चुनाव के बाद भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी एकजुटता बहुत जरूरी: रिपुन बोरा

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कोकराझार (असम),  तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के लिए विपक्षी एकजुटता बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में संयुक्त रूप से विपक्षी उम्मीदवार नहीं उतारने से न तो लोकसभा चुनाव के नतीजे पर कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही सत्तारूढ़ दल को किसी तरह का फायदा होगा।

उन्होंने दावा किया कि भले ही विपक्षी दल असम में कुछ लोकसभा सीट पर एक-दूसरे के आमने-सामने हों, लेकिन भाजपा को इसका फायदा नहीं मिलेगा।

बोरा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने उन निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों को उतारने से परहेज किया है, जहां सत्तारूढ़ दल के खिलाफ चुनाव लड़ रही पार्टी के पास मजबूत जनाधार है।

बोरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ”राज्य में विपक्ष द्वारा संयुक्त उम्मीदवार नहीं उतारे जाने से भाजपा को फायदा नहीं होने वाला क्योंकि हमने बेहद चतुराई से उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जोरहाट, नगांव, धुबरी और करीमगंज जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में हमने विपक्ष को विभाजित नहीं होने दिया और उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे खेमे के वोट कांग्रेस को मिलेंगे।”

उन्होंने कहा, ”जहां हमने देखा है कि कांग्रेस शक्तिशाली है और भाजपा को टक्कर दे सकती है वहां हमने खासकर तृणमूल कांग्रेस ने वोटों को बंटने नहीं दिया। लेकिन जिन सीट पर हमने देखा कि कांग्रेस मुकाबला नहीं कर सकती, संगठन कमजोर है तो वहां तृणमूल कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।”

तृणमूल कांग्रेस ने कोकराझार और बारपेटा सहित चार निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जहां सात मई को मतदान होना है।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष बोरा 2022 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि संयुक्त रूप से विपक्षी उम्मीदवारों की कमी न तो चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगी और न ही भाजपा को इससे कोई फायदा होगा।

उन्होंने दावा किया, ”लोग यह भी समझ गए हैं कि विपक्ष भले ही बंटा हुआ दिखाई दे लेकिन हमने चतुराई से अपने उम्मीदवार उतारे हैं। लोग खुद विश्लेषण करेंगे और किसी भी सीट पर सबसे आक्रामक विपक्ष को वोट करेंगे।”

राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राज्यसभा सदस्य बोरा ने कहा कि चुनाव के बाद विपक्षी दलों को एक साथ आना होगा।

उन्होंने कहा, ”चुनाव के बाद भी विपक्षी एकजुटता बेहद जरूरी है। और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सिर्फ तभी भाजपा को रोका जा सकता है।”

 

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