पतली कमर व छरहरी काया पाने तथा मोटापे को पास न फटकने देने के चक्कर में आज की युवतियां न जाने क्या कुछ नहीं करती? अध्ययन बताते हैं कि यह प्रवृत्ति आज हर वर्ग की युवतियों में बढ़ती जा रही है। यहां तक कि आठ-दस साल की बच्चियां भी छरहरी काया के लिए एलर्ट हैं।
छरहरी काया के लिए तथा मोटापे को कम करने के लिए भूखा रहकर अपने शरीर के साथ खिलवाड़ करना उचित नहीं है। अधिक भूखा रहने पर शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि शरीर का विकास रूकने लगता है। संतुलित भोजन करने या अन्य उपायों द्वारा शरीर को मोटापे से बचाया जाना कतई अपराध नहीं है किंतु शरीर को अत्यधिक भूखा रखना उचित नहीं है।
अधिक भूखा रहने से महिलाओं के खून में प्रोटीन की कमी के साथ ही कैल्शियम की अल्पता और हारमोन असंतुलन की स्थिति आ जाती है। इसका सीधा प्रभाव महिलाओं के मासिक चक्र पर पड़ता है। कम मात्रा में या फिर अधिक मात्रा में मासिक स्राव का होना भी डाइटिंग का ही परिणाम होता है। इस कारण जल्द थकान का होना, चिड़चिड़ापन, लो ब्लडप्रेशर व तनाव की स्थिति भी बढ़ रही है।
भूखे रहकर पतला होने की ललक उच्च व मध्यमवर्ग की युवतियों के बीच ही नहीं है बल्कि छोटे तबके की युवतियां में भी बढ़ती जा रही है। सर्वेंक्षण बताते हैं कि मां-बाप भी चाहते हैं कि उनकी बेटियां छरहरी रहें ताकि शादी का मामला सहजता से सुलझ सके।
भूखे रहने की यह बीमारी सिर्फ हमारे देश में ही नहीं है बल्कि पश्चिमी देशों में भी पनप रही है। पिछले दिनों प्रसिद्ध ब्रिटिश चिकित्सा शोध पत्रिका लेंसेट में एक रोचक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसके अनुसार डॉ. जिफैल और उनके सहयोगी चिकित्सकों ने 84 ऐसी महिलाओं को चुना जो भूख की बीमारी अर्थात् एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित थीं। इनमें से चौदह महिलाएं बाद में स्लोडैथ अर्थात् धीमी मृत्यु को गले लगा बैठीं। बाइस महिलाएं भूख न लगने की बीमारी से इस हद तक प्रभावित हुई कि मानसिक रोग की चपेट में आ गई। दोषी महिलाओं में 10.4 प्रतिशत इक्कीस वर्ष पूर्व भूख न लगने की बीमारी के पहली बार हुए इलाज के बाद से आज तक इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
अनुसंधान दल ने पाया कि इस बीमारी में सुधार के बाद महिलाओं के कार्य करने की क्षमता में भी जबरदस्त कमी आई। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित महिलाओं ने अपनी यौन क्षमता को भी खो दिया था।
अगर वास्तव में छरहरी काया पानी है तो भूखे रहने की प्रवृत्ति को छोड़ दीजिए और चिकनाई से पल्ला झाड़िए। जितना कम से कम चिकनाई का प्रयोग होगा, उतना अच्छा होता है। अनाज का अधिक प्रयोग, हरी सब्जियों का प्रयोग तथा सलाद का प्रयोग अधिक से अधिक करिए। स्लिम रहने के लिए जो भी उपाय करें, किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें न कि स्वयं ही आहार विशेषज्ञ बनकर इसका प्रयोग करें।
छरहरी काया के लिए तथा मोटापे को कम करने के लिए भूखा रहकर अपने शरीर के साथ खिलवाड़ करना उचित नहीं है। अधिक भूखा रहने पर शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि शरीर का विकास रूकने लगता है। संतुलित भोजन करने या अन्य उपायों द्वारा शरीर को मोटापे से बचाया जाना कतई अपराध नहीं है किंतु शरीर को अत्यधिक भूखा रखना उचित नहीं है।
अधिक भूखा रहने से महिलाओं के खून में प्रोटीन की कमी के साथ ही कैल्शियम की अल्पता और हारमोन असंतुलन की स्थिति आ जाती है। इसका सीधा प्रभाव महिलाओं के मासिक चक्र पर पड़ता है। कम मात्रा में या फिर अधिक मात्रा में मासिक स्राव का होना भी डाइटिंग का ही परिणाम होता है। इस कारण जल्द थकान का होना, चिड़चिड़ापन, लो ब्लडप्रेशर व तनाव की स्थिति भी बढ़ रही है।
भूखे रहकर पतला होने की ललक उच्च व मध्यमवर्ग की युवतियों के बीच ही नहीं है बल्कि छोटे तबके की युवतियां में भी बढ़ती जा रही है। सर्वेंक्षण बताते हैं कि मां-बाप भी चाहते हैं कि उनकी बेटियां छरहरी रहें ताकि शादी का मामला सहजता से सुलझ सके।
भूखे रहने की यह बीमारी सिर्फ हमारे देश में ही नहीं है बल्कि पश्चिमी देशों में भी पनप रही है। पिछले दिनों प्रसिद्ध ब्रिटिश चिकित्सा शोध पत्रिका लेंसेट में एक रोचक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसके अनुसार डॉ. जिफैल और उनके सहयोगी चिकित्सकों ने 84 ऐसी महिलाओं को चुना जो भूख की बीमारी अर्थात् एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित थीं। इनमें से चौदह महिलाएं बाद में स्लोडैथ अर्थात् धीमी मृत्यु को गले लगा बैठीं। बाइस महिलाएं भूख न लगने की बीमारी से इस हद तक प्रभावित हुई कि मानसिक रोग की चपेट में आ गई। दोषी महिलाओं में 10.4 प्रतिशत इक्कीस वर्ष पूर्व भूख न लगने की बीमारी के पहली बार हुए इलाज के बाद से आज तक इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
अनुसंधान दल ने पाया कि इस बीमारी में सुधार के बाद महिलाओं के कार्य करने की क्षमता में भी जबरदस्त कमी आई। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित महिलाओं ने अपनी यौन क्षमता को भी खो दिया था।
अगर वास्तव में छरहरी काया पानी है तो भूखे रहने की प्रवृत्ति को छोड़ दीजिए और चिकनाई से पल्ला झाड़िए। जितना कम से कम चिकनाई का प्रयोग होगा, उतना अच्छा होता है। अनाज का अधिक प्रयोग, हरी सब्जियों का प्रयोग तथा सलाद का प्रयोग अधिक से अधिक करिए। स्लिम रहने के लिए जो भी उपाय करें, किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें न कि स्वयं ही आहार विशेषज्ञ बनकर इसका प्रयोग करें।