झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा

रांची, महज 38 साल की उम्र में सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में झारखंड की कमान संभालने के बाद से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी तक हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

राजनीतिक विरासत के लिए सोरेन अपने पिता एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन की पहली पसंद नहीं थे लेकिन 2009 में अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन के निधन के बाद हेमंत ने राजनीति में अपना पैर जमाना शुरू किया।

ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सोरेन ने ‘एक्स’ पर कवि शिवमंगल सिंह सुमन की कविता की पंक्तियां पोस्ट कीं, ‘‘यह एक विराम है, जीवन महासंग्राम है। हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा, पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं। क्या हार में, क्या जीत में; किंचित नहीं भयभीत मैं। लघुता न अब मेरी छुओ; तुम हो महान, बने रहो। अपने लोगों के हृदय की वेदना, मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं, हार मानूंगा नहीं…। जय झारखंड।’’

हजारीबाग के पास नेमरा गांव में 10 अगस्त, 1975 को जन्मे हेमंत ने पटना माध्यमिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की और बाद में रांची में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।

हेमंत को बैडमिंटन, साइकिल और किताबों का शौक हैं। उनकी पत्नी कल्पना हैं और दंपति के दो बच्चे हैं।

हेमंत ने 2009 में राज्यसभा सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। अगले वर्ष उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए संसद के उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, दो साल बाद भाजपा-झामुमो सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

वर्ष 2013 में उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में झारखंड की कमान संभाली। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल अल्पकालिक था क्योंकि 2014 में भाजपा ने सत्ता हासिल कर ली और रघुबर दास मुख्यमंत्री बन गए। तब हेमंत विपक्ष के नेता बने।

वर्ष 2016 में जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए आदिवासी भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति को लेकर छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम में संशोधन करने की कोशिश की तो सोरेन ने एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया जिसका राजनीतिक लाभ उन्हें तीन साल बाद मिला।

अपने सहयोगियों कांग्रेस और राजद के समर्थन से हेमंत 2019 में सत्ता में आए और उनकी पार्टी झामुमो ने 81 सदस्यीय विधानसभा में अकेले 30 सीटें जीतीं जो झामुमो का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा।

सोरेन (48) को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम प्रस्तावित किया गया है।