नकल में भी चाहिए अकल

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भारत के बाजारों में नकली चीजों का बोलबाला इतना हो गया है कि बेचारा आम नागरिक असली चीजों को पूरी तरह भूल ही गया है। खाने पीने की सामग्री हो या इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान हर क्षेत्र में नक्कालों की चवन्नी सवा पांच रुपए में धड़ल्ले से चल रही है।खाद्य तेल वाले सेठिए ऐसे सठिया गए हैं कि मक्का, चावल, सूर्यमुखी, सोयाबीन के तेल को हृदय रोग के लिए मुफीद बता कर विज्ञापित कर रहे हैं। जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि इनका तेल ही नहीं निकलता। तेल तो मूंगफली, तिल, राई, सरसों, नारियल, बादाम, जैतून, महुआ, कपास बीज इत्यादि तिलहन का निकलता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।


जिन्हें सुधार तक नहीं सकते।  इलेक्ट्रॉनिक्स में भी आजकल नकली सामानों का बोलबाला है ,चाहे घडिय़ां हो या मोबाइल या कोई अन्य सामान, हर कहीं ऐसी वस्तुओं ने बाजार को नष्ट करने का काम प्रारंभ कर दिया है।सस्ते सामानों के झांसे में आकर हम भी इस धरती पर ई कचरा और प्लास्टिक को फेंक कर धरती माता को दूषित कर रहे हैं।आप विश्वास नहीं करेंगे एक बार मैं खेत में प्याज का बीज डालने के लिए बाजार से एक प्रतिष्ठित दुकान से बीज ले कर आया और खेत में डाला, मगर वह उगा ही नहीं।


आश्चर्य की बात है कि बीज तक नकली बेचा जा रहा है रसायनिक खाद, कीट नाशक, नकली बेचे जा रहे हैं। हम जो फल सब्जियां खरीद कर ला कर खा रहे हैं, उनको तक इंजेक्शन लगा कर समय से पूर्व बड़ा कर देते हैं । अभी हाल ही में मैंने कहीं पढ़ा था कि आजकल बाजार में जो अंगूर आ रहे हैं उनको पानी में नमक डाल कर कुछ देर पटक दें ताकि उन पर छिड़के गए जहरीले कीट नाशकों का प्रभाव खत्म हो जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका गला, फेंफड़े खराब हो सकते हैं आपकी मृत्यु भी हो सकती है। पीले केसरिया रंग के पपीते देखते ही उन्हें खरीदने का मन कर जाता है मगर क्या आप जानते हैं कि इसे भी कार्बाइड से पकाया जाता है यहां तक कहा जाता है कि किसान आजकल बगीचों में सिंचाई के दौरान इस पानी में ही कार्बाइड मिला देते हैं जिससे पपीते समय से पूर्व ही पकने लगते हैं। इन को खाने से स्वास्थ्य सुधरने की बजाए बिगड़ जाएगा। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी नकली लिंक का बोलबाला है ।अगर किसी अनजान लिंक को जो आपको आकर्षक उपहार या लाभ देने का दावा करती है उस पर क्लिक कर दिया तो आपका काफी नुकसान संभव है।  खुले आम लूट मचाने वाले इन सायबर लुटेरों पर सरकार अंकुश लगाने का प्रयास तो करती है मगर ये लुटेरे इतने शातिर और चालाक होते हैं कि बचने में सफल हो ही जाते हैं। क्या सरकार को ऐसे अपराधियों को कड़े कानून बना कर तथा कड़ी सजा देकर दंडित नहीं किया जाना चाहिए? 

पंकज शर्मा तरुण