भाजपा को राज्यसभा में बहुमत का था इंतजार , अब पास होंगे अटके बिल

अशोक भाटिया


राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के नौ और सहयोगी दलों के दो सदस्यों के निर्विरोध निर्वाचन होने के बाद सत्तारूढ़ एनडीए सदन में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गया। नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ राज्यसभा में भाजपा की ताकत 96 तक पहुंच गई है वहीं एनडीए 112 पर पहुंच गया है। निर्विरोध निर्वाचित होने वाले दो अन्य लोगों में एनडीए के सहयोगी एनसीपी अजित पवार गुट के नितिन पाटिल और राष्ट्रीय लोक मंच से उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को छह नामांकित और एक निर्दलीय सदस्य का भी समर्थन हासिल है,वहीं कांग्रेस का भी एक सदस्य निर्वाचित हुआ है जिससे राज्यसभा में विपक्ष की संख्या 85 हो गई।

राज्यसभा में 245 सीटें हैं, हालांकि वर्तमान में आठ सीटें खाली हैं। चार जम्मू-कश्मीर से और चार मनोनीत। सदन की मौजूदा सदस्य संख्या 237 के साथ बहुमत का आंकड़ा 119 है। निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी और राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं।

एनडीए पिछले एक दशक से राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा हासिल करने की कोशिश कर रहा था जिससे  उसके लिए विधेयकों को पारित कराना और आसान हो जाएगा। पिछले कुछ सालों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी। उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पारित किया जा सका है लेकिन अब दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं, एक भाजपा के हाथों और एक उसके सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के हाथों, इसीलिए उनके समर्थन को लेकर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है।

बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा  को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजेडी, वायएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा।

राज्यसभा में बहुमत हासिल करने के लिए एनडीए एक दशक से लगातार प्रयास कर रहा है ताकि महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए बीजू जनता दल (बीजेडी), वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और एआईएडीएमके जैसी पार्टियों पर निर्भरता खत्म हो जाए। दरअसल, पिछले कुछ सालों से उच्च सदन में विपक्ष का बोलबाला देखने को मिल रहा था। विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को पारित करवाने से रोके रखती थी। सरकार ने कई विधेयकों को नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस की मदद से पारित करवाया है हालांकि, अब राजनीतिक हालात बदल गए हैं। ओडिशा में बीजेडी और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी सत्ता से बाहर हो गई है। दोनों ही राज्यों में भाजपा  और एनडीए की सरकार है। ऐसे में दोनों ही दलों के सदन में समर्थन को लेकर संशय बना हुआ है।

इसके साथ ही कांग्रेस के लिए अच्छी खबर यह है कि वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद बरकरार रखेगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता के लिए 25 सदस्यों की जरूरत होती है। कांग्रेस के पास बहुमत से दो ज्यादा सदस्य हो गए हैं।

भाजपा  के नेतृत्व वाले एनडीए को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी स्पष्ट बहुमत हासिल होने से पार्टी नेता गदगद हैं। राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत मिलने से एनडीए सरकार को वक्फ (संशोधन) विधेयक जैसे प्रमुख कानूनों पर मुहर लगवाने में सफलता मिल जाएगी। हाल ही में बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 और बॉयलर्स विधेयक, 2024 पेश किया गया था। इन दोनों विधेयकों पर अभी उच्च सदन से मुहर लगना बाकी है। इस बजट सत्र में राज्यसभा ने जम्मू और कश्मीर विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024, विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2024 और वित्त (सं।2) विधेयक, 2024 विधेयक पर मुहर लगाई है जबकि वक्फ संपत्तियां (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली), विधेयक, 2014 को राज्य सभा से वापस लिया गया है। उच्च सदन में बहुमत हासिल होने के बाद एनडीए सरकार को विधेयक पारित करवाने में अड़चन का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बजट सत्र में सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक समेत 12 नए विधेयक पेश किए। इनमें चार बिल वित्त विधेयक, 2024, विनियोग विधेयक, 2024, जम्मू और कश्मीर विनियोग विधेयक, 2024 और भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पारित हुए हैं। राज्यसभा में भाजपा  के सहयोगियों में अन्नाद्रमुक, जद(यू), जद (एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, राकांपा, रालोद, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस, यूपीपीएल शामिल हैं।

असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेद प्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के इस्तीफे के बाद 10 सीटें खाली हुई थीं। इन सभी सदस्यों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है। वहीं, तेलंगाना के केशवराव और ओडिशा की ममता मोहंता ने इस्तीफे दिया जिसके बाद इन खाली हुईं सीटों पर चुनाव हुए हैं।

राज्यसभा के उपचुनाव से पहले भाजपा  का असम-महाराष्ट्र में दो-दो, मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा में एक-एक सीट पर कब्जा था। उपचुनाव में भाजपा  को चार सीटों का फायदा पहुंचा है। हरियाणा-राजस्थान में कांग्रेस का एक-एक और बिहार में आरजेडी का एक सीट पर कब्जा था। कांग्रेस और आरजेडी को एक-एक सीट का नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने एक सीट तेलंगाना में जीत ली है। इसी तरह, तेलंगाना में बीआरएस का एक और ओडिशा में बीजेडी का एक सीट पर राज्यसभा सांसद था। तेलंगाना में के। केशवराज बीआरएस छोड़कर जुलाई में कांग्रेस में शामिल हो गए थे जबकि ओडिशा की ममता मोहंता बीते माह ही बीजेडी छोड़कर भाजपा  में शामिल हुईं हैं।

राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं। बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं। किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है। वर्तमान में राज्यसभा में भाजपा  के 96, जेडीयू के 4, एनसीपी के 3, जेडीएस का एक, आरएलडी का एक, आरपीआई का एक, शिवसेना का एक और राष्ट्रीय लोक मोर्चा का एक सदस्य है। विपक्ष में कांग्रेस के 27, टीएमसी के 13, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके 10, आरजेडी के 5, वाम मोर्चा के 6, समाजवादी पार्टी के 4, जेएमएम के 3, मुस्लिम लीग के 2, शरद पवार गुट के 2, उद्धव ठाकरे गुट के 2, केरल कांग्रेस(M) का एक, MDMK का एक सदस्य हैं। वहीं, बीजेडी के 8, AIDMK के 4, बीआरएस के 4, YSRCP के 11, असम गण  परिषद का एक, बसपा का एक, मिजो नेशनल फ्रंट का एक, एनपीपी का एक, पीएमके का एक, TMC (M) का एक, UPP (L) का एक सदस्य है। नॉमिनेट की संख्या 6 है। निर्दलीय और अन्य की संख्या 3 है।