्य बनाया जाएगा, क्योंकि ऐसे मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है, जहां चालक शराब पीकर वाहन चलाते हैं। हालांकि राज्य सरकार औचक निरीक्षण करने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन यह समस्या इतने से ही ठीक नहीं होगी, बल्कि कम से कम ऐसे मामलों में जहां दुर्घटनाएं होती हैं, रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करना अनिवार्य बनाना होगा।’’
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, पेरम्बलूर ने 2022 में दावेदार रमेश को 3.07 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया था, लेकिन न्यायाधिकरण ने उनके खिलाफ 50 प्रतिशत लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे से आनुपातिक राशि काट ली। इससे व्यथित होकर, दावेदार ने वर्तमान याचिका दायर की थी।
न्यायाधीश ने कहा कि दुर्घटना रजिस्टर और डॉक्टर के साक्ष्य में यह उल्लेख किया गया था कि दावेदार से शराब की गंध आ रही थी। न्यायाधिकरण ने यह भी माना कि शराब के प्रभाव के कारण और लॉरी से सुरक्षित दूरी नहीं रख पाने के कारण दोपहिया वाहन की उसके पिछले हिस्से से टक्कर हो गई थी।