भगवान श्रीराम भारतीय जनमानस की आस्था के केंद्र हैं। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण हमारे अंदर लोकमंगल और लोकरंजक के रूप में विराजमान हैं। हमारे सभी देवी-देवता हमारी आस्था, भक्ति, शक्ति, प्रेम, शिक्षा, दर्शन सभी कुछ हैं। सही मायनों में यह वैश्विक जनमानस के मार्गदर्शक भी हैं। हमारे सभी तीज-त्योहार भगवान की पूजा, भक्ति आदि के आधार पर ही मनाए जाते हैं। इसीलिए लोग तीज-त्योहारों पर मंदिरों-तीर्थ स्थलों पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचते हैं। यह सभी हमारी आस्था, भक्ति, पूजा पद्धति से जुड़ा हुआ है।
त्रेता युग में भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या धाम में हुआ। आज भगवान श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर अयोध्या धाम में बनकर तैयार हो गया है। रामलाल के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा इसी वर्ष 22 जनवरी, 2024 को की गई है। इस शुभ अवसर पर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी उपस्थित रहे और कितने ही साधु, संत, महात्मा, उद्योगपति, गणमान्य हस्तियां उस दिन रामलाल के दर्शन के लिए उपस्थित रहे। इन सभी हस्तियों ने कतार में लगकर भगवान श्रीराम के दर्शन किए। इस कार्यक्रम को टीवी पर लाइव दिखाया गया, यह नजारा इतना दिव्य और भव्य रहा कि वहां उपस्थित लोगों की आंखें भर आई। जो लोग टीवी पर देख रहे थे, उनकी भी आंखें भर आई। सभी अपने-अपने भक्ति भाव से भगवान श्रीराम के दर्शनों के अभिलाषी दिखाई दे रहे थे। भारतीय जनमानस में यह भाव होना स्वाभाविक ही है। अपने ही देश में, अपनी ही भूमि पर, अपने ही देवी-देवताओं के मंदिर को स्थापित करने में हमें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। भगवान श्रीराम के साक्ष्य भी मांगें गए, भारतीय आस्था को तरोड़ा-मरोड़ा गया, उसको कुचला तथा दबाया गया। लेकिन सत्य को कोई छुपा नहीं सकता है और आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है।
पिछले दिनों अयोध्या जाने और प्रभु श्रीराम के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान श्रीराम के दर्शन पाकर मैं धन्य हो गया। अयोध्या धाम में चारों ओर जय श्रीराम, जय श्रीराम… का स्वर कानों में सुनाई देता रहा। पूरा भारत और पूरे भारतीय जनमानस की झलक यहां दिखाई दे रही थी। अलग-अलग राज्यों से दर्शन करने आए भक्त भगवान श्रीराम की भक्ति में डूबे हुए नजर आए। विदेशी मेहमान भी राम भक्ति में रंगे नजर आए। भगवान श्रीराम का मंदिर पारंपरिक वास्तु का प्रतिनिधित्व करता लाल बलुए पत्थर से बनाया गया है। मंदिर का परकोटा 8 एकड़ में है, जबकि संपूर्ण रामजन्म भूमि परिसर 72 एकड़ से अधिक में है। मंदिर में पत्थरों पर नक्काशी देखते ही बनती है। भक्तों की भारी भीड़ के बीच हमें भी भगवान श्रीराम के दर्शन हुए।
राममंदिर में और पूरे अयोध्या धाम में बहुत ही सुंदर व्यवस्था को देखकर राम राज्य की याद आ गई। भारी भीड़ होते हुए भी लोग प्रेम पूर्वक व्यवहार कर रहे हैं। प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद है। सभी एक दूसरे की मदद करने को तैयार हैं। प्रशासन की हर एक व्यवस्था देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में कई लेयर की सुरक्षा व्यवस्था को रखा गया है। भक्तों को दर्शन में अव्यवस्था ना हो इसके लिए समान रखने, मोबाइल आदि रखने के लिए लॉकर व्यवस्था बनाई गई है। लॉकर में सामान रखकर, उसकी चाबी समान रखने वाले भक्त को ही दे दी जाती है। सभी जगह सुंदर व्यवस्था। माँ सरयू नदी के किनारे मंगल आरती और लोगों का भक्ति भाव देखते ही बनता है। हनुमानगढ़ी में भगवान हनुमान जी के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ रहती है। वास्तव में रामनगरी मंदिरों की नगरी के रूप में विख्यात है। नगरी की पंचकोसीय परिक्रमा की परिधि में ही दस हजार से अधिक मंदिर बताएं जाते हैं। सही मायनों में तो अयोध्या में हर एक घर मंदिर नजर आता है।
दिल्ली से अयोध्या तक का सफर अपनी कार से सड़क मार्ग के द्वारा हुआ। सड़क मार्ग पर चलते हुए नया भारत देखा। समर्थ भारत और विकसित भारत की झलक सड़क मार्ग के द्वारा नजर आती है। कहीं कोई व्यवधान नहीं, कहीं कोई समस्या नहीं, बढ़े चलो – बढ़े चलो। सुख-सुविधाओं से बनी यह सुंदर सड़कें, बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर दिखाई देती हैं। बदलते भारत में आस्था, विश्वास, विज्ञान, उन्नति सभी कुछ तेजी से विकसित हो रहे हैं। भारत वैश्विक महाशक्ति के रूप में हर क्षेत्र में उभर रहा है। हमें भारत को नई सोच, नई विचारधारा के साथ देखना समझना होगा।