यूएसए और चीन के बाद भारत एशिया की तीसरी प्रमुख सैन्य शक्ति बना

0
dwsda

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत अब यूएसए और चीन के बाद एशिया की तीसरी प्रमुख सैन्य शक्ति बन चुका है। यह पाकिस्तान और बंगलादेश के लिए किसी सदमे की तरह है। वहीं उनके आका देश अमेरिका और चीन के लिए भी एक झटके की तरह है क्योंकि आने वाले वर्षों में इन्हें भी बारी-बारी पूर्वक पीछे छोड़ेगा। यह बात मैं नहीं बल्कि एशियन पॉवर इंडेक्स 2025 के8 एक वार्षिक सूची बोल रही है जो एशिया में देशों की समग्र शक्ति को मापती है।

 

गौरतलब है कि इसमें आर्थिक, सैन्य, कूटनीतिक प्रभाव आदि आठ कैटेगिरी में देशों के संसाधन और प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। इस सूची में भारत 40.0 अंक के साथ तीसरे स्थान पर है और इसे “मेजर पावर” यानी प्रमुख शक्ति घोषित किया गया है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह पायदान हासिल किया है, जबकि टॉप पर संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे नंबर पर चीन हैं।

 

एपीआई के अनुसार, भारत की आर्थिक क्षमता, फ्यूचर रिसोर्सेज और राजनयिक प्रभाव में खासा सुधार हुआ है। भारत की सैन्य क्षमता में भी निरंतर सुधार के चलते उसकी क्षेत्रीय और ग्लोबल भूमिका मजबूत हुई है। वहीं, पाकिस्तान इस सूची में 16वें स्थान पर है और टॉप 10 में नहीं है। एशियाई पावर इंडेक्स लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा जारी किया जाता है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों को देखता है और उनकी शक्ति संरचना का आकलन करता है। यह इंडेक्स सिर्फ सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि कुल प्रभाव क्षमता को मापता है, जिसमें अर्थव्यवस्था, कूटनीति, रक्षा नेटवर्क, संस्कृति आदि शामिल हैं।

 

लोवी इंस्टीट्यूट एशिया पावर इंडेक्स 2025 को मापने के लिए आठ मुख्य मापदंडों का उपयोग किया जाता है: सैन्य क्षमता, आर्थिक क्षमता, रक्षा नेटवर्क, कूटनीतिक प्रभाव, सांस्कृतिक प्रभाव, पुनःस्थापन क्षमता (रेजिलिएंस), भविष्य के संसाधन और अंतरराष्ट्रीय संबंध। कुल मिलाकर इसमें 30 उप-माप और 131 संकेतक शामिल हैं, जो किसी देश की व्यापक प्रभाव क्षमता का आंकलन करते हैं। यह इंडेक्स केवल सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह देशों की असली ताकत को उनके क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव, पड़ोसी देशों के साथ उनके रिश्ते, तकनीकी और व्यापारिक शक्तियों, और उनके भविष्य के विकास की संभावनाओं के हिसाब से मापता है।

 

इस इंडेक्स के अंतर्गत हर देश को 100 अंकों के पैमाने पर स्कोर दिया जाता है, जो यह दर्शाता है कि वे एशिया में कितना प्रभावशाली हैं। लोवी इंस्टीट्यूट इस सूचकांक को एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों पर लागू करता है और यह वार्षिक रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित होता है। इस इंडेक्स के परिणाम से देशों के भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव और उनकी क्षेत्रीय भूमिका का पता चलता है।

 

एशियन पॉवर इंडेक्स (एपीआई) के आठ माप निम्नलिखित हैं: पहला, सैन्य क्षमता– इसमें देश की सैन्य ताकत, हथियार, सैन्य कर्मियों और रक्षा बजट को मापा जाता है। दूसरा, आर्थिक क्षमता– देश की आर्थिक स्थिति, जीडीपी, मुद्रा रिजर्व, और अन्य आर्थिक संसाधनों का आकलन। तीसरा, रक्षा नेटवर्क– क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधनों और सहयोग को मापा जाता है। चतुर्थ, कूटनीतिक प्रभाव– अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंध, द्विपक्षीय समझौते और वैश्विक मंच पर देश की भूमिका।पंचम, सांस्कृतिक प्रभाव– देश की संस्कृति, भाषा, मीडिया प्रसारण और अन्य सांस्कृतिक माध्यमों के प्रभाव को दिखाता है। षष्टम, पुनःस्थापन क्षमता– प्राकृतिक आपदाओं, आर्थिक संकटों आदि का सामना करने की देश की सामर्थ्य। सप्तम, भविष्य के संसाधन– शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुसंधान-प्रौद्योगिकी विकास और युवा आबादी की संभावना। अष्टम, अंतरराष्ट्रीय संबंध– देश की विदेश नीति, व्यापार साझेदार और वैश्विक संगठनों में उसकी भागीदारी।

 

वस्तुतः ये आठ माप 30 उप-मापों और 131 संकेतकों के जरिए विस्तृत रूप से मूल्यांकन किए जाते हैं, जिससे किसी देश की समग्र शक्ति का आंकलन होता है। पूरे इंडेक्स का स्कोर 100 अंकों के पैमाने पर दिया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि कोई देश एशिया में कितना प्रभावशाली है। एशियन पावर इंडेक्स के उपर्युक्त आठ मापों का भारत के कुल स्कोर पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। भारत की सैन्य क्षमता, आर्थिक क्षमता, कूटनीतिक प्रभाव, और भविष्य के संसाधन जैसे माप उसकी पूरी ताकत को बढ़ाते हैं, जिससे भारत को बेहतर कुल स्कोर मिलता है।

 

उदाहरण के लिए, भारत की आर्थिक प्रगति और कूटनीतिक नेटवर्क में सुधार से इसकी रैंकिंग में मजबूती आई है। वहीं, पुनःस्थापन क्षमता और सांस्कृतिक प्रभाव जैसे माप भी भारत के क्षेत्रीय प्रभाव और वैश्विक छवि को मजबूत बनाते हैं। हालांकि, कुछ चुनौतियां जैसे प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने की क्षमता और संसाधनों का प्रभावी उपयोग भारत के स्कोर को सीमित भी कर सकता है। कुल मिलाकर, ये आठ माप मिलकर भारत की समग्र शक्ति और क्षेत्रीय भूमिका का आंकलन करते हैं, जो इस इंडेक्स में भारत के तीसरे स्थान पर आने का कारण हैं। इसलिए भारत की कुल रैंकिंग इन सभी क्षेत्रों में उसके प्रदर्शन का समग्र प्रतिबिंब होती है।

भारत ने एशियन पावर इंडेक्स के आठ मापों में सबसे अधिक सुधार आर्थिक क्षमता के क्षेत्र में किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले दशक में वैश्विक औसत के मुकाबले लगभग 90% की वृद्धि दर्ज की है, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में सबसे उल्लेखनीय प्रगति है। यह सुधार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), निवेश, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्र में तेज विकास की वजह से हुआ है। इस तेजी से बढ़ती आर्थिक ताकत ने भारत को एशिया में तीसरे स्थान पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सैन्य क्षमता और कूटनीतिक प्रभाव में भी भारत ने सकारात्मक सुधार दिखाया है, लेकिन आर्थिक प्रगति सबसे प्रमुख योगदानकर्ता रही है। वहीं, कुछ क्षेत्रों जैसे प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की पुनःस्थापन क्षमता में अभी भी सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। कुल मिलाकर, आर्थिक मापों में भारत का मजबूत प्रदर्शन उसकी समग्र शक्ति और एशिया में प्रभाव बढ़ाने में सबसे बड़ा कारण है।

 

कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *