नन्हा मोनू जोर से रो रहा है। मचलते हुए अपनी मां से कह रहा है- अगर तुम मुझे टॉफी, बिस्किट और कोल्डड्रिंक नहीं दोगी तो? मैं तुमसे नहीं बोलूंगा।
मां ने उसे दो बिस्किट, दो टॉफी दी। गुस्से में उसने फैंक दी। मां ने उसके गाल पर दो तमाचे मारे और तेज आवाज में बोली- दिनोंदिन तू बिगड़ता जा रहा है। मैं और तेरे बापू जैसे-तैसे मेहनत-मजदूरी करके घर चला रहे है और तू है कि दिनोंदिन तेरी जिद बढ़ती ही जा रही है। सुनले! तुझे ये बिस्किट, टॉफी नहीं चाहिए, मत लें, जो तुझे ढेर सारे बिस्किट, टॉफी दे उसके पास चला जा।
सुबकते हुए मोनू बोला- हां… हां… मुझे ढेर सारे बिस्किट, टॉफी, कोल्डड्रिंक दिलवाएगी। मैं परी के पास जा रहा हूं और वह दौड़ गया। आस-पास की महिलाएं मोनू की मां से बोली- बहन! उसे रोको, भागते हुए पता नहीं कहा निकल जाए…।
मोनू की मां बोली- अरे वह कहीं नहीं जाने वाला…! रोज ऐसे ही जिद करता है, जिद पूरी नहीं होने पर लड़ता है। नाराज होकर चला जाता है, फिर थोड़े समय में लौट आता है।
दौड़ते हुए मोनू थोड़ा आगे वाले बगीचे में पहुंचा। एक कुर्सी पर बैठ गया, ठंडी हवा के साथ परी को याद करते हुए जाने कब उसकी आंख लग गई।
उसने देखा वह ऐसी जगह पर है, जहां पेड़ों पर ढेरों टाफियां लटक रही है, बिस्किट के घर बने है, नदी में कोल्डड्रिंक बह रही है, जैसे ही उसने पेड़ से टॉफी तोडऩा चाही, हंसी की आवाज आई।
उसने देखा पेड़ के पीछे रंग-बिरंगे पंखों वाली हाथ में सुनहरी छड़ी पकड़े और सुंदर वस्त्रों से सजी परी खड़ी हंस रही है और इशारे से उसे बुला रही है।
डरते हुए मोनू परी के पास पहुंचा। परी ने उसे सहलाया और हंसते हुए बोली- मोनू! तुमने जो चाहा है, वह सब यहां है, जितना चाहे खाओ, जितनी चाहे पीओ, पर ध्यान रहे, लालच जरा भी नहीं करना है।
मोनू बोला- परीजी! क्या मैं ढेर सारी टॉफी ढेर सारे बिस्किट अपने साथ ले जा सकता हूं।
परी हंसी और बोली- मोनू! मेरी बात ध्यान रखो। तुम यहां पर जितना चाहो खाओ-पीओ, पर साथ ले जाने
की या घर ले जाने की बात मत सोचना। चलो अब जल्दी से अपना काम करो। मुझे और बच्चों के पास भी जाना है।
मोनू ने कुछ कहना चाहा तो नाराजी के अंदाज में परी बोली- मैं जान चुकी हूं, तुम बहुत ही जिद्दी हो। जब तुम अपनी मां का कहना नहीं मानते हो, तो मेरा कहना कहां मानोगे, अच्छा मैं अपना सामान लेकर यहां से चली।
अरे… अरे… परी दीदी! रुको और मेरी बात सुनों! अब मैं आपका कहना मानूंगा। मां का कहना भी मानूंगा, बापू को भी परेशान नहीं करूंगा, पर मुझे इस तरह छोड़कर नहीं जाओ… नहीं जाओ…! और उसकी आंख खुल गई।
तो क्या ये सपना था…! चलो सपने में ही सही, परी दीदी तो मिली। साथ ही टॉफी के पेड़, बिस्किट के घर… रसना की नदियां तो देखी। परी दीदी की बात को ध्यान में रखकर मैं कभी जिद या लालच नहीं करंगा। अब घर चलता हूं, मां मेरा रास्ता देख रही होगी। वह उठा और घर की ओर बढ़ गया।