आज बीमारी हर व्यक्ति को है वो चाहे बच्चा हो या प्रौढ़ हो। बीमारी ने किसी को अपने जाल में से रिहा नहीं किया है। यहां तक कि जो गर्भ में पल रहा है, उसका भी भविष्य सुनिश्चित नहीं है। ऐसा नहीं कि जब तक गर्भ में रहेगा, तब तक उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। ऐसा बिलकुल नहीं है। सब चपेट में हैं बीमारी की। इस आधुनिक युग में निरोगी होना दूभर हो गया है।
हमें अगर किसी बीमारी के बारे में पता चल जाए तो हम उसे बढ़ने से तो रोक ही सकते हैं और उसके प्रति होशियार हो सकते हैं।
उस बीमारी में नुक्सानदेह चीजों का सेवन रोका जा सकता है। इसी प्रकार एक बीमारी मधुमेह है। अगर किसी को हो तो आप पूर्ण रूप से सावधान रहें। मैं उसके हर कोण पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूं।
इसमें जिस प्रकार का निर्देश व जानकारी दी गई है अगर आप उसका अनुसरण करेंगे तो निश्चय ही लाभ के भागीदार होंगे। डायबिटीज अथवा मधुमेह क्या है। यह खून में शक्कर की बीमारी है जो कि शरीर में इंसुलिन की कमी के कारण होती है।
इंसुलिन क्या है?
यह पेन्क्रियाज नामक ग्रंथि से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित किया करता है। डायबिटीज दो प्रकार की होती है। 1. इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज (प्क्क्ड)। मधुमेह किन कारणों से होती है? यह मूलतः पैदायशी कारणों से होती है लेकिन अक्सर 35 साल की आयु के बाद ही लक्षण सामने आते हैं।
अन्य अंग जैसे पेंक्रियाज, थायराइड, प्रेगनेन्सी व लिवर आदि की बीमारियों से भी मधुमेह हो सकता है। डायबिटीज के शुरूआत में कोई लक्षण नहीं होते। बाद में अधिक पेशाब लगना तथा अधिक भूख लगना, व पेशाब में चींटी लग जाना, कमजोरी होना, वजन कम होना, खुजली, होना एवं नपुंसकता, हाथ पैर में झुनझुनाहट, घाव समय पर न भरना आदि लक्षणों का समावेश होता है।
मधुमेह में क्या जांच कराई जानी चाहिए
इसमें खून की जांच फास्टिंग ब्लडशुगर, पोस्ट प्राडियल ब्लडशुगर साथ ही पेशाब जांच, इसके साथ ही गुर्दों, हृदय एवं नेत्रों की जांच नियमित की जाती है।
इसका इलाज ‘तीन प्रकार से किया जाता है। केवल खान पान में परहेज द्वारा एवं दवा गोली द्वारा या इंसुलिन इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। मधुमेह में खान पान में परहेज करना चाहिए। इसमें शक्कर युक्त भोजन सीमित मात्रा में लेना चाहिए। चीनी, आलू, चावल, आदि का परहेज करना चाहिए।
इसमें सभी मरीजों को अपनी सेहत की देख भाल स्वयं करनी चाहिए। कुछ बातों की ओर विशेष ध्यान दें। नाखून काटते समय ख्याल रखना चाहिए कि अन्य कोई घाव न बने। सभी मरीजों को अपनी जेब में परिचय पत्रा रखना चाहिए तथा समय-समय पर अपने पेशाब की जांच स्वयं करनी चाहिए। सभी मरीजों को मोटापे से बचना चाहिए तथा खाली पेट दवा कभी नहीं खानी चाहिए।
सुबह जितना हो सके पैदल चलना चाहिए।
मधुमेह में क्या-क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
इसमें गुर्दे खराब हो सकते हैं। आंखों की रोशनी जा सकती है। गलत इलाज के कारण शक्कर की मात्रा में अधिक कमी आ सकती है। शक्कर की मात्रा अन्य रूपों से अधिक बढ़ सकती है। एक बात जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है कि इलाज सही न होने के कारण मरीज के हाथ पैर में सड़न आ सकती है।
इसके अतिरिक्त अन्य बीमारियां जैसे टी. बी., पेशाब में संक्रमण, खुजली आदि भी हो सकती है।
इसमें खून की जांच प्रत्येक मास करनी चाहिए एवं हृदय, गुर्दों, नेत्रा तथा और अंगों की जांच कम से कम एक साल में एक बार अवश्य करवानी चाहिए।
इस प्रकार से अगर हम बीमारियों को जान कर उन पर ध्यान देना शुरू कर दें तो निश्चय ही परेशानी से बचा जा सकता है।