हनुमान जयंती भारत में हर साल, हनुमान जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भारतीय हिन्दी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल चैत्र पूर्णिमा को(चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में 15वें दिन) मनाया जाता है। महाराष्ट्र में, यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यद्यपि, अन्य हिन्दू कैलेंडरों के अनुसार, यह अश्विन माह के अंधेरे पक्ष में 14वें दिन पड़ता है। पूजा के बाद, पूरा आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में प्रसाद बाँटा जाता है। माना जाता है कि सुबह 4 बजे हनुमान जी ने माँ अंजनी की कोख से जन्म लिया था। वे भगवान शिव के 11वें अवतार थे जो वानर देव के रूप में इस धरा पर राम भक्ति और राम कार्य सिद्ध करने के लिए अवतरित हुए थे।
तमिलनाडु और केरल में यह मार्गशीर्ष माह (दिसम्बर और जनवरी के बीच) में, इस विश्वास के साथ मनाई जाती है कि भगवान हनुमान इस महीने की अमावस्या को पैदा हुए थे। ओडिशा में यह वैशाख (अप्रैल) महीने के पहले दिन मनाई जाती है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह वैशाख महीने के 10वें दिन मनाई जाती है, जो चैत्र पूर्णिमा से शुरू होती है और वैशाख महीने के 10वें दिन कृष्ण पक्ष पर खत्म होती है।
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती हर वर्ष दो बार मनाई जाती है, पहली चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन। अगर वाल्मीकि रामायण को पढ़ें तो हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था। भगवान शिव जी ने माता अंजनी के गर्भ से रुद्रावतार हनुमान का जन्म लिया था। हनुमान जी को चमत्कारिक सफलता देने वाला देवता माना जाता है। साथ ही इन्हें ऐसा देवता भी माना जाता है जो अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
हिंदू धर्म मे भगवान हनुमान जी सबसे अधिक लोकप्रिय देवता हैं। हनुमान जी चिरंजीवी हैं, जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। रामभक्त हनुमान जी शक्ति और अप्रतिम निष्ठा तथा नि:स्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। हनुमान को सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है। इन्होने भगवान श्रीराम के चरणों में अपना जीवन को समर्पित कर दिया और राम भक्ति में इनका कोई सानी नहीं है। ये अमर और चिरंजीवी है। इन्होने असंभव कार्यों को चुटकी भर पल में सम्पूर्ण कर दिया है। अत: इन्हें संकट मोचक के नाम से भी पुकारा जाता है। इनकी भक्ति करने से मनुष्य को शक्ति और समर्पण प्राप्त होता है। इनकी भक्ति से अच्छा भाग्य और विदुता भी प्राप्त होती है।
लोग हनुमान जी की पूजा आस्था, जादूई शक्तियों, ताकत और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में करते हैं। लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, क्योंकि यह बुरी शक्तियों का विनाश करने और मन को शान्ति प्रदान करने की क्षमता रखता है। हनुमान जयंती पर भक्त सुबह जल्दी नहाने के बाद हनुमान जी के मंदिर जाते हैं और हनुमान जी की मूर्ति पर लाल सिंदूर (का चोला) चढ़ाते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, प्रसाद चढ़ाते हैं, मंत्रों का जप करते हुए आरती करते हैं, मंदिर की परिक्रमा आदि बहुत सारी रस्में करते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि हनुमान जी का जन्म वानर समुदाय में लाल-नारंगी शरीर के साथ हुआ था, इसी कारण हनुमान मंदिरों में आमतौर पर लाल-नारंगी रंग की हनुमान जी की मूर्ति होती है। पूजा के बाद, लोग अपने मस्तिष्क (माथे) पर प्रसाद के रूप में लाल सिंदूर को लगाते हैं और भगवान हनुमान जी से माँगी गई अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोगों को लड्डू का वितरण करते हैं। हनुमान जी भगवान राम के महानतम भक्त हैं। वे ब्रह्मचारी हैं और विन्रमता उनका चिह्न है। वे एक महान् भक्त और असाधारण ब्रह्मचारी थे। विनम्र,वीर और बुद्धिमान थे। वे सभी दैवी गुणों से संपन्न थे। उन्होने बिना किसी फल की अपेक्षा किए विशुद्ध प्रेम और निष्ठा के साथ राम की सेवा की। वे एक आदर्श नि:स्वार्थ सेवक थे, एक सच्चे कर्म-योगी थे जिन्होने इच्छा रहित होकर सक्रिय रूप से काम किया।
हनुमान जी के गुरु सूर्य देव- श्रीमद वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि एक बार माता अंजनी जब घर पर नहीं थीं, तब हनुमान जी को बहुत जोर से भूख लगी। जब उन्हें घर में कुछ भी खाने को प्राप्त नहीं हुआ तो उन्होंने उदीयमान सूर्य को स्वादिष्ट पका हुआ फल समझा तथा सूर्य को निगलने की कोशिश करने लगे उस समय सूर्य ग्रहण लगने वाला था। राहू ने जब हनुमान जी को सूर्य के इतने पास देखा तो इसकी शिकायत उन्होंने इंद्र से की, सूर्य को बचाने के हेतु इंद्र ने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया जिससे हनुमान की ठोड़ी कुछ टेढ़ी हो गई तथा वे मूर्छित होकर भूमि पर गिर गए। यह देखकर पवनदेव को दु:ख हुआ व क्रूद्ध होकर उन्होंने अपनी गति बंद कर दी। फलस्वरूप सभी के प्राण संकट में पड़ गए। तब सभी देव ब्रह्मा जी को साथ लेकर पवन देव के पास गए उन्हें प्रसन्न कर हनुमानजी को आशीष सहित शस्त्रादि प्रदान किये साथ ही सूर्यदेव ने उन्हें अपना तेज देकर शिष्य बनाया परन्तु जब सूर्य देव के पास वे शिक्षा प्राप्त करने गए तो सूर्य देव ने उनको टालने के लिए कहा कि वे स्थिर रह कर शिक्षा नहीं दे सकते हैं। तब ज्ञान के भूखे हनुमान जी ने सूर्य देव की ओर मुख कर पीठ की ओर गमन कर विद्या प्राप्त की इसी प्रकार उन्होंने सूर्य देव से सभी प्रकार की शिक्षा प्राप्त की।
हनुमान जी के इष्ट प्रभु श्रीराम-* जब हनुमान जी अपने इष्ट श्रीराम से मिले तो श्रीराम जी उनकी भाषा व वाणी से प्रभावित हो कर लक्ष्मण जी से बोले कि जिसने ऋग्ग्वेद का ज्ञान न लिया हो जिसने यजुर्वेद का अभ्यास न किया हो जो सामवेद का विद्वान न हो, वह ऐसे सुन्दर बोल नहीं बोल सकता। इसके पश्चात भी कई बार उनकी बुद्धिमानी प्रमाणित हुई थी जैसे कि सीता खोज में जब वे गए थे, तब सुरसा ने भी उनकी परीक्षा ली थी।
सूर्य देव की इच्छा अनुसार वे सुग्रीव की रक्षा करने गए थे तथा जब सुग्रीव को भय न रहा तब उन्होंने स्वयं हनुमान को श्रीराम की सेवा में जाने के लिए कह दिया, क्योंकि हनुमान का मन श्रीराम में बसता था।
*व्रत विधि* – व्रती को चाहिए कि वह व्रत की पूर्व रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करे तथा पृथ्वी पर शयन करें प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रीराम- जानकी हनुमान जी का स्मरण कर नित्य क्रिया से निवृत हो स्नान करें हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करे षोडशोपचार विधि से पूजन करे। हनुमते नम: मंत्र से पूजा करे इस दिन वाल्मीकि रामायण, तुलसीकृत श्री रामचरित मानस के सुंदरकांड का या हनुमान चालीसा के अखंड पाठ का आयोजन करना चाहिए। हनुमान जी का गुणगान भजन एवं कीर्तन करना चाहिए। हनुमान जी के विग्रह का सिंदूर श्रृंगार करना चाहिए।नैवेद्य में गुड़, भीगा चना या भुना चना तथा बेसन के लड्डू रखना चाहिए
हनुमान जयंती कैसे मनाते हैं ?
हनुमान महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवी शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, नि:स्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव के 11वाँ रुद्र अवतार माने जाते हैं। इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीराम और माता सीता की भक्ति में लगा दिया और बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया। हनुमान भक्त हनुमान जी की प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि, ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनके भक्तों द्वारा इनकी पूजा बहुत से तरीकों से की जाती है; कुछ लोग अपने जीवन में शक्ति, प्रसिद्धि, सफलता आदि प्राप्त करने के लिए बहुत समय तक इनके नाम का जप करने के द्वारा ध्यान करते हैं, वहीं कुछ लोग इस सब के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
हनुमान जयंती का इतिहास
एक बार, एक महान संत अंगिरा स्वर्ग के स्वामी, इन्द्र से मिलने के लिए स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अप्सरा, पुंजीक्ष्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि, संत को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरू कर दिया। नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा। वे उस समय चुप थे और उन्होंने कहा कि मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह इन्द्र और अप्सरा के लिए बहुत अधिक लज्जा का विषय था; अप्सरा ने संत को तंग करना शुरू कर दिया और तब ऋषि अंगिरा ने उसे शाप दिया कि देखो! तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रूप में पैदा हो।
हनुमान मंत्र:
हनुमान जयंती पर किये जाने वाले उपाय –
हनुमान जयंती के टोटके विशेष फल प्रदान करते हैं। हनुमान जयंती का दिन हनुमानजी और मंगल देवता की विशेष पूजा का दिन होता है। यह टोटके हनुमान जयंती से आरंभ कर प्रति मंगलवार को करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। कोई व्यक्ति जब तरक्की करता है तो उसकी तरक्की से जलकर उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वही उसके मार्ग को अवरुद्ध करने लग जाते हैं। ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है।हनुमान जयंती का विशेष टोटका-
बजरंगबली चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। हनुमान जयंती पर उनका यह टोटका विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह टोटका हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करता है।आँकड़े का फूल
हनुमान जी को आँकड़े के फूल चढ़ाने से भी कार्यों मे आ रहीं बाधाएं दूर होती हैं और काम समय पर पूरे होते हैं।