निर्यात के लिए ई-वाणिज्य केंद्र विकसित करना नई सरकार के एजेंडे में हो सकता है शामिल: अधिकारी

नयी दिल्ली,  ऑनलाइन माध्यम से भारत के निर्यात को और बढ़ावा देने के लिए देश में ई-वाणिज्य केंद्र विकसित करने का मुद्दा नई सरकार के लिए वाणिज्य मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे में शामिल होने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

वाणिज्य मंत्रालय की शाखा विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय सहित संबंधित मंत्रालयों के साथ ई-वाणिज्य माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदमों पर काम कर रही है क्योंकि इस क्षेत्र में निर्यात के बड़े अवसर हैं।

यह कवायद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मंत्रालयों को नई सरकार के लिए 100 दिन की योजना तैयार करने को कहा गया है।

भारत में सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को शुरू हुए। मतगणना चार जून को होगी।

अधिकारी ने कहा कि ये केंद्र ई-वाणिज्य माध्यमों से निर्यात को और बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ के अनुसार, ऐसे केंद्र में निर्यात मंजूरी को सुगम बनाया जा सकता है। इसके अलावा इसमें भंडारण सुविधाएं, सीमा शुल्क मंजूरी, रिटर्न प्रोसेसिंग, लेबलिंग, टेस्टिंग और रीपैकेजिंग की भी सुविधा हो सकती है।

भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘ यह ऐसा क्षेत्र होगा जो ई-वाणिज्य कार्गो के निर्यात और आयात को सुविधाजनक बनाएगा और काफी हद तक पुनः आयात की समस्या का समाधान करेगा क्योंकि ई-वाणिज्य में करीब 25 प्रतिशत माल पुनः आयात किया जाता है…।’’

सीमा पार ई-वाणिज्य व्यापार पिछले वर्ष करीब 800 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। इसके 2030 तक 2000 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने हाल ही में कहा था कि ई-वाणिज्य माध्यम से निर्यात बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।