विश्व की जानलेवा बीमारियों में सब से भीषण है कैंसर। अनुमान है कि हर साल करीब 76 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त होकर जान खो देते हैं। यही नहीं, इस का इलाज सब से अधिक खर्चीला भी है। कभी कभी मात्रा एक इंजेक्शन पर पन्द्रह लाख रूपए खर्च करने पड़ते हैं।
यह बात एक हद तक तसल्ली देने वाली है कि इस के कारणों में सत्तर प्रतिशत हमारी जीवनशैली से संबंधित हैं और इसलिए यदि हम अपनी जीवनशैली में आवश्यक सुधार लाएं तो सत्तर प्रतिशत बचाव की संभावना है।
अब देखें कि हमारी जीवनशैली में क्या क्या सुधार लाए जाने हैं जिन से कैंसर की सत्तर प्रतिशत रोकथाम हो सके।
व्यायाम का अभाव हर प्रकार की बीमारी को निमंत्राण देता है। पर्याप्त व्यायाम की आदत डालें। चलना अच्छा व्यायाम है। चलें और चुस्त रहें।
स्वाद पर नियंत्राण रखें। परम्परागत भोजन में कई प्रकार की अच्छाइयां हैं। आधुनिक ढंग से फास्ट फूड में ऐसे कई घटक हैं जो कैंसर को निमंत्राण देते हैं। मांसाहार की मात्रा कम करते जाएं और शाकाहार की मात्रा अधिक। पीले रंग के फल साग सब्जी आदि उत्तम हैं।
धूम्रपान और तंबाकू का अन्य प्रकार का उपयोग खतरा मोल लेता है। पुराने जमाने में यद्यपि पान खाते थे तो भी उसके साथ तंबाकू नहीं लेते थे। अब तो पान मसाला, पान पराग, सिगरेट, बीड़ी जैसे कई रूपों में तंबाकू का उपभोग किया जाता है। मुख के कैंंसर का एक मुख्य कारक तंबाकू है। स्कूलों के छोटे छोटे बच्चे भी पान मसाले के शिकार हुआ करते हैं।
अध्यापक और अभिभावक अपने बच्चों को इस बुरी आदत से निवृत करने का प्रयत्न करें तो थोड़ा बहुत फायदा हो सकता है। सरकार को चाहिए कि तंबाकू की बिक्री पर ही रोक लगा दे। विचित्रा बात यह है कि हमारे पास बैठे व्यक्ति यदि धूम्रपान करें तो उस धुएं का एक अंश हमारे फेफड़ों में भी पहुंच सकता है और हमें रोगी बना सकता है।
शराब भी कैंसर का एक मुख्य कारण है। दुर्भाग्य से हमारे समाज में शराब का उपयोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि स्कूल कॉलेज स्तर के छात्रा भी इस के शिकार हो रहे हैं। किसी किसी कॉलेज में गरीब छात्रा अपने सहपाठियों से भोजन खरीदने के लिए पैसा मांग लेते हैं और जो पैसा मिल जाता है उसे थोड़ा भोजन पर खर्च करते हैं और बाकी से शराब खरीद कर एक साथ बैठकर मौज में शराब पी लेते हें। कुछ दिनों की ऐसी दिनचर्या उन्हें पक्का शराबी बना देती है।
आजकल तो यह भी सुनते हैं कि बड़े बड़े शहरों में आई टी इंजीनियर के पद पर काम कर रही हमारी कुछ युवतियां भी शराब का स्वाद चखने लगी हैं। यह बड़ी चिंता का विषय है। यदि पंचायतों को तथा नगर निगमों की वार्ड परिषदों को अपने अपने क्षेत्रा के मदिरालय बंद कराने का अधिकार दिया जाता तो समस्या का थोड़ा समाधान हो जाता।
महिलाओं को चाहिए कि समय रहते ही स्तन और गर्भाशय के कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानने के लिए समय-समय पर चेकअप करा लें। समय पर चिकित्सा मिलने पर रोग मुक्ति की बहुत संभावना है।
अनेकों गरीब कैंसर रोगी वैसे के अभाव में पर्याप्त चिकित्सा से वंचित रह जाते हैं और अथक वेदना भोगते हुए दम तोड़ देते हैं। इन में छोटे बच्चे भी हैं। खुदा ही इन का एकमात्रा सहारा है।