भूराजनैतिक चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक संरचनाओं की खामियों को तत्काल ठीक करना जरूरी: जयशंकर

नयी दिल्ली,  विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भू-राजनैतिक चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए ‘पुरानी’ हो चुकी वैश्विक संरचनाओं में सुधार का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि गाजा में संघर्ष बेहद चिंता का विषय है और इससे उत्पन्न मानवीय संकट के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है, ताकि इससे सर्वाधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मिल सके।

विदेश मंत्री ने जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 55वें सत्र में अपने डिजिटल वक्तव्य में यह टिप्पणी की।

जयशंकर ने वर्तमान संस्थानों में प्रणालीगत खामियों को ठीक करके वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं को अनुकूल बनाने के लिए बहुपक्षीय प्रारूप को तत्काल उपयुक्त बनाने की भी वकालत की।

उन्होंने कहा कि भू-राजनैतिक चुनौतियों का स्थायी समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर मिलकर काम करना विभिन्न हितधारकों की जिम्मेदारी होगी और ऐसा सामूहिक हित में होगा।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा होने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम पहले यह पहचानें कि बहुपक्षवाद को विश्वसनीय, प्रभावी और उत्तरदायी बनाने के लिए अब समय आ गया है कि पुरानी संरचनाओं में सुधार किया जाए और प्रणालीगत खामियों को ठीक किया जाए। साथ ही मौजूदा वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करते हुए बहुपक्षीय ढांचे को इस उद्देश्य के लिए तत्काल उपयुक्त बनाया जाए।’’

भारत संयुक्त राष्ट्र, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों के लिए दबाव डालता रहा है।

जयशंकर ने अपनी टिप्पणी में गाजा की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। इतना ही नहीं, उन्होंने सात अक्टूबर को हमास द्वारा इजराइल पर किए गए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि “आतंकवाद और बंधक बनाना” अस्वीकार्य है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘गाजा में संघर्ष हम सभी के लिए बहुत चिंता का विषय है। संघर्षों से उत्पन्न होने वाले मानवीय संकटों के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे।’’

उन्होंने कहा, “साथ ही, हमें सुस्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद और बंधक बनाना अस्वीकार्य है। यह भी कहने की जरूरत नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष क्षेत्र के भीतर या बाहर न फैले।”

मंत्री ने भारत की लंबे समय से चली आ रही स्थिति को भी दोहराया कि फलस्तीन मुद्दे का द्वि-राष्ट्र समाधान होना चाहिए।

जयशंकर ने कहा, “और प्रयासों में द्वि-राष्ट्र समाधान की तलाश पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां फलस्तीनी लोग सुरक्षित सीमाओं के भीतर रह सकें।”

यूएनएचआरसी में अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत के सभ्यतागत मूल्य इस बात पर जोर देते हैं कि दुनिया ‘‘एक पृथ्वी साझा करती है, हम एक परिवार हैं और हमारा एक भविष्य है’’।

उन्होंने कहा, ‘‘…भू-राजनीतिक चुनौतियों का स्थायी समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर मिलकर काम करना हमारे सामूहिक हित में है और हमारी जिम्मेदारी है।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि मानवाधिकारों के प्रति भारत का दृष्टिकोण उसके लोकतांत्रिक सिद्धांतों और बहुलवादी लोकाचार में निहित है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है और आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की प्रगतिशील प्रस्तुति प्रदान करता है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा समाज और राजनीति स्वतंत्र न्यायपालिका, मजबूत मीडिया और जीवंत नागरिक समाज की हमारी संस्थागत शक्तियों पर आधारित है।’’

उन्होंने कहा कि ये मूल्य घरेलू और वैश्विक स्तर पर भारत की नीतियों के सूचक रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘…और इसलिए, मेरा मानना है कि हमारे पास योगदान करने के लिए बहुत कुछ है।’’

आगामी लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 2024 भारत के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है, जिसमें लगभग 96 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह महज एक राजनीतिक कवायद नहीं है, बल्कि लोकतंत्र का उत्सव है, एक ऐसा त्योहार है, जहां हर आवाज गूंजती है और हर वोट मायने रखता है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘ऐसी दुनिया में जहां लोकतंत्र के सिद्धांतों को लगातार कसौटी पर परखा जाता है, भारत उम्मीदों की किरण के रूप में खड़ा है, जो अपने सामूहिक भविष्य को आकार देने के लिए लोगों की शक्ति का प्रदर्शन करता है।’’