मुंबई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि विपश्यना प्राचीन भारत का एक अनुपम उपहार होने के साथ ही एक आधुनिक विज्ञान भी है, जिसके जरिये युवा और बुजुर्ग लोगों को जीवन के तनाव और परेशानी से निपटने में मदद मिल सकती है।
विपश्यना गुरु एस एन गोयनका के जन्म शताब्दी समारोह पर अपने डिजिटल संबोधन में मोदी ने कहा कि ध्यान और विपश्यना को कभी त्याग के माध्यम के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब यह व्यावहारिक जीवन में व्यक्तित्व विकास का माध्यम बन गया है।
मोदी ने कहा, ‘‘वर्तमान समय में युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में तनाव और परेशानी आम है और विपश्यना की शिक्षाएं उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में मदद कर सकती हैं।’’
उन्होंने कहा कि एस एन गोयनका ‘एक जीवन एक मिशन’ के आदर्श उदाहरण थे।
मोदी ने कहा कि उनकी शिक्षाएं और समाज कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक प्रेरणा स्रोत है, क्योंकि देश विकसित भारत के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भगवान बुद्ध से प्रेरित होकर, गुरुजी कहते थे कि जब लोग एक साथ ध्यान करते हैं, तो परिणाम बहुत प्रभावी होता है। एकता की ऐसी शक्ति विकसित भारत का महान स्तंभ है।’’
गोयनका के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिवंगत विपश्यना शिक्षक शांत और निर्मल गुणों से युक्त थे।
मोदी ने कहा, ‘‘उनका एकमात्र मिशन विपश्यना और अर्जित ज्ञान का सभी तक प्रसार करना था। उनका योगदान मानव जाति के प्रति था।’’
उन्होंने कहा कि विपश्यना प्राचीन भारत का एक अनुपम उपहार और विरासत है, लेकिन इसे भुला दिया गया था।
उन्होंने कहा कि विपश्यना आत्म-अवलोकन से आत्म-परिवर्तन तक की यात्रा है और आज सामने आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान है।
मोदी ने कहा कि योग को दुनिया भर में स्वीकार किया गया है और ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ अब दुनिया भर में जीवन का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सोचते थे कि ध्यान और विपश्यना वैराग्य का माध्यम है और इसे व्यावहारिक जीवन में नहीं लाया जाना चाहिए, लेकिन अब यह व्यक्तित्व विकास का माध्यम है।’’
मोदी ने कहा कि विपश्यना प्राचीन भारत की विरासत होने के अलावा एक आधुनिक विज्ञान भी है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को प्रदान करने की जरूरत है।
गोयनका को प्राचीन विपश्यना ध्यान तकनीक को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है, जिसका उद्देश्य मानसिक अशुद्धियों का उन्मूलन और पूर्ण मुक्ति की परिणामी उच्चतम खुशी है।