विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रेल पर विषेष पुस्तक प्रेमियों की घटती संख्या चिंताजनक

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सोषल मीडिया के बढते चलन के दौर में पुस्तक प्रेमियों की संख्या तेजी से घटती जा रही है, जो चिंताजनक भी है। विष्व स्तर पर पुस्तक दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। इस दिन यह संकल्प अवष्य ले कि हम पुस्तकों से जुड़ाव रखने के साथ उन्हें पढने के प्रति भी सजग रहेगें। अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस की क्या महत्ता है ? और क्यों मनाया जाता है? इस दिवस की सार्थकता पर चिंतन करना जरूरी है।

 

यूनेस्को द्वारा प्रथम बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 23 अप्रेल 1955 को विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया था। तब से लेकर निरन्तर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विष्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त हैं। क्योंकि अच्छी पुस्तकें मन में सकारात्मक विचारों को जन्म देती हैं और महान शिक्षा को भी जन्म देती है जो इसके साथ एक अच्छे इंसान बनने में भी मदद करती है। पुस्तकें चिंता और भय जैसी मन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। इस दिन को मनाने का उद्देष्य है कि जीवन में पुस्तकों के प्रति जागरूकता पैदा करना है।


प्रत्येक पुस्तक प्रेमी के लिए विष्व पुस्तक दिवस मनाना सम्मान व खुषी की बात है। शोध अध्ययन में यह देखा गया है कि किताबें पढ़ना व्यक्ति को बहादुर बनाता है और मुश्किल समय में अपने दिल की बात मानने के लिए प्रोत्साहित करता है। पुस्तकें हमें अच्छे नैतिक मूल्य भी देती हैं जिसमें हमारे पास मौजूद चीजों के लिए मददगार, दयालु और आभारी होना शामिल होता है। पुस्तकों का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पुस्तकों के माध्यम से ही हमारे जीवन में विष्वास का भाव पैदा होता है।


जो भी व्यक्ति अपने जीवन को संतुलन के साथ जीना चाहता है उसे अपने जीवन में पुस्तकों को अधिक महत्व देना चाहिए। हमारे जीवन में पुस्तकें ही है जो हमारा दृष्टिकोण परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाती है। एक पुस्तक प्रेमी को पुस्तक लेखक के प्रति आभारी होना भी जरूरी है, क्योंकि लेखन के सुन्दर शब्द ही जीवन को परिवर्तन करने में सक्षम है। विष्व पुस्तक दिवस साहित्यकारों/लेखकों को सम्मानित करने का दिन भी है जिन्होंने अपनी सुन्दर भावनाओं को कागज पर उतारने का का साहस कर लेखन के माध्यम से अनेक लोगों के जीवन को भी परिवर्तित करने में अपनी भूमिका निभायी है।


ऽ विश्व पुस्तक दिवस अनेक गैर सरकारी संगठनों को आगे आने और विष्व भर में पढ़ने को प्रोत्साहन करने व शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करता है। प्रत्येक वर्ष विष्व के अनेक लेखक, प्रकाशक और पाठक विविध प्रकार की संगोष्ठी, सेमिनार आदि के कार्यक्रम करवाते है जिससे लिखने के अपने जीवन को बदलने वाले अनुभवों के बारे में बात करते हैं। लोगों को प्रोत्साहित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि दुनिया में हर किसी के लिए पढ़ना एक आदत होनी चाहिए ताकि वे अपने बुद्विबल को बढा सके। विश्व पुस्तक दिवस दिवस पर यह संकल्प भी होना चाहिए कि जिन बच्चों तक षिक्षा नहीं पहंुच रही है उन वंचित लोगों को बुनियादी मानवाधिकारों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ शिक्षा से भी जोड़ सके।

 
 
  डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल
(वरिष्ठ साहित्यकार व चिंतक)