हमें होने वाले कई बीमारियों का इलाज हमारे घर में पायी जाने वाली वस्तुओं से ही हो सकता है। आईये, जाने ऐसी कुछ वस्तुओं के बारे में
हल्दी :-
चोट :- कहीं भी चोट, मोच आ गई हो तो हल्दी के साथ पानी मिला हुआ चूना मिलाकर लेप कर देने से चोट-मोच को शीघ्र आराम मिलता है। सूजन भी कम हो जाती है। दर्द भी दूर हो जाता है। लगाने के साथ हल्दी एक चम्मच गर्म दूध से खाना चाहिए, इससे तत्काल दर्द में लाभ होता है। यह प्रतिरोधक दवा भी है।
घाव :-चोट से घाव हो गया तो उसमें हल्दी का चूर्ण भर दें या हल्दी को घी में गर्म करें तथा इस गर्म-गर्म हल्दी में रूई का फोहा पानी में भिगोया हुआ डाल दें। फोहा पक जायेगा तथा घी व हल्दी को सोख लेगा। इसे गुनगुना ही रात को घाव पर बांधकर सो जावें तो सुबह तक ही काफी आराम आ जायेगा। पैरों में कांटा चुभ गया हो तो इसे बांध लें कांटा ऊपर आ जायेगा। दर्द शांत हो जायेगा, फोड़ा न फूटता हो तो वह भी इससे फूट जायेगा।
आंख :- हल्दी को नीबू के रस में खरल करें। सूख जाने पर इसे अंजन की तरह आंख में लगाने से आंख का जाला, फूला दूर होता है, हल्दी को पानी में घिसकर आंख के ऊपर लेप करने से आंख की लालिमा दूर होती है।
आमवत :- हल्दी व सोंठ समभाग को सुबह-शाम दूध से लेने से आमवत में लाभ होता है।
खांसी :- हल्दी की गांठ को आग में भून लें, इसे चूसते रहने से खांसी का दौरा रुकता है तथा खांसी ठीक होती है।
प्रमेह :- हल्दी को आंवले के रस व मधु के साथ सेवन करने से प्रमेह एवं स्वप्नदोष में लाभ होता है।
श्वास :- हल्दी के चूर्ण को गाय के घी के में भून लें इसे मधु में मिलाकर सुबह-शाम लेने से श्वास रोग तथा ईसनोफीलिया में आराम मिलता है। एलर्जी जन्य श्वास रोग में भी हल्दी अत्यंत लाभदायक है।
सुधा हरिद्रा :- हल्दी तथा चूना 25-25 ग्राम लें एक मिट्टी को हांडी में चूना डालकर एक लीटर पानी डाल दें। पानी से चूना खुदबुदाने लगेगा। तत्काल उसमें हल्दी डाल दें तथा तत्काल ढक्कन लगाकर बंद कर दें। थोड़ा ठण्डा हो जाने पर कपड़े से मिट्टी की हांडी को पैक करके रख दें। जब पानी पूरा सूख जाये तो हल्दी को निकालकर धोकर सुखाकर महीन चूर्ण कर लें तथा घी में भूनकर शीशी में रखें।
एलर्जी : सभी प्रकार की एलर्जी में हल्दी लाभप्रद हैं। एलर्जी जन्य श्वास, प्रतिश्यास रोग में भी उत्तम फलप्रद है। एक-एक चम्मच सुबह-शाम मधु से चाटना चाहिए।
कैंसर :- हल्दी का सेवन करने से रसौली होने का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।
हरिद्रा खण्ड :- सुप्रसिद्ध औषधि है जो बाजार में मिलती है। 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी से सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शीतपित्त, खाज, खुजली, एक्जिमा, सोराईसिस, एलर्जी जैसे भयंकर दु:साध्य चर्म रोग अच्छे होते हैं। विचेरक होने से कोष्ठïशुद्धि भी करता है।
मैथी :-
मैथी चूर्ण :- मैथी दाना को पीसकर चूर्ण बना लें, 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी से भोजन के बाद छाछ (मठा से) या केवल सोते समय पानी से लें। मधुमेह में इस प्रकार लेने से मूत्र व रक्त की शर्करा 2 सप्ताह में कम हो जाती है। मधुमेह में मैथी का निरंतर सेवन लाभदायक है। इस प्रकार के रोगी 1 किलो गेहूं के आटे में एक किलो मैथी का आटा पिसवाकर मिक्सी रोटी (चोकर सहित) खाने से भी मधुमेह का नियंत्रण हो जाता है और औषधि सेवन की आवश्यकता नहीं रहती।
मैथी क्वाथ :- मोटी कुटी हुई मैथी 5 ग्राम को एक गिलास पानी में डालकर उबालें, आधा शेष रह जाने पर छानकर चाय की तरह घूंट-घूंट कर गर्म-गर्म पी लें।
मैथी क्वाथ के गरारे :- इस क्वाथ के गरारे करने से गले में दर्द, टांसिल की सूजन, गले के छाले ठीक हो जाते हैं। अमाशय के अल्सर में मैथी के क्वाथ को दिन में 3 बार सुबह खाली पेट, दोपहर को भोजन से आधे घण्टे पहले तथा रात्रि को सोते समय कुछ महीने लगातार लेना चाहिए। इससे अल्सर ठीक हो जाता है। क्वाथ में दूध-चीनी मिलाकर चाय की तरह पी सकते हैं।
मैथी का चूर्ण :- भुने जीरे तथा सेंधा नमक मिलाकर मठे (छाछ) के साथ लेने से आमातिसार में लाभ मिलता है। मैथी और सौंठ में गुड़ मिलाकर सुबह-शाम खाने से आमवात में लाभ मिलता है। मैथी के चूर्ण में जौ का आटा मिलाकर गालों पर लेप करने से गलसुआ के दर्द में तत्काल राहत मिलती है।
मैथी के पत्तों का रस :- नियमित रूप से पीने से वात दर्द, बवासीर, ज्वर, शोथ, अग्रिमांद्य आदि में लाभ मिलता है। मैथी के पत्ते का रस, सफेद कत्था तथा मिश्री मिलाकर लेने से बहुमूत्र में लाभ होता है। मैथी, मूंगफली तथा छुहारा रात में भिगो दें, सुबह नाश्ते में लें, स्वप्रदोष में लाभ मिलता है। श्वेत प्रदर में मैथी का चूर्ण एक चम्मच गुड़ मिलाकर कुछ दिन तक खाना लाभप्रद है।
मैथी मोदक :- मैथी पाक सर्दियों में खाने से वर्ष भर बहुत लोग रोगों से बचे रहते हैं। अत: आमवात व वात रोगियों के लिए मैथी मोदक का सेवन आदि लाभप्रद हैं।
धनिया के घरेलू उपचार :-
धनिया की चाय :- एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया डालकर उबालकर एक कप शेष रख लें। इसमें दूध-चीनी मिलाकर चाय की तरह पीने से आमदोष का पाचन होकर पाचन शक्ति बढ़ती है। देह में हल्कापन तथा स्फूर्ति का अनुभव होता है।
पित्तज दाह :- धनिया 1 ग्राम, मिश्री 2 ग्राम को एक गिलास पानी में मिट्टी के बर्तन में रातभर भिगोकर रखें, सुबह मसलकर छानकर पीवें। इससे सिर में चक्कर आना, सारे शरीर में खासकर पैरों की पगदायी में जलन होना, आदि में आराम मिलता है। मूत्र दाह तथा मुख के छाले भी इससे ठीक होते हैं।
दिमागी कमजोरी :- अकस्मात आंखों के सामने अंधेरा छा जाने में इसके सेवन से बड़ा लाभ मिलता है।
अति आर्तवस्त्राव :- यदि मासिक स्राव बहुत अधिक मात्रा में आता हो तो उपरोक्त शर्बत पिलावें तो 3-4 दिन में ही आराम आ जाता है।
रक्तार्श :- बवासीर में रक्त जाने में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है।
अतिसार :- भुना हुआ धनिया का चूर्ण एक चम्मच दही में मिलाकर खाने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
वमन :- गर्भवती स्त्री को प्रात:कालीन वमन में धनिया का वर्णित विधि से तैयार शर्बत पिलाने से लाभ होता है।
अनिद्रा :- हरा धनिया का रस 3 मिली रात में सोते समय पीने से सुख की नींद आती है।
स्वप्नदोष :- धनिया चूर्ण के समभाग मिश्री मिलाकर एक चम्मच सोते समय लेना लाभप्रद है।
नकसीर :- नाक से रक्तस्राव हो तो धनिया के हरे पत्तों का रस एक चम्मच पिलाएं तथा इसी रस की एक बूंद नाक में डालने तथा सिर में लेप करें तो नकसीर बन्द हो जाती है।
मुखपाक :- धनिया का महीन चूर्ण जीभ पर लगाते रहने से आराम मिलता है।
अरुचि :- धनिया की चटनी बनाकर भोजन के खाने का आम रिवाज है ही।
पलित रोग :- धनिया को जल में महीन पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन में लाभ मिलता है तथा मस्तिष्क में शीतलता आती है।
गर्भशूल :- धनिया को चावल के धोवन से देने से गर्भवती को आठवें माह में होने वाला शूल शमन होकर गर्भ में स्थिर रहता है।