आयुर्वेद के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का हाजमा हमेशा सही रहे तो उसे कोई बीमारी हो नहीं सकती परन्तु प्रायः देखा गया है कि दुनियां में अधिकतर लोगों का हाजमा सही नहीं रहता। उनको रोजाना शौच की आदत नहीं होती या बड़ी मुश्किल से बहुत कम मल त्याग होता है। इसी स्थिति को कब्ज कहते हैं।
प्रायः लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि यह तुरन्त कोई समस्या पैदा नहीं करता लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही कष्टकारी होते हैं। एक बार यदि यह रोग किसी के शरीर में अपनी जड़ जमा ले तो उससे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन होता है। कब्ज की वजह से ही अनेक बीमारियां जैसे पेट दर्द, सिर दर्द, गैस बनना, मुंह में छाले आदि हो जाते हैं।
प्रायः ऐसा देखा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास कब्ज की शिकायत लेकर जाता है तो डॉक्टर मरीज को किसी ऐसी दवाई के लिए सलाह देता है जिससे कि उस समय तो रोगी की यह समस्या दूर हो जाती है लेकिन बाद में फिर वही स्थिति पैदा हो जाती है और रोगी फिर से कब्ज की गिरफ्त में आ जाता है।
इसका कारण यह है कि प्रायः अधिकतर लोग कब्ज के मूल कारणों को नहीं खोजते जिसके कारण यह स्थाई रूप से शरीर में बनी रहती है। अगर हम अपनी दिनचर्या का ध्यान से अध्ययन करें तो हम पायेंगे कि यह बीमारी हमारी अपनी ही कुछ गलत आदतों की वजह से हमको घेरे है अतः अगर हम अपनी इन आदतों को छोड़ दें तो हम इस असाध्य रोग से छुटकारा पा सकते हैं जिसके लिए हमें किसी दवा या औषधि की जरूरत नहीं पड़ेगी। कब्ज के रोगियों में पाई जाने वाली कुछ मुख्य गलत आदतें निम्न प्रकार से हैं।
प्रायः अधिकतर लोग सुबह सूर्योदय के बहुत देर बाद उठते हैं और फिर समय की कमी के कारण हर कार्य जल्दी-जल्दी करते हैं और शौच जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए भी पर्याप्त समय नहीं दे पाते और इस प्रकार कब्ज का शिकार हो जाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व उठकर तांबे के लोटे में रखा शीतल जल पी कर थोड़ा टहलना चाहिए। फिर शौच जाना चाहिए।
स्वाभाविक शौच के लिए आवश्यक है कि आप शौच क्रिया जल्दबाजी में न करें तो बेहतर होगा। स्वाभाविक शौच के लिए कम से कम दस मिनट का समय अवश्य देना चाहिए।
जहां तक संभव हो, भोजन दिन में दो बार ही करना चाहिए। दिन भर उल्टा-सीधा जैसे आइसक्रीम, चाट, पकौड़ी आदि भी नहीं खाना चाहिए। इससे भोजन का पाचन सही रूप से नहीं हो पाता।
सही रूप से दोनों समय के भोजन में कम से कम 5-6 घंटे का अंतर होना आवश्यक है ताकि भोजन का पाचन सही रूप से हो सके।
प्रायः देखा गया है कि लोग दिन में भोजन करने के तुरंत बाद काम पर भागते हैं और रात को 10-11 बजे खाते हैं और तुरंत सोने चले जाते हैं जो हमारी पाचन शक्ति के लिए हानिकारक है अतः प्रत्येक व्यक्ति को दिन में भोजन करने के बाद थोड़ी देर आराम अवश्य करना चाहिए। रात को भोजन जल्दी ही 6-7 बजे के करीब ही कर लेना चाहिए जिससे सोने से पहले भोजन को पचने के लिए 2-3 घंटे का समय मिल जाये।
रात्रि के भोजन के बाद थोड़ी दूर तक टहलने अवश्य जाना चाहिए जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाये।
समयाभाव के कारण अक्सर लोग जोर लगाकर शौच करते हैं जो खतरनाक है क्योंकि इससे पाइल्स, फिशर जैसे कष्टप्रद रोग हो जाते हैं। भोजन करने के तुरंत बाद ही अधिक पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन क्रिया धीमी हो जाती है और हमारा भोजन देर से पचता है अतः भोजन करने के एक घंटे पश्चात् ही पानी पीना चाहिए।
दिन भर में लगभग एक-एक घंटे के अंतर पर कई गिलास पानी पीना चाहिए। इससे पेट हमेशा साफ रहता है।
प्रायः देखा गया है कि लोग दिन में केवल सुबह के वक्त ही शौच जाते हैं, जो गलत है। व्यक्ति को दिन में दो समय, सुबह और शाम को शौच जाना चाहिए।
शौच क्रिया के समय व्यक्ति को इधर-उधर की बातें न सोचकर अपना सम्पूर्ण ध्यान शौच क्रिया की ओर एकाग्रचित करना चाहिए।
मल त्याग को रोकना भी कब्ज का प्रमुख कारण है। जिस प्रकार शरीर को एक निश्चित समय पर भूख लगती है, उसी प्रकार मल विसर्जन का भी एक निश्चित समय होता है और यदि उस समय मलावेग की अवहेलना की जाती है तो कब्ज पैदा हो जाता है।
आजकल भोजन में सूखे खाद्य पदार्थों और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का चलन बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है अतः हमें सूखे और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।
प्रायः लोग भोजन में वसा और चिकनाईयुक्त पदार्थों का प्रयोग अधिक करते हैं, जो हमारी पाचन शक्ति को बिगाड़ता है अतः हमें कम चिकनाई वाले रेशेदार फलों, सब्जियों, दालों आदि का सेवन करना चाहिए।
यदि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपनी गलत आदतों को छोड़कर अपनी दिनचर्या में सुधार कर लें तो आप इस व्याधि से बच सकते हैं। फिर भी यदि कब्ज की व्याधि ने आपके शरीर में जड़ जमा ली है तो आप त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ निरन्तर लम्बे समय तक करें तो इस रोग से स्थाई रूप से छुटकारा पाया जा सकता है।