दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘नकली’ दवाओं की आपूर्ति: उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की

नयी दिल्ली,  दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘‘गुणवत्ता मानक परीक्षणों में विफल’’ और ‘‘जीवन को खतरे में डालने की क्षमता’’ वाली दवाओं की कथित आपूर्ति की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की है। राज निवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

घटनक्रम पर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पदभार संभालने के बाद उन्होंने खरीदी गई दवाओं के ऑडिट का निर्देश दिया था, लेकिन स्वास्थ्य सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने नौकरशाह और अन्य संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने की भी मांग की।

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई ने इस मामले पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है।

राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल ने उल्लेख किया है कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं।

कुमार को लिखे नोट में कहा गया है, ‘‘मैंने फाइल का अध्ययन किया है। यह गहरी चिंता की बात है। मैं इस तथ्य से व्यथित हूं कि लाखों असहाय लोगों और रोगियों को ऐसी नकली दवाएं दी जा रही हैं जो गुणवत्ता मानक संबंधी परीक्षणों में विफल रही हैं।’’

उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि दिल्ली स्वास्थ्य सेवा (डीएचएस) के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) द्वारा खरीदी गई ये दवाएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों को आपूर्ति की गईं और हो सकता है कि इन्हें मोहल्ला क्लीनिक को भी आपूर्ति की गई हो।

उन्होंने कहा, ‘‘औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत नियमों और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार सरकार के साथ-साथ निजी विश्लेषकों या प्रयोगशालाओं द्वारा दवाओं का परीक्षण किया गया और परीक्षण में विफल इन दवाओं को ‘मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।’’

सक्सेना ने अपने नोट में यह भी कहा कि ‘भारी बजटीय संसाधनों को खर्च करके खरीदी गई ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं’ तथा ये ‘लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, सीपीए-डीएचएस, दिल्ली सरकार के अलावा इस समूची कवायद में अन्य राज्यों में स्थित आपूर्तिकर्ता, निर्माता और उन राज्यों के दवा नियंत्रक शामिल हैं।’’

उपराज्यपाल ने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक का मामला पहले से ही सीबीआई के पास है। उन्होंने कहा कि इन क्लीनिक में भी ‘गैर मानक गुणवत्ता’ वाली दवाओं की आपूर्ति हो सकती है। ऐसे में इसकी भी जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जा सकती है, क्योंकि जांच के दायरे में सीपीए-डीएचएस, दिल्ली सरकार, आपूर्तिकर्ताओं, डीलर, अन्य राज्यों के निर्माताओं और एजेंसियों सहित विभिन्न हितधारक शामिल हैं।

मामले में सतर्कता निदेशालय ने रिपोर्ट सौंपी थी। राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘घटिया’ दवाओं की आपूर्ति की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद, सरकारी अस्पतालों से नमूने एकत्र किए गए।

‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में भारद्वाज ने दोषी अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की। पोस्ट में भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैंने 9 मार्च 2023 को पदभार संभाला। सीपीए या अन्य माध्यम से खरीदी गई दवाओं के ऑडिट के लिए 21 मार्च 2023 को निर्देश दिए। स्वास्थ्य सचिव द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’

भारद्वाज ने कहा, ‘‘24 जुलाई 2023 को स्वास्थ्य सचिव से पुनः कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गयी। हालांकि, स्वास्थ्य सचिव की ओर से कोई जवाब नहीं आया। दवाओं की खरीद डीजीएचएस के अंतर्गत आती है और विभाग प्रमुख स्वास्थ्य सचिव हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दो महीने पहले 23 अक्टूबर को, मैंने उपराज्यपाल से स्वास्थ्य सचिव एस बी दीपक कुमार और डीजीएचएस को निलंबित करने की सिफारिश की थी। उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कम से कम अब तो उन्हें निलंबित कर दीजिए।’’

इससे पहले, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने यहां संवाददाता सम्मेलन के इतर इस मामले के बारे में पूछे जाने पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सरकार विस्तृत प्रतिक्रिया देगी।

राय ने कहा कि उन्होंने मामले का विवरण नहीं देखा है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार विस्तृत अध्ययन के बाद अपनी प्रतिक्रिया देगी। लेकिन मामलों को जांच के लिए सीबीआई को भेजने की ऐसी व्यवस्था सरकार के काम में बाधा डालने का माध्यम बन गई है। अधिकार मामलों पर निर्णय लेना बंद कर देते हैं। लेकिन इस मामले में सरकार इसका अध्ययन करेगी।’’

भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संवाददाता सम्मेलन में भारद्वाज पर हमला बोला। सचदेवा ने कहा, ‘‘हमारे पास लैब और सतर्कता रिपोर्ट है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दी जा रही दवाओं के नमूने फेल हो गए हैं। हम मांग करते हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें।’’